The angel became the servant of the poor family

इंश्योरेंस सेक्टर: प्रोफेशनल्स की बढ़ रही मांग
इंश्योरेंस इंडस्ट्री एक ऐसी इंडस्ट्री है जो पिछले कुछ सालों से लगातार तेजी से विस्तार कर रही है, जिसके चलते प्रोफेशनल्स की डिमांड काफी बढ़ गया है।

यदि आप भी इंश्योरेंस सेक्टर में करियर बनाने का सोच रहे हैं तो यह समय काफी गई है, खास कर कोरोना के बाद इंश्योरेंस के हेल्थ सेक्टर में बूस्ट आया है। आज के समय लगभग हर परिस्थिति से निपटने के लिए बीमा कंपनियों के पास पॉलिसी हैं।

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जीवन बीमा, यात्रा बीमा, वाहन बीमा, स्वस्थ्य बीमा तथा गृह बीमा इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित हैं।

अंतर्राष्ट्रीय फोकस:

इंश्योरेंस किसी भी व्यक्ति के धन, एसेट्स, लाइफ और संपत्तियों को सुरक्षित रखने का एक बहुत ही लोकप्रिय तरीका है। विकसित जैसे कि, अमेरिका और इंग्लैंड में यह सेक्टर काफी विश्वसनीय और सिस्टमेटिक है। भारत में, इन सिस्टम्स का अभी विकास हो रहा है और अभी इन्हें पूरी तरह महत्वपूर्ण बनने में समय लगेगा। एलआईसी (लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आॅफ इंडियन लि.) और जीआईसी (जनरल इंश्योरेंस कंपनी आॅफ इंडिया लि.) जैसी कंपनीज काफी विश्वसनीय कंपनियों में से दो मशहूर कम्पनियां हैं। इनके अलावा, सभी प्राइवेट कम्पनियां इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (आईआरडीए) एक्ट के तहत काम करती हैं।

एजुकेशन:

इस क्षेत्र में जाने के लिए आप 12वीं व ग्रेजुएशन के बाद भी जा सकते हैं, लेकिन विषय का पूरा ज्ञान लेने के लिए बीमा साइंस से संबंधित कोर्सेस में स्नातक डिग्री के लिए मैथ्स या स्टेटिस्टिक्स में 55 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास होना आवश्यक है जबकि पीजी डिप्लोमा, मास्टर्स डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स के लिए मैथ्स-स्टेटिस्टिक्स, इकोनॉमेट्रिक्स सब्जेक्ट से स्नातक जरूरी है। स्टूडेंट्स, इंस्टीट्यूट आॅफ एक्चुरीज आॅफ इंडिया को मेंबर के तौर पर भी ज्वाइन कर सकते हैं। बीमा से संबंधित प्रोफेशनल बनने के लिए स्टूडेंट्स को एक्चुरियल सोसाइटी आॅफ इंडिया का फेलो मेंबर होना जरूरी है। यह संस्थान इसमें कोर्सेस भी कराता है।

कुछ प्रमुख पाठयक्रम:

  • पीजी डिप्लोमा इन रिस्क एंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट
  • पीजी डिप्लोमा इन इंश्योरेंस साइंस
  • बीएससी इन एक्चुअरियल साइंस
  • बीए इन इंश्योरेंस
  • मास्टर प्रोग्राम इन इंश्योरेंस बिजनेस
  • एमएससी इन एक्चुअरियल साइंस
  • एमबीए इन इंश्योरेंस
  • एमबीए इन इंश्योरेंस एंड बैंकिंग

आॅपर्च्युनिटी:

एक्चुरियल साइंस की डिग्री रखने वालों के लिए इन दिनों नौकरियों के लिए कई रास्ते खुल गए हैं। इंश्योरेंस, बैंकिंग, बीपीओ/केपीओ, आईटी सेक्टर, मल्टीनेशनल कंपनियों, फाइनेंशियल कंपनियों आदि में इनके लिए अच्छे मौके होते हैं। दूसरी तरफ, बीपीओ कंपनी में भी जोखिम के बारे में विश्लेषण करने के लिए बड़े पैमाने पर एक्चुरियल प्रोफेशनल्स की हायरिंग होती है।

बीपीओ में काम करने वाले एक्चुरी प्रोफेशनल्स की सैलरी भी आम बीपीओ एंप्लॉइज की तुलना में दो से तीन गुना अधिक होती है। भारत में संभावनाएं इसलिए भी अधिक हैं, क्योंकि वैश्विक ग्राहकों को कम संसाधन और न्यूनतम लागत में अच्छी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं।

वैसे, आज एक्चुरियल प्रोफेशनल्स की डिमांड सरकारी और प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों में ही नहीं, बल्कि टेरिफ एडवाइजरी कमिटी, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (आईआरडीए), सोशल सिक्योरिटी स्कीम, फाइनेंशियल एनालिसिस फर्म में भी है। प्राइवेट कंपनियों में एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, कोटक महिंद्रा और बिरला सनलाइफ जैसी कंपनियों में भी नौकरी की कोशिश की जा सकती है। एक्चुरियल प्रोफेशनल्स की मांग उन सभी सेक्टरों में होती है, जहां वित्तीय जोखिम की गुंजाइश होती है।

इस रूप में मिलेंगी नौकरियां:

डेवलपमेंट आॅफिसर :

इनका काम कंपनी के लिए नई योजनाएं तैयार करना है। पुरानी पॉलिसी को भी आकर्षक बनाने का काम ये करते हैं।

एक्चुअरी:

एक्चुअरी प्रोफेशनल बीमारी, निधन, दुर्घटना, विकलांगता आदि की स्थिति में जोखिम का आकलन करते हैं। बीमित व्यक्ति को कितनी धनराशि देनी है, यह भी तय करते हैं।

अंडरराइटर :

ये बीमा कंपनी को जोखिम का मूल्यांकन और बीमा दरें तय करने में मदद करते हैं। इस पर कंपनी नफे-नुकसान का गणित लगाती है। हर बीमा कंपनी में इनकी नियुक्ति की जाती है।

रिस्क मैनेजर :

सभी बीमा कंपनियां अपने जोखिम को कम करने के लिए रिस्क मैनेजरों को नियुक्त करती हैं।

इंश्योरेंस एजेंट :

ये ग्राहकों को सेवाएं एवं सहायता प्रदान करते हैं। बीमा ब्रांडों के प्रचार के लिए योजनाओं पर भी काम करते हैं। एक इंश्योरेंस एजेंट को बाजार की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

क्रेडिट कार्ड एजेंट :

ये प्रोडक्ट एवं सेवाओं को ग्राहकों तक पहुंचाने व उन्हें कंपनी की योजनाओं से अवगत कराते हैं।

क्रेडिट रिसर्च एनालिस्ट :

ये कंपनी के रिकॉर्ड का अध्ययन करते हैं व क्लाइंट को बाजार के ट्रेंड से अवगत कराते हैं।

सर्वेयर :

ये प्रमुख आपदा, जैसे-आगजनी, विस्फोट, भूकम्प, बाढ़ और दंगों आदि की स्थिति में सर्वे का कार्य करते हैं। इनका पहला काम लोकेशन पर जाकर क्षति का आकलन करना होता है।

जॉब प्राप्त करने के लिए जरुरी टिप्स:

इंश्योरेंस में अपनी ग्रेजुएशन या पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने के बाद आप किसी इंश्योरेंस प्रोफेशनल के तौर पर जॉब प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो कर सकते हैं।

  • जॉब की शुरूआत करने के लिए बढ़िया इंश्योरेंस कंपनीज की वेबसाइट्स समय-समय पर चेक करते रहें और उचित जॉब के लिए अप्लाई कर दें।
  • अपनी मित्रता और जान-पहचान का दायरा काफी बढ़ाएं, ताकि भविष्य में इंश्योरेंस डील्स के लिए बातचीत करने के लिए आपको उन लोगों से रेफरेंस प्राप्त हो सके।
  • सेलिंग स्किल्स, बिजनेस एटिकेट और बिजनेस कम्युनिकेशन के संबंध में सभी जरुरी किताबें पढ़ें।
  • लेटेस्ट वर्ल्ड इंश्योरेंस परिवेश और उन नई स्ट्रेटेजीज से अपडेटेड रहें जिन्हें अपनाया जा रहा है।
  • इंश्योरेंस पॉलिसीज में लागू किए जा सकने वाले आईआरडीए द्वारा बनाए जा रहे विभिन्न लॉज और रेगुलेशन्स तथा आगामी संशोधनों से अपडेटेड रहें।
  • टॉप फाइनेंस कंपनीज और उनके स्टॉक एक्सचेंज स्टेटस से अपडेटेड रहें ताकि आप उनके अनुरूप अपनी इंश्योरेंस सेलिंग्स और बातचीत/ नेगोशिएशन कर सकें।

जॉब प्रॉस्पेक्ट्स:

किसी इंश्योरेंस पेशेवर के लिए जॉब प्रॉस्पेक्ट्स दिन-पर-दिन बढ़ते जा रहे हैं। आप किसी इंश्योरेंस एजेंट के तौर पर काम कर सकते हैं और आपका प्रमुख काम लोगों को इंश्योरेंस पॉलिसीज बेचना होगा। इस काम के लिए आपको एक टारगेट अमाउंट दिया जाएगा जो आपको प्रीमियम्स के माध्यम से कमाना होगा। इसके बदले में आपको कमीशन दिया जायेगा। अन्य जॉब्स में सेल्स मैनेजर-इंश्योरेंस शामिल है जिसके तहत आपको विभिन्न इंश्योरेंस पॉलिसीज बेचने के लिए इंश्योरेंस एजेंट्स की टीम को हैंडल करना होगा। इसके अलावा, आप एक इंश्योरेंस अंडरराइटर/ जोखिम अंकनकर्ता के तौर पर भी जॉब कर सकते हैं।

सैलरी पैकेज:

इस क्षेत्र में काम की शुरूआत करने वाले प्रोफेशनल्स को अच्छी सैलरी पैकेज मिल जाता है। आपकी शुरूआती सैलरी 20 से 25 हजार रुपए के करीब होती है। अगर आपके पास इस क्षेत्र में कार्य करने का 8 से 10 साल का कार्य अनुभव है, तो सालाना सैलरी 10 से 20 लाख रुपए तक भी मिल सकती है।

डिमांड एंड सप्लाई:

इंश्योरेंस पेशेवरों की मांग आजकल काफी ज्यादा है। स्टेटिस्टिक्स के अनुसार दुनिया की केवल 14% जनसंख्या तक इंश्योरेंस पेशेवरों ने अपनी पहुंच बनाई है जिसका एक अर्थ यह है कि अभी भी 86% जनसंख्या को लेकर काफी संभावनाएं मौजूद हैं। इसलिए, मुख्य रूप से सप्लाई की तुलना में डिमांड काफी ज्यादा है, लेकिन केवल बिजनेस की काबिलियत और विषय के प्रति रूचि रखने वाले लोगों की जरूरत है। जैसे कि लोग कहते हैं, इंश्योरेंस प्रलोभन देने की सिफारिश करने का विषय है। इसलिए, यदि पॉलिसीज और सिस्टम्स उचित और सही हों तो इस फील्ड के इस्तेमाल से काफी रेवेन्यु प्राप्त किया जा सकता है।

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान:

  • कॉलेज आॅफ वोकेशनल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय
  • एकेडमी आॅफ इंश्योरेंस मैनेजमेंट, दिल्ली
  • बिड़ला इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, दिल्ली
  • इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया, मुंबई
  • एक्चुरियल सोसाइटी आॅफ इंडिया
  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
  • यूनिवर्सिटी आॅफ पुणे, पुणे
  • एमिटी स्कूल आॅफ इंश्योरेंस एंड एक्चुरियल साइंस, नोएडा

“किसी इंश्योरेंस पेशेवर के लिए जॉब प्रॉस्पेक्ट्स दिन-पर-दिन बढ़ते जा रहे हैं। आप किसी इंश्योरेंस एजेंट के तौर पर काम कर सकते हैं और आपका प्रमुख काम लोगों को इंश्योरेंस पॉलिसीज बेचना होगा। इस काम के लिए आपको एक टारगेट अमाउंट दिया जाएगा जो आपको प्रीमियम्स के माध्यम से कमाना होगा।”

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