Experiences of satsangis

बेटा! काम तो मालिक ने करना है -सत्संगियों के अनुभव

पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने की दया-मेहर

बहन ब्रह्मा देवी इन्सां पत्नी सचखंडवासी मास्टर ओम प्रकाश इन्सां कल्याण नगर सरसा से पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपने परिवार पर हुई रहमत का लिखित रूप में इस प्रकार वर्णन करती है:-

सन् 1987 की बात है। उस समय मेरे पति ओम प्रकाश जी सरकारी हाई स्कूल फूलकां (सरसा) में बतौर हिंदी अध्यापक सेवारत थे। हम काफी समय से बच्चों समेत इसी गांव में ही रह रहे थे। यह गांव डेरा सच्चा सौदा सरसा से भी नजदीक ही पड़ता है, यानि करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है। जब भी समय मिलता, हम फूलकां से सच्चा सौदा दरबार में आते रहते थे। यह गांव हमारे लिए इस नजरिए से भी बहुत उचित था, क्योंकि हम आसानी से सतगुरु परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के दर्शन कर लेते थे।

समय यूं ही खुशियों में गुज़रता रहा और हम यहां पर बहुत संतुष्ट थे, लेकिन किसी पहुंच वाले आदमी ने ईर्ष्यावश मेरे पति की बदली हमारी इच्छा के विरुद्ध धनूर गांव में करवा दी। जो मैडम मेरे पति के स्थान पर फूलकां स्कूल में आई थी, वह रेगुलर भी नहीं थी, जबकि मेरे पति नियमित यानि बाकायदा रेगुलर सर्विस पर थे। उधर गांव वालों को जब इस ट्रांसफर का पता चला तो वे एकत्रित होकर यहां सरसा के जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे और उन्हें प्रार्थना-पत्र देकर कहा कि मास्टर ओमप्रकाश फूलकां गांव में ही रहने चाहिएं और इनका तबादला रद्द किया जाए। किंतु गाँव वालों की जिला शिक्षा अधिकारी के पास कोई सुनवाई नहीं हुई।

तो आखिर में हम (मैं और मेरा पति) अपने पूजनीय सतगुरु परमपिता जी की पावन हजूरी में उक्त प्रार्थना लेकर गए और बातों-बातों में सतगुरु परमपिता जी को सब कुछ बता दिया। हमने परमपिता जी से अर्ज़ की कि पिता जी, अब तो डी.ई.ओ. आॅफिस के काम करने की पावर भी चंडीगढ़ चली गई है। पिता जी, अब हम क्या करें जी? इस पर सर्वसामर्थ दातार जी ने फरमाया कि ‘बेटा! काम तो मालिक ने करना है।’

पूजनीय परमपिता जी के आदेशानुसार हम एक प्रार्थना पत्र लिखकर डी.ई.ओ. दफ्तर में दे आए कि इस तबादले को रद्द किया जाए। अभी हमें अर्जी लगाए कुछ ही दिन हुए थे कि हमें तबादला रद्द होने की सूचना मिली। मालिक सतगुरु जी के वचनानुसार मेरे पति की बदली रद्द हो गई। जैसा कि लिखा है ‘संत वचन पलटे नहीं पलट जाए ब्रह्मांड’। हम वापिस फूलकां गांव में आ गए। इस बेपरवाही अपार रहमत का शुक्राना करने के लिए जब पूजनीय परमपिता जी के पास दरबार में गए, तो पूजनीय परमपिता जी ने फरमाया कि बेटा! जितना दाना-पानी है, वो तो चुगना ही है।

इस प्रकार सच्चे सतगुरु जी की पावर बेइंतहा है, कोई अंदाजा तक भी नहीं लगा सकता। वो जो चाहे कर सकता है। पूजनीय परमपिता जी के मौजूदा पावन स्वरूप पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन चरणों में अरदास है कि पिता जी, परिवार पर ऐसे ही दया-मेहर-रहमत बनाए रखना जी और इसी तरह अपने पवित्र चरणों से हमेशा लगाए रखना जी।