गर्मी में पशुओं में न होने दें पानी की कमी
जून के महीने में तापमान 48-50 डिग्री के करीब पहुंच जाता है। ऐसे में पशुपालकों की चिंता बढ़ जाती है, क्योंकि इतनी गर्मी में दूधारू व ग्याबिन पशुओं की देखभाल का दायित्व और बढ़ जाता है और यदि ऐसे गर्म मौसम में उचित देखभाल नहीं की गई तो पशुओं के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है व दूध का उत्पादन भी कम होने लगता है। गर्म मौसम में पशुओं के उचित रखरखाव की कुछ अहम बातें साझा की जा रही हैं, जिन्हें अपनाकर पशुपालक अपने मवेशियों को तंदुरुस्त रख सकते हैं।

इन लक्षणों से पहचानें:
पशुओं में जब पानी की कमी होने लगती है, तो इससे उन्हें भूख लगनी कम हो जाती है। वह सुस्त और कमजोर होने लगते हैं। अधिकतर पशुओं में पानी की कमी होने से उनका पेशाब गाढ़ा, वजन कम, चमड़ी सूखी-खुरदरी और आँखें सूखने लग जाती हंै। वहीं अधिकतर पशुओं में पानी की कमी होने से दूध उत्पादन कम हो जाता है। इसके अलावा, खून गाढ़ा हो जाना भी एक कारण है। बछड़े और बछड़ियों में पानी की कमी होने से उनमें पेचिस लगने लग जाती है और बड़े पशुओं को दस्त की समस्या हो जाती है।
































































