Career in Graphic Designing

रचनात्मक सोच है तो बनाएं ग्राफिक डिजाइनिंग में करियर | Career in Graphic Designing
आज लगभग हर क्षेत्र में ग्राफिक डिजाइनिंग का इस्तेमाल हो रहा है। फिर उसका इस्तेमाल किसी प्रोडक्ट को बाजार में स्थापित करने के लिए हो या मनोरंजन के लिए, ग्राफिक आर्ट के पेशेवरों के लिए एक सफल करियर की संभावनाएं बनी हुई हैं।

युवाओं के बीच एनिमेशन और ग्राफिक डिजाइन एक लोकप्रिय पेशा है।

इसलिए 12वीं में अच्छे अंक लाने वाले कई छात्र पारंपरिक पेशों की ओर बढ़ने के बजाए एनिमेशन और ग्राफिक डिजाइनिंग में करियर को प्राथमिकता दे रहे हैं। आज लगभग हर जगह कंप्यूटर ग्राफिक्स का इस्तेमाल होता है। इंजीनियरिंग, फैशन डिजाइनिंग, सिनेमा में इनका खूब उपयोग होता है। इस डिजिटल दौर में कंपनियां या विभिन्न संस्थाएं प्रचार के कामों में या उत्पादों को बेहतर बनाने में ग्राफिक डिजाइन का इस्तेमाल करती हैं।

इस पेशे में पिछले कुछ सालों में कुशल युवाओं की मांग बढ़ी है। आजकल सभी सॉफ्टवेयर ‘ग्राफिकल यूजर इंटरफेस’ से युक्त होते हैं। इसे बनाने वाले ग्राफिक डिजाइनिंग के कुशल पेशेवर ही होते हैं। जिन युवाओं को आर्ट बेहद पसंद है, उनमें अगर रचनात्मक सोच के साथ सौंदर्यबोध है, तो वह इस क्षेत्र में बेहतर करियर बनाने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

क्या है ग्राफिक डिजाइनिंग:

यह चित्र/दृश्य के माध्यम से संवाद की एक कला है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें एक पेशेवर किसी संदेश को चित्र, छवियों, आकार और रंगों के जरिये प्रभावी व रोचक तरीके से व्यक्त करता है। यहां एक पेशेवर को सामान्य लोगो (प्रतीक चिन्ह) से लेकर जटिल वेब पेज की डिजाइनिंग जैसे काम तक करने होते हैं।

नौकरी के अवसर:

नए लोगों से लेकर अनुभवी पेशेवरों तक को स्टार्टअप्स और बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरियों के मौके मिल रहे हैं। कम पारिश्रमिक पर अच्छा काम होने की वजह से एनिमेशन या डिजाइनिंग से जुड़ी भारतीय कंपनियों को विदेश से भी काम के ढेरों अवसर मिलते हैं। इससे कुशल पेशेवरों के लिए काम की कोई कमी नहीं रहती। यह क्षेत्र कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट, स्टोरी बोर्डिंग, मल्टीमीडिया डिजाइनर, वेब डिजाइनर, प्रोडक्ट डिजाइनर, आर्ट डायरेक्टर, मार्केटिंग एक्सपर्ट जैसे पेशों में बंटा हुआ है।

इन पेशों में प्रोडक्शन स्तर पर सबसे ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ती है, इसलिए यहां नौकरियां भी ज्यादा होती हैं। लेकिन, प्री-प्रोडक्शन स्तर पर चुनिंदा नौकरियां ही होती हैं। अगर युवा में क्षमता है, तो उसके लिए नौकरी पाना मुश्किल नहीं है। कुशल युवा एडवरटाइजिंग, साफ्टवेयर से जुड़े क्षेत्रों में सहजता से नौकरी पा सकते हैं।

आईटी कंपनियों में काम करने वाले डेवलपर्स या मार्केटिंग विशेषज्ञ ग्राफिक्स डिजाइनिंग का स्किल अर्जित कर कार्यक्षेत्र में अपनी उपयोगिता बढ़ा सकते हैं। पेशेवर अपने डिजाइन आॅनलाइन भी बेच सकते हैं या फ्रीलांसिंग से कमाई कर सकते हैं। फ्रीलांसर के तौर पर युवा फ्रीलांसर, अपवर्क, फिवर, 99डिजाइन जैसी वेबसाइटों की मदद से काम प्राप्त कर सकते हैं।

क्या हो क्षमताएं:

उम्मीदवार में एचटीएमएल, सीएसएस, जावा स्क्रिप्ट व अन्य वेब डिजाइनिंग लैंग्वेज की बुनियादी समझ होनी चाहिए। कुछ नया करने की चाह और ज्यादा से ज्यादा अभ्यास आगे बढ़ने की सीढ़ी है। इनके अलावा विश्लेषण कौशल, बेहतर संवाद क्षमता व समय प्रबंधन जैसे गुण आगे बढ़ने के लिए जरूरी हैं। लेकिन, एक सफल ग्राफिक डिजाइनर वही बन पाता है, जो रचनात्मक सोच का होता है।

कैसे पाएं प्रशिक्षण:

किसी पारंपरिक क्षेत्र में जहां एक युवा को कोर्स पूरा कर अपनी डिग्री के आधार पर नौकरी मिलती है, वहीं ग्राफिक्स, एनिमेशन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां सर्टिफिकेट से ज्यादा उम्मीदवार के हासिल किए हुनर पर बात होती है। यही वजह है कि कोर्स के दौरान ही कुशल युवाओं को नौकरी के मौके मिल रहे हैं। वैसे, भारतीय संस्थानों में एनिमेशन या ग्राफिक डिजाइनिंग में फाउंडेशन कोर्स से लेकर चार साल तक के डिग्री कोर्स करवाए जाते हैं। कोर्स में प्रवेश के लिए कम से कम 12वीं पास होना जरूरी है।

ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के स्तर पर कई डिप्लोमा एवं पीजी डिप्लोमा स्तर के कोर्स कराए जाते हैं,

जिनमें से प्रमुख कोर्स हैं-

  • बैचलर इन फाइन आर्ट्स बीटेक इन कंप्यूटर साइंस
  • पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ग्राफिक डिजाइन बैचलर
  • आॅफ डिजाइन इन ग्राफिक डिजाइन बैचलर आॅफ
  • आर्ट्स इन ग्राफिक डिजाइन मास्टर आॅफ आर्ट्स इन
  • ग्राफिक डिजाइन मास्टर आॅफ डिजाइन इन ग्राफिक

कैसी है कमाई:

इस क्षेत्र में शुरूआत में ढाई लाख रुपयों तक का सालाना वेतन पा सकते हैं। कुछ वक्त बाद ग्राफिक डिजाइन में अनुभव के अनुसार सैलरी बढ़ती जाती है। बड़े स्तर पर भी पहचान बनाने के मौके मिलते हैं।

चुनौतियां:

क्लाइंट की जरूरत के अनुसार डिजाइन तैयार करना आसान नहीं होता। समय सीमा या उससे पहले प्रोजेक्ट की प्रस्तुति मायने रखती है। ग्राफिक डिजाइनिंग में जितनी जल्दी कोई नया चलन पैदा होता है, उतनी ही जल्दी चला भी जाता है।

कुछ प्रचलित पेशे:

कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट:

ये पेशेवर किसी चरित्र को अपनी कल्पना से पहले किसी कागज पर उकेरते हैं, फिर तकनीक और कौशल के जरिये एनिमेटेड कैरेक्टर में बदलते हैं।

मल्टीमीडिया डिजाइनर:

ये पेशेवर ग्राफिक डिजाइन को एनिमेशन के साथ जोड़कर कंप्यूटर आधारित फिल्म या प्रजेंटेशन तैयार करते हैं। इनके बनाए डिजाइन वेब पेज, टीवी के विज्ञापनों, कंप्यूटर गेम्स और फिल्मों में नजर आते हैं।

वेब डिजाइनर:

ये पेशेवर वेबसाइट और उससे जुड़ी एप्लिकेशन बनाते हैं।

यूजर इंटरफेस डिजाइनर:

ये पेशेवर तय करते हैं कि कोई प्रोडक्ट कैसा दिखेगा। वह स्केच, फोटोशॉप, इलस्ट्रेटर जैसे डिजाइनिंग टूल का इस्तेमाल कर प्रोडक्ट के रंग, आकार जैसी चीजों को तय करते हैं।

आर्ट डायरेक्टर:

ये पेशेवर इसके जिम्मेदार होते हैं कि कोई विज्ञापन उपभोक्ताओं को किस रूप में दिखेगा। यह अपने क्लाइंट/ग्राहक की जरूरत के अनुरूप उनके संदेश को उपभोक्ता तक पहुंचाने का काम करते हैं।

प्रमुख संस्थान:

  • नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइन, नई दिल्ली।
  • पर्ल अकादमी, दिल्ली।
  • एनआईएफटी, दिल्ली।
  • सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइन, पुणे।
  • एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा।
  • एमएएसी, दिल्ली।
  • एरिना, दिल्ली-एनसीआर।

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