तरोताजा कर देती है तीर्थन घाटी
गर्मी में ठंडक और सुकून दे सकने वाली जगह तलाशने वाले पर्यटकों के लिए हिमाचल प्रदेश की तीर्थन घाटी एक मनपसंद जगह हो सकती है। पहाड़ों पर कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां ज्यादा भीड़ रहने लगी है और ऐसे में अब पर्यटक उन जगहों की तलाश करते हैं जहां भीड़भाड़ कम हो और इस दृष्टि से तीर्थन घाटी उपयुक्त है। यह घाटी घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच ऐसी जगह है जहां आप शांत माहौल में अकेले, परिवार या दोस्तों के साथ सुकून के पल गुजार सकते हैं।
पहाड़ों के बीच खूबसूरत हरे-भरे जंगलों में स्थित यह जगह विभिन्न तरह के ट्रेक का प्रवेश-द्वार भी है। इसलिए अगर आपको एडवेंचर पसंद है तो भी यह जगह आपको खूब भाने वाली है। यहां आप ट्रेकिंग, वाइल्ड लाइफ आदि सभी प्राकृतिक नजारों का मजा ले सकते हैं। छुट्टियां बिताने के लिए यह ‘तीर्थन घाटी’ अच्छा विकल्प है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है तीर्थन घाटी। यह कसोल से करीबन 75 किलोमीटर की दूरी पर है।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह हिमाचल प्रदेश की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक है जो सालभर बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती है। रोमांच की तलाश में रहने वाले पर्यटकों के लिए तो यह घाटी स्वर्ग से कम नहीं है। पूरे वर्ष के दौरान ही यहां प्रकृति के अलग-अलग रंग नजर आते हैं। जब मैदानी इलाकों में गर्मी मुंह चिढ़ाने लगती है, तब यह जगह अच्छी शरणस्थली बन जाती है।
तीर्थन नदी के किनारे होने की वजह से इसका नाम तीर्थन घाटी पड़ा। जिन लोगों को नदी के किनारे पसंद हैं, यह जगह उनके लिए आदर्श है। नदी के साथ ही झरने देखना सभी को भाता है, खासतौर पर बच्चों और युवाओं को यहां के छोटे-बड़े झरनों में खूब मजा आता है।
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तीर्थन घाटी के प्रमुख दर्शनीय स्थल:
ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क:
तीर्थन घाटी से तीन किलोमीटर की दूरी पर ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क है। 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह राष्टÑीय पार्क 30 से अधिक स्तनधारियों और 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों सहित वनस्पतियों और जानवरों की कई प्रजातियों की एक विस्तृत विविधता को समेटे हैं। प्रमुख वनस्पतियों में चंदवा वन, ओक, अल्पाइन झाड़ियां, उप अल्पाइन समुदायों और अल्पाइन घास शामिल हैं। पार्क कई फूलों की प्रजातियों के लिए भी प्रसिद्ध है जिनका सुगंध और औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
पाराशर झील:
तीर्थन घाटी की खूबसूरती में चार चांद लगाती है पाराशर झील। इस झील के किनारे पर तीन मंजिला पगोड़ा स्टाइल का मंदिर है। मंदिर और झील दोनों ऋषि पाराशर के नाम पर हैं, जिन्होंने यहां ध्यान किया था।
जिभी झरना:
यहां का एक और मुख्य आकर्षण जिभी झरना है। पहाड़ों से गिरते झरने खूबसूरत तो लगते ही हैं लेकिन उनकी तेज रफ्तार वाली धार को देखने का मजा ही कुछ अलग होता है। यहां आप घंटों बैठकर बहते पानी का आनंद ले सकते हैं। ज्यादा भीड़ नहीं होने के कारण आपको पूरा सुकून मिलता है।
चौहणी गांव:
यहां स्थित चैहणी गांव बहुत ही खूबसूरत गांव है। इस छोटे से गांव की खूबसूरती अपने आप में अनोखी है। यहां एक चैहणी कोठी है। लकड़ी से बनी ये कोठी तकरीबन 1500 साल पुरानी है। यह कोठी कभी कुल्लू के राजा राणा ढांढियां का निवास स्थान हुआ करता था। पहले यह कोठी 15 मंजिला थी लेकिन 1905 में आए भूकंप के बाद यह इमारत बस 10 मंजिला ही रह गई है। यह कोठी पूर्वी हिमालय क्षेत्र की सबसे ऊंची कोठी है। चैहणी के अलावा यहां के नागिनी, घुशैनी, बंजर और शोजा गांव भी सौंदर्य से भरपूर हैं।
जलोरी पास और सिरोलसार झील:
अगर आप तीर्थन घाटी जा रहे हैं तो जलोरी पास और सिरोलसार झील देखना न भूलें। यहां पहुंचने का रास्ता भी बहुत ही रोमांचकारी है। सर्दी में लगता है रास्तों पर बर्फ की चादर बिछी हुई है। बीच में जमी हुई झील और उसके चारों ओर बर्फ ही बर्फ और ऊंचाई पर बना एक मंदिर। इसका खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। यहां बैठकर आप घंटों अपना समय बिता सकते हैं।
किस समय जाएं:
सालभर तीर्थन घाटी का मौसम सुहावना रहता है। इसी वजह से यहां हर मौसम में लोग आते हैं। हालांकि सर्दियों के मौसम में बहुत ज्यादा ठंड होती है। यहां जाने का सबसे उपयुक्त समय गर्मियों से सर्दियों की शुरूआत तक है। यानि मार्च से अक्तूबर महीने तक आप कभी भी इस घाटी का आनंद ले सकते हैं। इसमें भी जून तक का समय सबसे आदर्श है। इस समय पूरी घाटी फूलों और फलों से सजी हुई नजर आती है। साथ ही मौसम भी इतना सर्द नहीं होता। इसके साथ ही आप कई सारे एडवेंचर स्पोटर््स का आनंद भी ले पाएंगे।
कहां रुकें:
यूं तो रूकने के लिए आसपास कई रिसोर्ट हैं लेकिन नदी के किनारे स्थित लकड़ी के बने घरों में रुकने का मजा ही कुछ और है। यहां पहुंचने के लिए एक तार से लटकी हुई डलिया से नदी को पार करना रोमांचक है। अगर आपको ट्रेकिंग का शौक है तो यहां आप अपनी क्षमता और कठिनाई के स्तर के आधार पर, आधा दिन या फिर पूरे दिन ट्रेकिंग कर सकते हैं। कैंपिंग भी की जा सकती है।
कैसे पहुंचे:
सड़क मार्ग:
दिल्ली से वॉल्वो और हिमाचल टूरिज्म की बसें मिलती हैं जो आपको सुबह 6 बजे के करीब ओट पहुंचाएंगी। यहां से तीर्थन घाटी की दूरी 30 किलोमीटर है जिसके लिए आपको टैक्सी लेनी होगी।
रेल मार्ग:
तीर्थन घाटी का अपना कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। शिमला तक पहुंचने के बाद आपको टैक्सी से तीर्थन घाटी जाना होगा। वैसे चंडीगढ़ से नजदीक कालका तक की ट्रेन भी उपलब्ध है।
हवाई मार्ग:
अगर आप हवाई यात्र कर रहे हैं तो भुंतर सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, यहां से टैक्सी लेकर तीर्थन घाटी तक पहुंचा जा सकता है।