मातृभुमि के सम्मान एवं उसकी आजादी के लिये असंख्य वीरों ने अपने जीवन की आहूति दी थी। देशभक्तों की गाथाओं से भारतीय इतिहास के पृष्ठ भरे हुए हैं। देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत हजारों की संख्या में भारत माता के वीर सपूतों ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। आइए जानते हैं Gantantra Diwas Ka Mahatva.
ऐसे ही महान देशभक्तों के त्याग और बलिदान के परिणाम स्वरूप हमारा देश, गणतान्त्रिक देश हो सका। गणतन्त्र (गण+तंत्र) का अर्थ है, जनता द्वारा जनता के लिये शासन। इस व्यवस्था को हम सभी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। वैसे तो भारत में सभी पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, परन्तु गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। इस पर्व का महत्व इसलिये भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसे सभी जाति एवं वर्ग के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं। (Gantantra diwas kab manaya jata hai? 26th January) 26 जनवरी, 1950 भारतीय इतिहास में इसलिये भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भारत का संविधान, इसी दिन अस्तित्व मे आया और भारत वास्तव में एक संप्रभु देश बना। भारत का संविधान लिखित एवं सबसे बड़ा संविधान है। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष,11 माह व 18 दिन लगे और इसमें लगभग 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए।
संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिनों तक बहस हुई। संविधान को जब 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। लेकिन वर्तमान समय में संविधान में 25 भाग, 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई थी और उसी दिन संविधान सभा द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया। 11 दिसम्बर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष चुने गए थे। भारतीय संविधान के वास्तुकार, भारत रत्न से अलंकृत डॉ. भीमराव अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।
भारतीय संविधान, कानून, न्यायालय, शासन और प्रशासन ही किसी गणतंत्र का केवल अन्तिम उद्देश्य नहीं हो सकते हैं, अपितु अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के आंसू पोंछने का साहस और सहानुभूति भी एक सफल गणतंत्र का सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए। लहराता हुआ तिरंगा रोम-रोम में जोश का संचार कर रहा है, चहुँओर खुशियों की सौगात है। हम सब मिलकर उन सभी अमर बलिदानियों को अपनी भावांजली से नमन करें, वंदन करें।
गणतंत्र दिवस से जुड़े तीन रंगों का खास महत्व है। केसरिया साहस और बलिदान, सफेद-सच्चाई शांति और पवित्रता तो हरा रंग सम्पन्नता का प्रतीक है।
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पर क्या ये रंग हमारे सेहततंत्र पर भी प्रभाव डालते हैं? तो जानते हैं ति-रंगा के बारे में:
केसरिया: सेल्स मजबूत होते
केसरिया यानि नारंगी चीजें खाना काफी फायदेमंद होता है। इनमें संतरा, कीनू, गाजर, टमाटर, खरबूजा, बेल आदि शामिल है। इनमें विटामिन ए, बी और सी होता है जो त्वचा और शरीर में कोशिकाओं के लिए जरूरी है। पाचन ठीक रखने, बीपी से भी बचाते हैं।
सफेद: आयरन अधिक होता
सफेद रंग में मशरूम, गोभी, मूली, शलगम, डेयरी प्रोडक्ट आदि भी सेहत के लिए अच्छे होते हैं। इनमें कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन आदि पोषक तत्व होते हैं। ये शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखते हैं।
हरा: पाचन ठीक रहता
भारतीय आहार में अधिकतर फल-सब्जियां हरे रंग की हैं। इन्हें पूरे वर्ष खा सकते हैं। इनमें फायटोकैमिकल्स होते हैं जो महत्वपूर्ण अंगों की रक्षा करते हैं। इनमें फाइबर, आयरन और एंटीआॅक्सीडेंट्स भी होते हैं। ये खून की मात्रा बढ़ाने के साथ विकास के लिए भी जरूरी होते हैं।
रोचक तथ्य
Gantantra Diwas भारत के पहले राष्टÑपति एवं संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का विवाह 12 साल की उम्र में हुआ था। घोडों, बैलगाड़ियों और हाथी के साथ चली उनकी बारात को वधू राजवंशी देवी के घर पहुँचने में दो दिन लगे थे। वर राजेन्द्र प्रसाद चांदी की पालकी में सज-धज कर बैठे थे। लम्बी यात्रा के बाद बारात मध्य रात्रि को वधू के घर पहुँची। उस वक्त राजेन्द्र बाबू पालकी में सोए मिले। बड़ी कठिनाई से उन्हें विवाह की रस्म के लिए उठाया गया।
- छात्रजीवन के दौरान राजेन्द्र प्रसाद आई.सी.एस. की परीक्षा देने के लिए इंग्लैण्ड जाना चाहते थे, पर उनके पिता ने उन्हें अनुमति नहीं दी और उन्हें बड़ी अनिच्छा से इंग्लैण्ड जाने का विचार छोड़ना पड़ा।
- राजेन्द्र प्रसाद के देहावसान के 79 वर्ष से ज्यादा गुजर गए, लेकिन उनका बैंक खाता उनके सम्मान में आज भी चालू है। यह खाता पंजाब नैशनल बैंक की पटना स्थित एग्जीबिशन रोड़ शाखा में 24 अक्टूबर 1962 को खोला गया था। बैंक उन्हें गर्व से अपना प्रथम ग्राहक कहता है। इस समय उनके खाते में सिर्फ 1213 रुपए हैं।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कई पुस्तकें लिखी हैं। उसमें इंडिया डिवाइडेड, सत्याग्रह ऐट चंपारण, भारतीय संस्कृति, खादी का अर्थशास्त्र, गांधी जी की देन, बापू के कदमों में जैसी पुस्तकें चर्चित हैं।