Raksha Bandhan in Hindi - Sachi Shiksha

रक्षा बंधन के बारे में

About Raksha Bandhan in Hindi: रक्षाबंधन अर्थात् संरक्षण का एक अनूठा रिश्ता, जिसमें बहनें अपने भाइयों को राखी का धागा बाँधती है। बेशक धागे की डोर कच्ची हो, लेकिन इसमें बंधा रिश्ता ऐसे विश्वास की परत ओढ़े होता है, जो दुनियावी सब रिश्तों पर भारी पड़ता है। 1959 में रिलीज हुई फिल्म ‘छोटी बहन’ में लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत के बोल इस रिश्ते की मजूबत डोर को बयां करते हैं।

ये दिन ये त्यौहार खुशी का, पावन जैसे नीर नदी का।
भाई के उजले माथे पे, बहन लगाए मंगल टीका।
झूमे ये सावन सुहाना, सुहाना।
भैया मेरे,
राखी के बंधन को निभाना।।

यह गीत सरल शब्दों में गहरे अर्थ लिये हुए हैं। त्यौहारों की धरती भारत में रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र स्नेह की गवाही भरता है। एक बहन का वात्सल्य अपने भाई के प्रति प्रगाढ़ होता है, जिसे वह रक्षा के इस बंधन के रूप में व्यक्त करती है।

Hidden Meaning of Raksha Bandhan in Hindi

वहीं भाई की निष्ठा और विश्वास हमेशा रिश्तों की बुनियाद पर खरा उतरता है। बहन और भाई एक रिश्ता ही नहीं, अपितु इसमें एक दोस्त का भाव भी छुपा रहता है। मित्रता की भावना से भी यह धागा बाँधा जाता है, जिसे हम दोस्ती का धागा भी कहते हैं।

रक्षा बंधन का महत्व

History & Importance of Raksha Bandhan in Hindi: हर साल रक्षाबंधन के त्योहार का सभी बहनों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन भाई जहां कहीं भी हो, वे अपनी बहन से मिलने और उनसे राखी बंधवाने उनके पास पहुंच ही जाते हैं। मौका और भी खास हो जाता यदि बहन की शादी हो चुकी हो और वह दूसरे किसी शहर में रहती हो। ऐसे में तो इस त्योहार का इंतजार महीनों पहले से ही शुरू हो जाता है। यह दिन भाई-बहन के बीच प्रेम के अटूट रिश्ते को दर्शाता है।

इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, उन्हें मिठाई खिलाकर उनका मुंह मीठा करती हैं और अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। भाई भी अपनी सामाजिक मान-मर्यादाओं को हमेशा बरकरार रखने का वादा करता है और उस वादे को पूरा कराने का मादा भी रखता है, चाहे उसमें कितना भी जोखिम क्यंू न उठाना पड़े।

Raksha Bandhan in Present Times

इस रिश्ते को मौजूदा समय के संदर्भ में देखते हैं तो कहीं न कहीं यह भान होता है कि कच्चे धागे में बंधा यह पवित्र रिश्ता आज अपने मूल से भटकाव की ओर है। समाज में नित्य ऐसी घटनाएं देखने-सुनने में आ रही हैं, जहां रिश्तों की अहमियत खत्म होने की बात सामने आती है। एक बहन अपने भाई के ही नहीं, परिवार के प्रति अपनी जिम्मेवारियों को अहमियत न देकर कई बार उत्तेजना में ऐसे कदम उठा जाती हैं, जिससे समाज में उस परिवार की साख दांव पर लग जाती है।

एक बहन दलबीर कौर हुई है जिसने पाकिस्तान की जेल में बंद अपने भाई सरबजीत सिंह को बचाने के लिए कितनी मुसीबतों का सामना किया, हालांकि वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई लेकिन उसके प्रयास में कहीं कोई कमी नजर नहीं आई। वहीं पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में इसके विपरित ऐसी घटना भी सामने आई जिसने परिवार की इज्जत की धज्जियां उखेड़ कर रख दी। प्रेम विवाह की आड़ में कई बार लड़कियां अपनी सामाजिक मान-मर्यादाओं को ही भूल जाती हैं।

वे भूल जाती हैं कि जिस भाई ने उसे एक मित्र की तरह हर जगह सहयोग किया, उसके ऐसे गैर-जिम्मेदाराना स्टप से उस भाई पर क्या गुजरती होती, जो उसके लिए मन में हजारों अरमान पाले हुए था। ऐसे दुखद पहलू समाज के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।

Dignity of Raksha Bandhan

कहते हैं कि रक्षाबंधन की मर्यादा को कायम रखते हुए सम्राट हुमायूं ने अपनी मुंहबोली बहन बनी रानी कर्णावती की रक्षा के लिए अपनी ताकत का प्रयोग किया था। उस मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थीं। राजा की अनुपस्थिति में रानी अपने राज्य की रक्षा कैसे करें उन्हें समझ नहीं आ रहा था।

इसलिए उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से खुद को अपनी प्रजा को बचाने के लिए उन्होंने हुमायूं से मदद मांगी। उन्होंने हुमायूं को एक राखी भेजी और उनसे रक्षा के लिए निवेदन किया। रानी की यह राखी पाकर बादशाह ने उन्हें बहन का दर्जा दिया और उनके राज्य को सुरक्षा प्रदान की। रक्षाबंधन पर बहन द्वारा राखी बांधने की सदियों पुरानी परंपरा रही है। इस त्यौहार की सार्थकता तभी है जब भाई ही नहीं, बहन भी अपने कर्त्तव्यों को निष्ठा से निभाए। वहीं भाई को भी अपने दायित्वों के साथ बहन के हर दुख-सुख में सांझीदार बनना चाहिए, तभी सही मायनों में रक्षा का वचन देने वाले रक्षाबंधन पर्व की सार्थकता पूर्ण होगी।

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