Independence Day

बलिदानियों के सम्मान का दिन है स्वतंत्रता दिवस – Independence Day 15 अगस्त 1947 को जब भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की, तो यह सिर्फ एक दिन नहीं था, बल्कि भारतीय जनमानस के वर्षों के संघर्ष, बलिदान और साहस का फल था। यह वह दिन था जब भारतीयों ने अपनी पहचान, संस्कृति, और स्वाभिमान की पुन: प्राप्ति की थी। आज, 78 वर्षों बाद भी, हम उस ऐतिहासिक क्षण को याद करते हैं और साथ ही यह सोचते हैं कि वह स्वतंत्रता हमें कैसे मिली और अब हमें उस स्वतंत्रता का सदुपयोग कैसे करना है।

भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अनगिनत वीरों ने अपनी जान की आहुति दी, अपने परिवारों को छोड़ा और अपनी पूरी जिंदगी ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति पाने के लिए समर्पित कर दी। यह बलिदान केवल शहीदों की शहादत तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक लंबी और कठिन यात्रा का हिस्सा था, जिसमें लाखों लोगों का संघर्ष, कठिनाइयाँ और बलिदान शामिल थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए इन बलिदानों ने ही हमें यह आजादी दी। आईए, हम उन स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों को और अधिक गहराई से समझते हैं-

1857 का सिपाही विद्रोह

ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ पहला बड़ा संगठित विद्रोह 1857 में हुआ। इसे भारतीय इतिहास में ‘सैनिक विद्रोह’ या ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ कहा जाता है। यह विद्रोह भारतीय सैनिकों द्वारा ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ शुरु किया गया था और जल्द ही यह एक जन विद्रोह में बदल गया।

महात्मा गांधी का अहिंसा आंदोलन:

महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उनका विश्वास था कि अहिंसा के मार्ग से ही ब्रिटिश साम्राज्य को हराया जा सकता है। हालांकि गांधीजी के संघर्ष के दौरान कोई सशस्त्र युद्ध नहीं हुआ, फिर भी कई निर्दोष लोग बलि चढ़ गए और कई आंदोलनकारियों ने अपनी जान की आहुति दी।

चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह:

गांधीजी ने 1917 और 1918 में चंपारण और खेड़ा में किसानों के हक के लिए सत्याग्रह किया। इस दौरान कई आंदोलनकारी गिरफ्तार किए गए और कुछ को शारीरिक यातनाएं भी दी गईं।

भारत छोड़ो आंदोलन (1942):

गांधीजी के नेतृत्व में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें लाखों भारतीयों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। ब्रिटिश शासन ने भारी दमन किया और हजारों लोगों को गिरफ्तार किया। इस आंदोलन के दौरान कई आंदोलनकारी शहीद हो गए।

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सशस्त्र संघर्ष और शहीदी

जब गांधीजी का अहिंसा का मार्ग था, वहीं कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने सशस्त्र संघर्ष का मार्ग अपनाया। उनका विश्वास था कि कड़ी से कड़ी लड़ाई ही ब्रिटिश साम्राज्य को ध्वस्त कर सकती है।

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव:

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने स्वतंत्रता के लिए अपनी जान की बलि दी। भगत सिंह ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ संघर्ष किया और 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई। उनकी शहादत ने पूरे देश को प्रेरित किया और युवाओं में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जोश भर दिया। भगत सिंह का नारा था, “इंकलाब जिंदाबाद!”

चंद्रशेखर आजाद:

चंद्रशेखर आजाद ने भी सशस्त्र संघर्ष को अपनाया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपनी जिंदगी को दांव पर लगाया। उनका प्रसिद्ध उद्धरण था, ‘मैं अकेला ही तो चला था, लेकिन अब मेरे साथ लाखों लोग हैं! आजाद जीएंगे, आजाद मरेंगे।’ उनका बलिदान भारतीय युवाओं को प्रेरित करता है।

आम लोगों का बलिदान:

भारत की स्वतंत्रता में केवल बड़े नेता और सैनिकों का ही योगदान नहीं था, बल्कि आम भारतीय नागरिकों ने भी संघर्ष किया। हज़ारों किसानों, मजदूरों, छात्रों और श्रमिकों ने स्वतंत्रता के लिए अपनी जान की आहुति दी। जलियाँवाला बाग हत्याकांड में हज़ारों निर्दोष लोग मारे गए, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध कर रहे थे।

भारत की स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान का महत्व अत्यधिक है। इन बलिदानों ने हमें यह समझने का अवसर दिया कि आजादी बेशकीमती (बहुमूल्य) होती है और इस आजादी को पाने के लिए हर किसी को अपनी कुर्बानी देनी पड़ती है। इन शहीदों के बलिदान ने भारतीय समाज को यह समझने में मदद की कि अगर हम एकजुट होकर संघर्ष करें तो कोई भी शक्ति हमें स्वतंत्रता प्राप्त करने से रोक नहीं सकती।

भारत की स्वतंत्रता में जो बलिदान हुआ, वह केवल शहादत नहीं था, बल्कि एक नई चेतना का रूप था। उन वीरों, शहीदों और संघर्ष करने वाले लोगों ने हमें यह सिखाया कि स्वतंत्रता केवल अधिकार ही नहीं, अपितु एक जिम्मेदारी है। आज हम जो स्वतंत्र और समृद्ध भारत में जीवन जी रहे हैं, वह उन बहादुर शहीदों के बलिदानों का प्रतिफल है। उनके साहस, संघर्ष और बलिदान को हम हमेशा याद करेंगे और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए उनके आदर्शों को जीवन में अपनाएंगे।

आजादी की 78वीं वर्षगांठ हमें उन वीरों, शहीदों और महापुरुषों को याद करने व उनके मार्ग पर चलने का संदेश देती है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। हम सभी का कर्तव्य है कि हम उन बलिदानियों का सम्मान करें और अपने देश की प्रगति में अपना योगदान दें। आइए, हम सभी मिलकर एक समृद्ध, समतावादी और सशक्त भारत का निर्माण करें।

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भारतीय सुदर्शन चक्र

भारत का एयर डिफेंस सिस्टम अपनी विविधता के लिए जाना जाता है, क्योंकि इसमें रूसी, इजराइली और स्वदेशी तकनीकों का मिश्रण है, जो इसे दुश्मनों के मुकाबले अधिक प्रभावशाली बनाता है। एस-400 सिस्टम को भारतीय सेना के सुदर्शन चक्र के रूप में जाना जाता है। भारत के पास एस-400 ट्रायम्फ के अलावा, बराक-8 और स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम भी वायु रक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। छोटी दूरी के खतरों से निपटने के लिए स्पाइडर और इग्ला जैसे सिस्टम का उपयोग बखूबी कारगर साबित होता है।

दरअसल, साल 2018 में भारत ने रूस से पांच एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के सौदे पर हामी भरी थी। इस सिस्टम की तुलना अमेरिका के बेहतरीन पैट्रिअट मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम से होती है। एस-400 मोबाइल सिस्टम है, जो आदेश मिलते ही पांच से 10 मिनट के भीतर तैनात किया जा सकता है। दरअसल एयर डिफेंस सिस्टम कई तरीकों से देश को महफूज रखता है। जिसमें रडार, मिसाईल या हथियार और कंट्रोल सेंटर शामिल होता है।

भारत के पास जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के टारगेट का जमीन से हवा में नेस्तनाबूत कर सकती है। इसमें आकाश मिसाइल सिस्टम, स्पाइडर, बराक-8, एमआर-एसएएम और एलआर-एसएएम जैसी मिसाइलें आती हैं। भारत का आकाश मिसाइल सिस्टम स्वदेशी सिस्टम है, जो छोटी और मझोली दूरी की मिसाइलों को रोकता है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है। ये हर मौसम में सटीक निशाना साध सकता है।

  • स्पाइडर: इजराइल से लिया गया, छोटी और मझोली दूरी का मोबाइल सिस्टम।
  • बराक-8: भारत और इजराइल ने मिलकर बनाया, जो समंदर और जमीन दोनों पर इस्तेमाल हो सकता है।
  • एमआर-एसएएम और एलआर-एसएएम: मझोली और लंबी दूरी की मिसाइलें, जो कई खतरों को एक साथ रोक सकती हैं।

दूसरी ओर भारत का इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (आईएसीसीएस) भी एक आॅटोमेटेड हथियार है, जो हवाई सुरक्षा और हमलावर आॅपरेशन कर सकता है। ये रडार, सेंसर, और कंट्रोल सेंटर को मिलाकर आसमान में पैनी नजर रखता है।

इसके अलावा एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे रूस से खरीदा गया है और ये लंबी दूरी का ताकतवर सिस्टम है। ये जहाज, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों को 400 किलोमीटर तक रोक सकता है। भारत ने इसी एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए पाकिस्तानी मिसाइलों को तबाह कर दिया।