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नन्हे वंश की किडनियों से जीवंत हो उठा दूसरों का ‘वंश’

अनुकरणीय: भगतयोद्धा की दाम्पत्य जोड़ी ने डेरा सच्चा सौदा की अंगदान मुहिम को दिया नया आयाम

लहरागागा का 11 महीने का वंश आज भले ही इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके महान त्याग के चर्चे रहती दुनिया तक होते रहेंगे। इस अल्पायु में वंश के ब्रैनडेड घोषित होने के बाद परिवारजनों ने अपने जज्बातों और पीड़ा की घड़ी में खुद को संभालते हुए मानवता भलाई का दामन नहीं छोड़ा और एक फूल की मानिंद कोमल से अपने पुत्र के अंगदान व शरीरदान करने का फैसला लिया, जो इन्सानियत की मिसाल कही जा सकती है।

बता दें कि वंश की दोनों किडनियां एक व्यस्क व्यक्ति को प्रत्यारोपित की गई, जिससे उसके तन में फिर से जीवन की ज्योति ज्वलित हो उठी। दूसरी ओर नन्हे वंश का शरीर मैडिकल रिसर्च के लिए दान कर दिया गया। गौरतलब है कि पीजीआई चंडीगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी शिशु के अंग और शरीर दोनों एक साथ दान हुए हों।

पंजाब प्रांत के जिला संगरुर निवासी प्रेमी गुलजारी लाल इन्सां ने बताया कि मेरा पूरा परिवार डेरा सच्चा सौदा के साथ लंबे समय से जुड़ा हुआ है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां हमेशा हमें नि:स्वार्थ मानवता भलाई का पाठ पढ़ाते हैं और इन्सानियत के काम आने के लिए प्रेरित करते हैं। गत 16 मई को घर में एक हादसा हुआ, जिसमें मेरे 11 महीने के मासूम पोते ‘वंश’ के सिर में गंभीर चोट आ गई। उसे पहले संगरुर, फिर पटियाला शहर में भर्ती करवाया गया, लेकिन बाद में चिकित्सकों ने बच्चे को पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया।

जहां डाक्टरों ने 18 मई को उसे ब्रेन-डेड घोषित कर दिया। मेरे परिवार के लिए यह बहुत ही दुखदाई समय था, क्योंकि चिकित्सकों के अनुसार, वंश के जीवन की उम्मीद खत्म हो चुकी थी। वंश के पिता टोनी बांसल व माता प्रेमलता ने हिम्मत नहीं हारी और डेरा सच्चा सौदा की प्रेरणा का अनुसरण करते हुए अपने नन्हें बेटे वंश के अंग दान करने का फैसला लिया, ताकि दूसरों के घर का वंश जिंदा रह सके। पीजींआई के चिकित्सकों से सलाह-मशवरा करते हुए मैडिकल टीम ने वंश की दोनों किडनियों को प्रत्यारोपित करने की हामी भर दी। वहीं 23 मई को वंश की पार्थिव देह भी मैडिकल रिसर्च के लिए दान कर दी गई।

पंजाब के लहरागागा (संगरूर) निवासी भक्त योद्धा टोनी बांसल ने बताया कि उनके घर 27 जून 2024 को पुत्र के रूप में वंश ने जन्म लिया था। इससे पूर्व उनके पास एक बेटा और एक बेटी है। टोनी बांसल ने बताया कि उनका पूरा परिवार डेरा सच्चा सौदा के साथ जुड़ा हुआ है और हमने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा से ही वंश के अंग दान और शरीर दान का फैसला किया है। बता दें कि टोनी बांसल का परिवार डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए 168 मानवता भलाई कार्यों में हमेशा से ही पूरा सहयोग करते हैं। उनके पिता गुलजारी लाल इन्सां दैनिक सच कहूँ व मासिक पत्रिका सच्ची शिक्षा के एजेंसी होल्डर हैं। वहीं उनके बड़े भाई जिम्मी बांसल व प्रेमी सेवक राजेंद्र कुमार भी सेवाकार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करते हैं। राजेंद्र कुमार की पत्नी नैंसी इन्सां दैनिक समाचार पत्र सच कहूँ की लहरागागा से प्रेस-रिपोर्टर है।

मैं हैरान हूं कि इस परिवार ने अपने 11 महीने के छोटे-से बच्चे के अंग दान करने के लिए बिल्कुल भी समय खराब नहीं किया। अंगों के फेल होने के बाद मरीजों के लिए दूसरी जिंदगी हासिल करने के लिए सिर्फ अंग ट्रांसप्लांट का ही रास्ता बचता है। यह ट्रांसप्लांट तभी मुमकिन है, अगर कोई अपने अंगों को दान करे। वंश ने अपनी छोटी-सी उम्र में दुनिया के सामने एक बड़ी मिसाल पेश की है।  -डॉ. पारूल, पीजीआई चंडीगढ़।

डॉक्टरों ने बरसाए फूल

पीजीआई में वंश के अंगों को दान करने के बाद शरीर दान करने के लिए जब उनकी पार्थिव देह को ले जाया जा रहा था, तो इस महान कार्य को देखते हुए पीजीआई के स्टाफ ने वंश को सलामी दी। इस दौरान पीजीआई के डॉक्टरों ने वंश पर फूलों की वर्षा करते हुए कहा कि वंश के इस योगदान को पीजीआई के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।

पीजीआई ने माना, इस महान करुणा के पीछे डेरा सच्चा सौदा की प्रेरणा

मास्टर वंश के इस महान त्याग को पीजीआई संस्थान ने नमन किया और परिजनों का धन्यवाद करते हुए लिखा कि हम आपके साहसिक निर्णय के लिए कृतज्ञ हैं कि आपने अपने वंश के अंगदान कर जीवन के लिए जूझ रहे मरीज को अंग ट्रांसप्लांट के जरिए अनमोल उपहार दिया है। पीजीआई मैडिकल रिसर्च संस्थान के डॉ. अशोक कुमार ने अपनी ओर से जारी प्रशंसा पत्र में इस महान त्याग एवं करुणा के लिए डेरा सच्चा सौदा की प्रेरणा की सराहना करते हुए लिखा कि हम डेरा सच्चा सौदा की प्रेरणा को सच्चे मन से स्वीकार करते हैं। डेरा सच्चा सौदा द्वारा अंगदान एवं देहदान के निरंतर प्रचार-प्रसार ने अनगिनत लोगों को जीवन का प्रकाश दिया है। हम इस पुनीत कार्य को बढ़ावा देने के लिए संस्था के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं।