जरा एक कामकाजी कॉर्पोरेट महिला के बारे में या एक फिल्म सेलेब्रिटी महिला के बारे में सोचिये| उसके पास नौकरानी है, खाना बनने के लिए रसोइया है, ड्राइवर हैं, जो उसकी मदद करते हैं| इन सबके अभाव में वह घर से बाहर निकलने तक के बारे मं नहीं सोच सकती| सभी बहुप्रतिभावान हैं और उसकी जिंदगी को आसान बनाते हैं| वे भी उसका घर छोड़ना नहीं चाहते और उसके कर्मचारी बने रहना चाहते हैं|
ऐसा नहीं है कि उन्हें कहीं और काम नहीं मिल सकता या यह कि ये महिला उन्हें ज्यादा पैसे दे रही है| ये रिश्ता दोनों तरफ से चलने वाला है| यदि एक औरत को हर तरफ से मदद मिल रही हैं और वो भी बिना किसी शिकायत के, तो निश्चित रूप से इसमें उस महिला की व्यवहार कुशलता साफ़ दीख पड़ती है|
आज इन सभी सहायकों के बिना आप जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते| हर कदम पर मदद की जरुरत पड़ती है|
सबसे पहले तो उन्हें नौकर ना मानने की आदत डालें| ये तो वो छोटी सी सेना है जो आपके साथ रहती है ताकि आपको सफलता मिल सके, इस आपाधापी के जीवन में|
आप उन्हें वेतन दे रहे हैं, पर केवल वेतन दे देना ही काफी नहीं है| कोशिश कीजिये, उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह ट्रीट करने की| कभी समय निकालिये उनकी निजी समस्याओं को सुनने के लिए| आप खुद पर तो अथाह पैसा खर्च करते हैं, एक छोटा सा बजट बनाइये जिससे आप उनका बोझ बाँट सकें, उनके बच्चों की स्कूल की फीस, किताबें इत्यादि का खर्च तो आप उठा ही सकते हैं| वो कपडे सम्भाल कर रखिये जो अच्छी क्वालिटी के हो और आप उन्हें ना पहनती हो| ऐसे कपडे उन्हें दे दीजिये|
आपको इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए की बच्चों न की परवरिश में नए चेहरे रोज लाना ठीक नहीं| इसलिए बन पड़े तो अपने पुराने कर्मचारियों और नौकरानियों के साथ ही निभा कर चलें |
अदि आपका ड्राइवर आपका देखा भाला है, तो आप निश्चिंत होकर बच्चों को उसके साथ स्कूल और बाजार भेज सकती हैं| आप इससे कार्यस्थल पर अधिक उत्पादकता दे सकेंगी|
उनसे खुल कर समस्यों पर चर्चा कीजिये और उनकी समस्याओं को भी सुनिए और फिर मिलकर उसका समाधान ढूंढ निकलिए| यदि आप कुछ अधिक खर्च पाने में सक्षम हैं तो आप उनके खर्चे बाँट लें, बजाय बड़े एनजीओ या ट्रस्ट को दान देने के|
यदि हर व्यक्ति या परिवार इस प्रकार ३- ४ कर्मचारियों का भार वहन कर ले तो आर्थिक समस्याओं का समाधान यूँ ही हो जाएगा| कुछ अधिक सुरक्षा और ख्याल रखने पर कर्मचारी आपके प्रति और वफादार होकर काम करते हैं| यदि ऐसे में उन्हें अधिक वेतन भी मिले तो आपका काम करने से एहले वे दो बार सोचेंगे, उन सुविधाओं, प्यार और स्नेह के बारे में जो उन्हें आपसे मिलता है|
जब भी विचारों का मतभेद हो या कोई लड़ाई तो हमें अपने अहम को बीच में नहीं आने देना चाहिए| हमें उसे तुरंत काम से नहीं निकलना चाहिए |
ऐसा निर्णय लेने से पहले कई बार सोचिए| यह बहुत आसान है कि आप उसे निकाल दें, पर इस पर यदि शान्ति से सोचेंगे तो पाएंगे कि सफलता इस बात में थी कि रिश्ता तोड़ने के बजाय, अहम को बीच में लाये बिना आप उससे बात कर समस्या को सुल्झातीं|
आप उन्हें तनख्वाहह दें पर अपने अंतर्मन में उनके लिए संजीदगी रखें, चाहे उसका प्रदर्शन ना करें, अगर जरुरत नहीं है तो| ये आप पर है कि आप उन्हें चिकित्सकीय सुविधाएं दें या फिर परिवार के साथ छुट्टी पर जाने दें|
जब भी आप सप्ताहांत पर बाहर जा रहे हो तो उसे उसका सप्ताहांत एन्जॉय करने के लिए सिनेमा की टिकट ला दें|
उसे भी अपनी जिंदगी का आनंद उठाने दीजिये, उसके अपने तरीके से|
एक उदाहरण लीजिए एक कामकाजी महिला का जिसे अक्सर कामों और मीटिंग्स के लिए देर रात तक ऑफिस में रहना होता है, या फिर शहर से बाहर| ऐसे में उसकी नौकरानी के बच्चे को एक कुत्ते ने काट लिया| उस कॉर्पोरेट महिला ने उस बच्चे को तुरंत अपने संपर्क के डॉक़्टर से चिकिसकीय सुविधा प्रदान करवाई|
चूँकि इंजेक्शन्स एक महीने तक लगने थे, इस कॉर्पोरेट महिला ने इस दौरान शहर से बाहर जाने वाले दिनों में लगने वाले इंजेक्शन्स तक के लिए डॉक़्टर से एपॉइंटमेंट फिक्स की और इंजेक्शन्स के लगवाए जाने का इंतज़ाम किया|
बताइए अब ऐसे में क्या उसकी नौकरानी कभी उसे छोड़कर जाना चाहेगी|
यह पूरी तरह से आपके हाथ में है कि आप अपने कर्मचारियों को किस प्रकार से निभाते हैं कि वे आपके लिए वफादार बने रहे|
गर्मियों में जब पानी की किल्लत होती है तो आप अपनी नौकरानी, अगर वो आस पास ही रहती है, को थोड़ा पानी दे सकती हैं|
इससे उसकी समस्या का समाधान होगा और उसकी जिंदगी सरल बनेगी, और अंतत: आपकी भी| ऐसे में वो आप ही के बच्चों के लिए थोड़ा और समय निकल पाएगी|
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक सर्वे के अनुसार नौकरी छोड़ने के मुख्य्त: चार कारण होते हैं,
१| काम के अधिक घंटे, वो भी बिना किसी कारण के,
२| आपके काम का पूरा मान आपको ना मिलना ३|
वेतन का काटा जाना ४| बातचीत का अभाव|
ऑफिस और कॉर्पोरेट माहौल में भी ये लोग आपको ऊपर तक पहुँचने में मदद करते हैं |
आपकी सम्पन्नता में उनकी मेहनत बहुत महत्वपूर्ण है| अपने कर्मचारियों का अनादर मत कीजिये| आज का समय केवल उन्हें स्नेह देने का नहीं रहा बल्कि उन्हें साथ लेकर चलने का हो गया है, ताकि आपको आपकी सफलता मिलती रहे|
अपने आप को एक कंपनी का वाइस प्रेजिडेंट मान कर चलिए और मानिए कि एक दिन आपने अपने मैनेजर को बुलाया| वो निश्चित रूप से थोड़ा असमंजस में होगा| ऐसे में आप उसे उसके जन्मदिन पर बधाई देते हुए एक बाईक की चाबी उसकी ओर सरका दीजिये, जोकि उसके लिए उपहार है, और फिर देखिये जादू|
वह ना केवल उत्साह से भर उठेगा बल्कि आपके और कंपनी के लिए ऐसे काम करने लगेगा, मानों उसकी खुद की कंपनी हो
एक कंपनी जहाँ कोई नौकरी नहीं छोड़ता
अमेरिका की ‘बॉक्स्ड’ कंपनी के सी ई ओ हुआंग अपने कर्मचारियों के परिवारों और बच्चों तक का ख्याल करते हैं| कभी भी उनका कोई कर्मचारी उन्हें छोड़ कर नहीं गया| वे अपने कर्मचारियों के बच्चों की स्कूल और एडमिशन फी तो देते ही हैं, और इस प्रकार पिछले सत्र में ५ बच्चों की ब्राउन यूनिवर्सिटी की फीस दी गयी है कर्मचारियों को पारितोषिक और उपहार देना अब पुरानी बात हो गयी है| कंपनी ये मानती है कि मुफ्त का खाना बांटने से लोगों की फीस और शादी का खर्च उठाना बेहतर है| एक दिन सी ई ओ को पता चला कि उनके एक कर्मचारी की शादी नहीं हो प रही क्योंकि उसे अपनी माँ के इलाज का खर्च उठाना है और इसलिए वह अपनी शादी पर पैसा नहीं लगा पा रहा |
उन्होंने उस लड़के को बुलाया और उसे उसकी शादी का सारा खर्च उठाने की पेशकश की|
वेतन देना ही काफी नहीं नहीं ही| अभी हाल ही में एक बड़ी कंपनी ने अपने कर्मचारियों को दोपहर के भोज पर बुलाया| उस मीटिंग में कंपनी के सी ई ओ ने गर्व से घोषणा की, कंपनी की तरक्की के बारे में| इसके बाद एक स्टाफ मेंबर ने ये पूछा कि उनका उन कर्मचारियों के बारे में क्या सोचना है जिन्होंने अपने जीवन के ५ साल इस कंपनी को दिए हैं| सी ई ओ ने जवाब दिया कि उन्हें नियमित रूप से इस बात की तनख्वाह दी जाती है, वो भी एक दिन की देरी के बिना| इसका फल ये हुआ कि अगले दिन उन्हें उस कर्मचारी का त्याग पात्र प्राप्त हुआ|
जब भी एक कर्मचारी एक कंपनी के साथ जुड़ता है तो वो तीन प्रकार के अनुबंध करता है| एक तो वास्तविक लिखा हुआ अनुबंध| दूसरा अलिखित, ये उसके, मैनेजर और सुपरवाईजर के बीच होता है, कि यदि कंपनी का हित निहित हो तो उस कर्मचारी को अपने क्षेत्र से अलग हटकर भी काम करना पड़ सकता है| पर सबसे महत्वपूर्ण अनुबंध है नैतिक अनुबंध| जब भी कभी आर्थिक मंदी आती है, तो तनख्वाह भी कट सकती है|
जब एक कर्मचारी अपने आप को अनुबध में बाँध लेता है तो यह कंपनी की नैतिक जिम्मेदारी हो जाती है कि वह अपने कर्मचारियों के हितों का ख्याल करे | जब भी उन्हें या उनके परिवार जनों को आपकी ज़रूरत हो, खुलकर उनकी मदद करे| हालाँकि ऐसा कही किसी अनुबंध में लिखा नहीं होता
मधु सिधवानी
डायरेकटर – डब्ल्यू डी पी एल