साध-संगत ने वाहनों को प्रदूषण रहित रखने का लिया प्रण नई मुहिम: 144 वां भलाई कार्य
एक शोध के मुताबिक, कार, ट्रक, स्कूटर इत्यादि वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं से होने वाली मौत के आंकड़ों में हर वर्ष बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। वर्तमान में देश की सड़कों पर 7 करोड़ फोरव्हीलर वाहन दौड़ रहे हैं, जिनमें 5 करोड़ के करीब पुराने वाहन हैं, जो प्रदूषण की मुख्य वजह माने जाते हैं।
वाहनों से निकलते धुएं से वातावरण इतना दूषित हो रहा है कि लोगों को सांस तक लेने में बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है। मानवता के प्रहरी के रूप में पहचान बनाने वाले डेरा सच्चा सौदा भी वायु प्रदूषण को रोकने में लगातार कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पूज्य गुरु जी ने साध-संगत से प्रण करवाया है और करोड़ों अनुयायी इस मुहिम से जुड़कर प्रदूषण कम करेंगे।
प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों में सुधार की वकालत करते हुए पूज्य गुरु जी ने डेरा अनुयाइयों से प्रण करवाते हुए फरमाया कि सर्टिफिकेट बनाने मात्र से वाहन का प्रदूषण फैलाना बंद नहीं हो जाता, अपितु आपकी गाड़ियां जितनी भी आप चलाते हैं प्रदूषण रहित होनी चाहिए अच्छे तरीके से। यह मत सोचो कि मैंने पैसे देकर सर्टिफिकेट ले लिया। प्रण लें कि सही मायनों में प्रदूषण रहित गाड़ियां चलाएंगे। साथ ही आप लोग कोशिश करना कि यार, दोस्त मित्रों की गाड़ियां भी प्रदूषण रहित करवाना, चाहे इसके लिए आपको पैसा लगाने पड़ जाएं। खुशी होगी उस राम को, जब रामजी खुश होंगे कि उसकी औलाद की कोई सेवा कर रहा है तो फिर वो कमी नहीं छोड़ते, ये भी याद रखना। पूज्य गुरू जी से प्रेरणा लेकर साध-संगत ने हाथ ऊपर उठाकर अपने वाहनों को प्रदूषण रहित रखने का प्रण लिया।
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चिंताजनक: आॅक्सीजन भी खत्म कर रहे हैं वाहन
यह खुलासा रोंगेट खड़े करने वाला है कि सड़कों पर बड़ी संख्या में दौड़ते पुराने वाहन न केवल प्रदूषण फैला रहे हैं, बल्कि आॅक्सीजन को भी तेजी से खत्म कर रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो नए भारत में जल संकट की तरह आॅक्सीजन की कमी भी गहरा सकती है। एक इंसान को सामान्य जीवन में रोजाना 3 हजार लीटर आॅक्सीजन की जरूरत पड़ती है। जबकि प्रति लीटर 10 किलोमीटर के माइलेज वाली कार का इंजन एक लीटर पेट्रोल की खपत में 1700 लीटर आॅक्सीजन लेता है।
भारत में स्थिति बहुत ही बदतर
शिकागो यूनिवर्सिटी की ताजा एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित देशों में से एक है। उत्तर भारत में लोगों की उम्र साढ़े सात वर्ष तक घट रही है। अगर पूरे भारत की बात करें तो प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत उम्र में कम से कम पांच वर्ष की कमी आई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि फेफड़े के कैंसर के लगभग 50 प्रतिशत रोगी ऐसे आ रहे हैं जो धूम्रपान नहीं करते। इसके अतिरिक्त 10 प्रतिशत रोगी 20 से 30 साल के बीच के होते हैं। भारत के 30 प्रतिशत बच्चे दमा के रोगी हैं। वायु प्रदूषण केवल हमारे फेफड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि इससे दिल की बीमारियां, तनाव, अवसाद और नपुंसकता समेत अन्य अनेक रोग भी पैदा हो रहे हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को भी समस्याएं हो रही हैं।