Animals Care

गर्मी में पशुओं में न होने दें पानी की कमी

जून के महीने में तापमान 48-50 डिग्री के करीब पहुंच जाता है। ऐसे में पशुपालकों की चिंता बढ़ जाती है, क्योंकि इतनी गर्मी में दूधारू व ग्याबिन पशुओं की देखभाल का दायित्व और बढ़ जाता है और यदि ऐसे गर्म मौसम में उचित देखभाल नहीं की गई तो पशुओं के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है व दूध का उत्पादन भी कम होने लगता है। गर्म मौसम में पशुओं के उचित रखरखाव की कुछ अहम बातें साझा की जा रही हैं, जिन्हें अपनाकर पशुपालक अपने मवेशियों को तंदुरुस्त रख सकते हैं।

Animals Careगर्मी के मौसम में अपने पशु को बार-बार पानी पिलाते रहें। पशु को ताजा और ठंडा पानी पिलाने की कोशिश करें। दिन में पशु के शरीर पर 3 से 4 बार पानी का छिड़काव करें। पशु को सूखी तूड़ी और हरा चारा खिलाना चाहिए। ताजा तूड़ी खिलाने से पहले आपको शाम के वक्त उसे भिगोकर रखना है और सुबह खिलाना है। पशु के सामने नमक की ढेली को हमेशा रखना चाहिए, जिससे इसे चाटने पर उसे प्यास लगती रहे। तेज गर्मी के मौसम में अपने पशु को सुबह और शाम के वक्त जरूर नहलाएं। पशुओं के बांधने के स्थान पर पानी का छिड़काव समय-समय पर करते रहें। पशु को छायादार जगह पर ही बांधना चाहिए और यदि पशु में पानी की कमी दिखे तो उसे नमक-चीनी का घोल पिलाएं।

इन लक्षणों से पहचानें:

पशुओं में जब पानी की कमी होने लगती है, तो इससे उन्हें भूख लगनी कम हो जाती है। वह सुस्त और कमजोर होने लगते हैं। अधिकतर पशुओं में पानी की कमी होने से उनका पेशाब गाढ़ा, वजन कम, चमड़ी सूखी-खुरदरी और आँखें सूखने लग जाती हंै। वहीं अधिकतर पशुओं में पानी की कमी होने से दूध उत्पादन कम हो जाता है। इसके अलावा, खून गाढ़ा हो जाना भी एक कारण है। बछड़े और बछड़ियों में पानी की कमी होने से उनमें पेचिस लगने लग जाती है और बड़े पशुओं को दस्त की समस्या हो जाती है।