Use your power young

अपनी शक्ति का सदुपयोग करें युवा | Use your power young
हर पल कुछ नया करने का जुनून, नई बातें जानने की जिज्ञासा, कुछ कर गुजरने का जज्बा और जिंदगी, जिंदादिली से जीने की इच्छा। कुछ इसी तरह की शक्तियों का मिला-जुला रूप है युवा वर्ग। युवाओं को अपनी शक्ति को सही दिशा में लगाने की आवश्यकता है।

युवा शब्द का अर्थ है जीवंतता, आनंद, उत्साह और जुनून। क्योंकि युवा पीढ़ी के लोग जोश से भरे हुए हैं। वे हर समय नई चीजें जानने के लिए और दुनिया में नई खोजों का पता लगाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उनका एनर्जी लेवल बहुत हाई होता है।

युवा शक्ति:

हालांकि युवा शक्ति का लोहा दुनिया भर में माना जाता है। लेकिन आज की युवा शक्ति को सकारात्मकता की ओर मोड़ना बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। जहां इस शक्ति को सही दिशा में मोड़ा जा सकता है वहीं नई ऊंचाइयां नापी जा सकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि युवा शक्ति की ऊर्जा का सकारात्मक कार्यों में उपयोग करना समाज और सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है और इसे निभा कर ही युवाओं को सृजनात्मक कार्यों में लगाया जा सकता है।

प्रतिभावान युवा:

हर पीढ़ी की अपनी सोच और विचार होते हैं, जो समाज के विकास की दिशा में योगदान देते हैं। हालांकि एक तरफ मानव मन और बुद्धि समय गुजरने के साथ काफी विकसित हो गई है, वहीं लोग भी काफी बेसब्र हो गए हैं। आज का युवा प्रतिभा और क्षमता वाला है, लेकिन इसे भी बेसब्र कहा जा सकता है। आज का युवा सीखने और नई चीजों को तलाशने के लिए उत्सुक है। अब जब वे अपने बड़ों से सलाह ले सकते हैं तो वे हर कदम पर उनके द्वारा निर्देशित नहीं होना चाहते हैं।

जिम्मेदार कौन:

आज का युवा वर्ग हर चीज को जल्दबाजी में पूरा करना चाहता है। इसी वजह से कई बार वह अपने मार्ग से भटक जाता है, उसको सही समझ में नहीं आता कि दिशा सही है या गलत। ऐसा भी नहीं है कि युवा वर्ग हमेशा ही गलत होता है। आज विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित, वास्तुकला, इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों में बहुत प्रगति हुई है और वह आज के युवा वर्ग की वजह से ही संभव हो सका है। पर हम इस तथ्य से भी इनकार नहीं कर सकते हैं कि अपराध की दर में भी समय के साथ काफी वृद्धि हुई है और इस हिंसा के एक प्रमुख हिस्से के लिए युवा भी जिम्मेदार हैं।

कारक:

कई कारक हैं जो युवा पीढ़ी को अपराध करने के लिए उकसाते हैं। यहां इनमें से कुछ हैं, शिक्षा की कमी, बेरोजगारी, पॉवर प्ले, जीवन की ओर पनपता असंतोष, बढ़ती प्रतिस्पर्धा। भारत इस वक्त बहुत ही सुनहरे दौर से गुजर रहा है। हमारे देश में इस समय युवाओं की संख्या ज्यादा है, जिसकी वजह से वह उतनी ही तेजी से तरक्की भी कर सकता है। लेकिन यह सब कारक हमारे युवाओं की तरक्की ही नहीं अपितु देश की तरक्की को भी रोक रहे हैं। युवाओं को चाहिए कि उनकी ऊर्जा नष्ट न होने पाए। उन्हें सभी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा अवसर तलाशने चाहिए। उनको पॉजिटिव सोच के साथ राष्टÑ निर्माण में अपना सहयोग देना होगा।

सबका साथ:

आज बेरोजगारी सुरसा के मुख की तरह बढ़ रही है। यह मुख्य समस्याओं में भी एक है। इनके उन्मूलन के लिए हमें युवाओं को सहयोग देना होगा और रोजगार दिलाने वाली शिक्षा का इंतजाम करना होगा। लेकिन अगर युवा शक्ति अपने जीवन को बदलने की दिशा में काम करें और सुविधा जुटाएं, तो भविष्य उज्जवल होकर रहेगा।

दायित्व सबका:

अंधेरे की ओर बढ़ती इस पीढ़ी को संवेदनशील बनना होगा। उनको यह दायित्व निभाना होगा कि वह आने वाली पीढ़ी को भी सही मार्ग दिखाएं। यही उन सबके जीवन का दायित्व है। समाज में रह रहे सभी लोगोें को समय-समय पर दायित्वों के प्रति प्रेरित करते रहना उनका भी कर्तव्य है। उनको समझना होगा कि बड़ों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए और हमारे सामाजिक सांसारिक व राष्टÑीय दायित्व क्या हैं?

शिक्षा का प्रचार-प्रसार

हमारे देश में शिक्षा के मामले में सुधार की जरूरत है। हम स्वयं तब तक एक विकासशील राष्टÑ नहीं कह सकते, जब तक तीन में से एक आदमी अपना नाम तक नहंी लिख सकता। बिना शिक्षा के प्रचार प्रसार के एक सेहतमंद समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। बिना सेहतमंद समाज के एक गौरवपूर्ण राष्टÑ का ख्वाब नामुमकिन है। युवा आगे बढ़े, निरक्षता उन्मूलन में सहयोग दें।

संभावनाएं हैं

भारत वास्तविक अर्थों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमें उम्मीद है कि इस देश को हमारा युवा तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दुनिया का बेहतरीन देश बना सकता है। हमारे युवाओं में जबरदस्त संभावनाएं हैं, ऊर्जा है और कुछ कर गुजरने की भावना भी। उनको एक ऐसे भारत का निर्माण करना है, जिसमें लोगों का जीवन स्तर काफी ऊंचा हो और यह तभी हो सकता है जब हमारे युवा बेहतर शिक्षा, श्रेष्ठ प्रशिक्षण और विकास के अनुकूल वातावरण पर काम करें।

यह माता-पिता का भी कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों का पोषण करें और उन्हें अच्छा इंसान बनने में मदद करें। देश के युवाओं के निर्माण में शिक्षक भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उन्हें अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए।

ईमानदार और प्रतिबद्ध व्यक्तियों को पोषित करके वे एक मजबूत राष्टÑ का निर्माण कर सकते हैं। युवा कल की आशा हैं। वे राष्टÑ के सबसे ऊर्जावान भाग में से एक हैं और इसीलिए उनसे बहुत उम्मीदें हैं।

सही मानसिकता और क्षमता के साथ युवा राष्टÑ के विकास में योगदान दे सकते हैं और इसे आगे बढ़ा सकते हैं।
ईश्वर ने मनुष्य को एक अलग ही सोचने व समझने की शक्ति प्रदान की है। अगर हम संस्कारों व नैतिकता को छोड़ संस्कारविहीन होने लग जाएं तो मनुष्य व पशु में क्या अंतर रह जाएगा।

इस पीढ़ी का दायित्व बनता है कि भटके हुए को अच्छे आचरण व स्नेह तथा दयालुता से अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें, न कि स्वयं गलत राह अपना लें।

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