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गर्मियों में  बनाएं सुरक्षा कवच
बढ़ता तापमान शरीर की नमी सोख लेता है। यही वजह है कि बहुत अधिक गर्मी पड़ने पर बार-बार प्यास लगती है। शरीर में नमी और पानी की कमी सेहत के लिए काफी खतरनाक हो सकती है। इसी तरह दूषित खानपान भी गर्मियों में बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है।

नमी बनाए रखें:

तेज गर्मी पड़ने पर शरीर में नमी की कमी न हो पाए, इसके लिए भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए। तेज धूप में निकलने के ठीक पहले कम से कम दो तीन गिलास पानी पीकर ही बाहर निकलना चाहिए।

बचें तीखी गर्मी से:

तेज गर्मी आँखों में जलन पैदा करती है। ऐसे में धूप रोधी चश्मा काफी मददगार होता है। गर्म हवाओं के थपेड़ों से बचने के लिए स्टॉल, स्कार्फ का सहारा भी लिया जा सकता है।

नींबू-पानी:

गर्मियों में एक गिलास पानी में आधा या पूरा नींबू, चुटकी भर नमक मिलाकर पीने से स्फूर्ति आती है। जल जीरा, गन्ने का रस, दही और लस्सी का सेवन भी फायदेमंद होता है। कच्चे आम का पन्ना, आम की चटनी, आम का रस भी शरीर को शीतलता प्रदान करता है।

खुली धूप में न पिएं पानी:

बहुत से लोग तेज धूप में राह चलते हुए प्यास लगने पर पानी पी ले लेते हैं जबकि खुली धूप में कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि पांच दस मिनट छांव में रहकर शरीर के ऊपरी और भीतरी तापमान को सामान्य स्तर पर आने के बाद ही पानी पीना चाहिए।

जब बाहर का तापमान अत्यधिक यानि लगभग 46-47 डिग्री के आसपास या फिर उससे अधिक हो जाए तो शरीर के भीतरी तापमान को नियंत्रित करने वाले अंग या तो सुस्त पड़ जाते है या काम करना लगभग बंद कर देते है। शरीर के तापमान में असामान्य घट-बढ़ को तीन अवस्थाओं में बांटा जा सकता है।

  1. हीट क्र ेप्स
  2. 2. हीट एक्साशन
  3. 3. हीट स्ट्रोक

लू से बचाव:

गर्मियों के दिनों में चलने वाली गर्म हवाओं (लू) का सीधा प्रभाव हमारे शरीर के तापमान को प्रभावित कर हमें बीमार कर देता है। लू लग जाने पर शक्कर, नींबू और नमक का घोल बनाकर फौरन मरीज को पिलाना चाहिए। मरीज को तत्काल ठंडे स्थान पर ले जाना चाहिए और उसके बदन से कपड़े उतार कर तौलिए को भिगोकर उस गीले तौलिए से मरीज के शरीर को पोंछते रहना चाहिए। इतनी सावधानियाँ रखना आपके लिए ऐसा सुरक्षा कवच साबित होगा, जो आपको डॉक्टर के पास जाने से बचाएगा।
-रमेन दासगुप्ता शुभ्रो