बेपरवाह जी के पावन वचन दूसरी व तीसरी बॉडी में हुए पूरे -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम
प्रेमी हंसराज पुत्र श्री बीरबल राम गाँव खेड़ी तहसील व जिला सरसा से परम पूजनीय सच्चे सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की रहमत का एक करिश्मा इस प्रकार वर्णन करता है:-
पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज एक बार सरसा दरबार से जीप में गाँव रामपुरिया बागड़िया पधारे और इसी प्रकार रूहों का उद्धार करते हुए गाँव गुसाईआणा में भी पधारे। गुसाईआणा में सत्संग का कार्यक्रम था। उस सत्संग पर हमारे गाँव खेड़ी से भी 15-20 लोग गए हुए थे। सत्संग पर मेरे अलावा प्रेमी लाल चंद पुत्र श्री सरदारा राम तथा प्रेमी रोडू राम पुत्र श्री केसू राम सहित हम तीनों ने पूजनीय मस्ताना जी महाराज से नाम शब्द की दात ग्रहण की। उस सत्संग पर करीब तीन-चार सौ लोग आए हुए थे, परन्तु कुल मालिक पूज्य शहनशाह जी ने करीब नब्बे जीवों पर अपनी रहमत करके उन्हें नाम-शब्द बख्शा।
इस सत्संग पर पूज्य शहनशाह जी ने बहुत सारे जीवों को प्रेम-निशानियाँ भी प्रदान की, जिसमें नए-नए नोटों के हार, कम्बल, कपड़े, सोने की अंगूिठयाँ आदि अन्य वस्तुएं भी बहुत सी थी। गाँव खेड़ी में एक जमींदार भाई श्री रामजस धेतरवाल अपनी इच्छानुसार अपने खेत से एक मतीरा लाया था और वह उसने पूजनीय शहनशाह जी की पावन हजूरी में पेश किया। शहनशाह जी ने रामजस को भी नोटों का हार पहनाया।
नाम-शब्द प्रदान करने से पहले पूजनीय बेपरवाह जी अपनी मौज मस्ती में एक वीरान-सी खाली जगह की तरफ चल पड़े। कुछ सेवादार भी शहनशाह जी के साथ थे। गाँव के कुछ लोग भी पीछे-पीछे चल पड़े। उस समय वहां पर एक अंधा कुत्ता था, वह पूजनीय शहनशाह जी की तरफ बढ़ता हुआ आया। गाँव वालों ने पूज्य शहनशाह जी की पावन हजूरी में बताया कि सार्इं जी, ये कुत्ता अंधा है। पूज्य सार्इं जी ने अपने आपको छुपाते हुए कहा कि भाई, कौन कहता है कि ये अंधा है? इसको तो सब दिख रहा है। शहनशाह जी के इन वचनों व पावन दया-दृष्टि से उस अंधे कुत्ते को बिल्कुल दिखने लगा।
गाँव गुसाईआणा में नाम-अभिलाषी जीवों को नाम शब्द देने के बाद शहनशाह जी ने फरमाया कि ‘इस नाम को जपना है।’ इसके बाद गुसाईआणा की साध-संगत ने शहनशाह जी के पवित्र चरणों में विनती की कि सार्इं जी गाँव खेड़ी यहां से नजदीक ही है, आप खेड़ी में भी सत्संग करो जी। शहनशाह जी ने फरमाया कि भाई खेड़ी तो पक्की होती है। कुल्हाड़े में ठुकती है। जब इक वार लग जावे, तो फिर मुड़ती नहीं! आज इस की वारी नहीं है। इसे पूरे संत समझांणगे।
डेरा सच्चा सौदा के पूजनीय दूसरे पातशाह परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की हमारे गाँव खेड़ी पर दया-रहमत हुई। पूजनीय परमपिता जी की कृपा से हमारे गाँव के काफी संख्या में लोग पूजनीय परमपिता जी से नाम-शब्द प्राप्त करके प्रेमी बन गए। इस तरह हमारे गाँव में संगत बढ़ गई। उपरान्त पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के हुक्म से हमारे गाँव में भी नामचर्चा शुरू हो गई और जो आज भी ज्यों की त्यों धूमधाम से चल रही है।
तीसरी पातशाही पूजनीय मौजूदा गुरु हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने राजस्थान के हमारे इस एरिया पर अपनी अपार रहमत करते हुए 19 तथा 20 नवंबर सन् 1992 को भादरा व नेठराना गाँव के सत्संग मंजूर किए। इस शुभ समाचार को सुनकर हमारे गाँव की साध-संगत सरसा दरबार पहुंची और पूज्य हजूर पिता जी के पवित्र चरणों में विनती की कि पिता जी, नेठराना के सत्संग के बाद कृप्या हमारे गाँव खेड़ी में भी दो मिनट का समय प्रदान करें जी। इस पर दयालु सतगरुु जी ने हम सबको धैर्य बंधाते हुए वचन फरमाए, ‘‘बेटा, अब तो सारा प्रोग्राम तय हो गया है, आपके स्पेशल आएंगे, चिंता मत करो।
सन् 1995 में जब पूज्य गुरु जी ने अपनी पावन जन्म-स्थली श्री गुरुसरमोडिया में पूजनीय सच्चे रहबर सतगुरु के पवित्र नाम पर परमपिता शाह सतनाम जी सार्वजनिक अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू करवाया तो, उस पवित्र सेवा में हमारे गाँव से प्रेमी सुखराम और प्रेमी जगदीश भी गए हुए थे। उन्होंने पूज्य शहनशाह पिता जी के पवित्र चरणों में विनती की कि पिता जी, हमारे गाँव खेड़ी में अपने मुबारिक चरण टिकाएं जी। पूज्य हजूर पिता जी ने फरमाया कि भाई जरूर आएंगे, समय के अनुसार। वह सौभाग्यशाली दिन भी आ गया जिसका साध-सग्ांत को बहुत इंतजार था।
दिनांक 8 अप्रैल 1998 को पूज्य हजूर पिता जी डेरा सच्चा सौदा रामपुरिया बागड़िया जिला सरसा में पधारे। वहां पर साध-संगत को दर्शन देकर पूज्य गुरु जी ने हमारे गाँव खेड़ी में अपने मुबारिक चरण टिकाए। हमारे गाँव की साध-संगत की खुशी का कोई पारावार न रहा। पूज्य हजूर पिता जी का ठहराव (उतारा) पे्रमी निहाल सिंह पुत्र श्री जसराम पूनिया के घर पर था। उस दिन पूज्य गुरू जी ने अपने कीमती समय में से करीब डेढ़ घंटा हमारे गाँव की साध-संगत को दिया। पूज्य पिता जी ने साध-सग्ांत की राजी-खुशी पूछी और वचन विलास किए तथा इस प्रकार संगत को खुशियां बख्शी।
वहां पर पूज्य पिता जी ने मजलिस भी लगाई। पूज्य गुरु जी ने एक भजन की व्याख्या करते हुए साध-संगत को खूब समझाया। बाद में शहनशाह जी ने वचन फरमाए कि किसी ने यह नहीं सोचना कि हम केवल प्रेमी निहाल सिंह के ही घर आए हैं! हम आप सबके लिए ही गाँव में आए हैं। इस प्रकार पूजनीय पहली पातशाही बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने पवित्र वचनों के अनुसार पहले अपने पावन स्वरूप दूसरे पातशाह पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के रूप में अपनी रहमत से हमारे गाँव के काफी लोगों को नाम-शब्द प्रदान किया व वहां पर नामचर्चा शुरू करवाई तथा
फिर पूज्य मौजूदा स्वरूप हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूप में हमारे गाँव में अपने मुबारिक चरण टिकाए, बल्कि रूहानी मजलिस भी लगाई तथा संगत को जबरदस्त तरीके से समझाया और इस तरह पूज्य गुरू जी ने युगों- युगों से बिछड़ी अनगिणत रूहों को नाम-शब्द, गुरुमंत्र प्रदान करके उनका उद्धार किया है व कर रहे हैं। जैसा कि सार्इं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज का वचन था कि ‘पूरे संत समझाएंगे,’ सतगुरु जी की कृपा से आज ज्यादातर घरों में डेरा सच्चा सौदा से नाम लेवा प्रेमी हैं। पूज्य गुरु जी से अरदास है कि हम सबको व गाँव के एक-एक बच्चे को नेकी-भलाई में लगाकर अपना दृढ़ विश्वास बख्शना कि हम लोग सेवा व सुमिरन करते हुए अपनी ओड़ निभा जाएं जी।