डिजिटल अरेस्ट Digital Arrest घबराएं नहीं एक्शन लें -कोई भी सरकारी एजेंसी लोगों को फोन पर धमकाकर पैसे की मांग नहीं करती, अपितु डिजिटल ठग्गी करने वाले खुद को पुलिस, सीबीआई, आरबीआई या नारकोटिक्स अधिकारी बताते हैं और वे इतने आत्मविश्वास से बात करते हैं कि अकसर लोग घबरा जाते हैं और हड़बड़ाहट में उनका शिकार बन जाते हैं। यह बात भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान कहते हुए देशभर में बढ़ रहे साइबर धोखाधड़ी के मामलों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने देशवासियों को ऐसे समय में थोड़ा धैर्य रखने, इस विषय पर विचार करने व इसके बाद शिकायत करने के लिए प्रेरित किया।
‘आपके नाम से एक सिम जारी हुआ था, जिससे कई आपत्तिजनक मैसेज हुए हैं।’ आपके खिलाफ मुंबई में 58 शिकायतें दर्ज हुई हैं। आपके खिलाफ मनी लार्डिंग का भी केस दर्ज है, जिसमें गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुके हैं। यह बात सुनते ही कैथल (हरियाणा) निवासी विनोद कुमार के पैरों तले से जमीन खिसक गई। अज्ञात नंबरों से आई इस कॉल के बाद पीड़ित ने सीबीआई व ईडी के डर से खुद को डिजिटल अरेस्ट करवाते हुए 48 लाख रूपये ठगों को दे दिए। ऐसे सैकड़ों मामले रोज़ सामने आ रहे हैं।
दरअसल, साइबर अपराधी अपने जाल में फांसने के लिए लोगों को विडियो कॉल या आॅडियो काल करते हैं। खुद को किसी विभाग का बड़ा अधिकारी या पुलिस अफसर बताकर गिरफ्तारी का भय पैदा करते हैं। जिससे अकसर लोग समाज में अपनी मान-मर्यादा या प्रतिष्ठा के वशीभूत होकर पैसे देने को राज़ी हो जाते हैं। हालांकि गृह मंत्रालय इस विषय में कई बार स्पष्ट कर चुका है कि ऐसे कॉल फर्ज़ी होते हैं, जिससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। एनसीआरबी के मुताबिक बीते एक महीने में दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में 200 मामले दर्ज हो चुके हैं। यही नहीं, वर्ष 2023 में 11.28 लाख ऐसे मामले सामने आए हैं। वहीं 2022 में 17410, 2021 में 14007, जबकि 2020 में 10 हजार से ज्यादा साइबर ठगी के मामले आए।
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हमेशा सतर्क रहें-
आॅनलाइन ठगी करने वाले लोग अधिकतर समय में वॉटसएप, फेसबुक, स्काइप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का प्रयोग करते हैं, जबकि कोई भी सरकारी एजेंसी संचार के ऐसे माध्यमों का कभी उपयोग नहीं करती।
इन बातों पर ध्यान दें:- Digital Arrest
फर्जी कॉल करने वाले अकसर लोगों को फोन कॉल्स, ई-मेल से संदेश भेजते हैं, जिसमें भरमाया जाता है कि आप मनी लांड्रिंग, चोरी या अन्य ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं। ध्यान रखें ऐसे कॉल या संदेश को तवज्जो न दें।
धैर्य रखें:
यदि कॉल करने वाला आपको किसी तरह से गिरफ्तारी या कानूनी पचड़े की धमकी देता है तो उनके ऐसे तर्कों से घबराएं नहीं, अपितु धैर्य से काम लें। इस बात का विशेष ख्याल रखें कि ऐसे लोगों को कभी भी बैंक डिटेल, यूपीआई आईडी या ओटीपी इत्यादि सांझा न करें।
हड़बड़ाहट न दिखाएं:
जालसाज लोगों के तर्कों से आप बिल्कुल भी घबराएं नहीं, कई बार अकसर लोग उनकी बातों के जवाब देने में जल्दबाजी करने लगते हैं, जिसमें हड़बड़ाहट दिखाई देती है। ऐसे में वे लोग यह भांप जाते हैं कि सामने वाले पर उनकी बातों का पूरा असर हो रहा है। ऐसे हालात में खुद को शांत रखकर आंकलन करें और अनजान नंबरों से आने वाले इन कॉल या वीडियो कॉल पर कोई व्यक्तिगत जानकारी शेयर न करें।
बचाव में यह अवश्य करें:
ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए अपनी शिकायत दर्ज करवाएं, जिसके लिए राष्टÑीय साइबर हेल्पलाइन 1930 डायल करें या फिर ँ३३स्र२://ू८ुी१ू१्रेी.ॅङ्म५.्रल्ल/ पर रिपोर्ट कर सकते हैं।
साइबर ठग्गी के तरीके
देशभर में साइबर क्राइम के मामलों में इज़ाफा हो रहा है। ऐसे में आज हम आपको इन दिनों ट्रेंड में चल रहे टॉप 3 साइबर क्राइम के तरीकों के बारे में बताने वाले हैं, जिनसे आपको खुद को बचा कर रखना है। आइए जानते हैं कि ठग किस तरह से आपका अकाउंट खाली करते हैं।
साइबर क्राइम से बचने के तरीके
कुछ सामान बेचने या खरीदने के लिए पॉपुलर वेबसाइट पर सर्च करते समय साइबर ठगों से अलर्ट रहें। वे क्यूआर कोड स्कैन या लिंक भेजकर आपके अकाउंट में सेंध लगा सकते हैं। इस तरह के फ्रॉड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
यूपीआई फ्रॉड
बिना मोलभाव किए हुए ठग आपको पैसे ट्रांसफर करने पर राजी हो जाएगा। आपको तुरंत एसएमएस आएगा, जिसमें लिखा होगा कि इतने पैसे आपके खाते में पहुंच गए, अप्रूव करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। यह लिंक आपके फोन पर किसी यूपीआई ऐप का होगा। जैसे ही आप उस लिंक पर क्लिक करेंगे, आपके खाते में पैसे आने की बजाय चले जाएंगे।
क्यूआर कोड फ्रॉड
अगर आप पॉपुलर वेबसाइट पर कुछ बेच रहे हैं तो ठग आपको एक क्यूआर कोड भेजेगा। इस कोड को यूपीआई ऐप से स्कैन करने के लिए कहेगा। आपको बताया जाएगा कि इसको स्कैन करते ही आपके खाते में पैसे पहुंच जाएंगे। अगर आपने उसको स्कैन करके यूपीआई पिन डाल दिया, समझिए आपके खाते में पैसे आने के बजाय चले जाएंगे। कई बार वही ठग आपको दोबारा संपर्क करेगा और बोलेगा कि उसने गलती से दूसरा क्यूआर कोड भेज दिया था और वो पैसे लौटना चाहता है। पैसे लौटाने के नाम पर एक और क्यूआर कोड आएगा और अगर यहाँ भी आपने गलती कर दी तो दोबारा आप पैसे गंवा बैठेंगे।
नकली पेमेंट रसीद
अगर आप कोई सामान बेच रहे हैं तो ठग आपसे सामान भेजने को कहेगा और आपको एक नकली पेमेंट की रसीद जैसे निफ्ट ट्रांसफर का स्क्रीनशॉट या बैंक के मैसेज का स्क्रीनशॉट यह कहते हुए भेजेगा कि पैसे उसने ट्रांसफर कर दिए हैं। बैंक सर्वर में कोई दिक्कत होगी, थोड़ी देर में आपको पैसे मिल जाएंगे।
सावधानी के टिप्स
- अनजान खरीदार से वॉट्सऐप या मैसेंजर जैसे सोशल मीडिया पर चैट करने से बचें।
- खरीदने या बेचने में जल्दबाजी न दिखाएं, आॅनलाइन पेमेंट लेते या देते समय पूरी सावधानी बरतें।
- जरूरी बातों को छोड़कर कोई भी निजी या फाइनेंशियल जानकारी शेयर नहीं करें।
नहीं संभले तो !
एनजीओ प्रहार ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि यदि भारत में साइबर अपराध पर लगाम न लगी तो 2033 तक इन मामलों की संख्या 1 लाख करोड़ प्रतिवर्ष तक पहुंच सकती है। द अनविजिबल हैंड रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2023 में देशभर में 7.9 करोड़ से अधिक साइबर हमले हुए हैं। बीते एक साल में साइबर हमलों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे मामलों की संख्या को लेकर भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
प्रहार के अध्यक्ष अभय मिश्रा का कहना है कि साइबर हमले दो प्रकार के होते हैं, पहले में पारंपरिक हैकर शामिल हैं जो वित्तीय लाभ के लिए सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं, जबकि दूसरे ज्यादा घातक किस्म के हैं, इसमें नागरिकों को हेरफेर, जबरदस्ती व धमकियों के द्वारा राष्टÑ विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए बाध्य किया जाता है।