खाद्य तेल कितने अच्छे, कितने खतरनाक – पुराने समय में अधिकतर लोग वनस्पति घी, देसी घी या सरसों का तेल खाना पकाने में प्रयोग में लाते थे। धीरे-धीरे शोधकर्ताओं ने सुझाया कि वनस्पति घी सबसे खतरनाक है। इसे खाने से हमें हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने रिफाइंड आॅयल को ही अच्छा आॅप्शन बताया। देसी घी का तो अपना ही महत्व है। घी खाकर श्रम करें, तो फायदेमंद साबित होता है। सरसों का तेल भी कुकिंग के लिए अच्छा आॅप्शन है पर अब शोधकर्ता सभी रिफाइंड आॅयल को कुकिंग के लिए अच्छा नहीं मानते। कुछ ही तेल हैं जो कुकिंग के लिए ठीक हैं।
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आइए जानते हैं किस तेल में क्या गुण और अवगुण है।
सूरजमुखी तेल:-
सूरजमुखी तेल अधिकतर पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैट अधिक होते हैं जो एल डी एल और एच डी एल दोनों की मात्रा को घटा देते हैं। सूरजमुखी तेल कुकिंग के लिहाज से तो ठीक है पर इसमें तले खाद्य पदार्थ हमारे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं क्योंकि इसमें पाये जाने वाले पॉलीअनसैचुरेटेड फैटस गर्म होकर टॉक्सिंस (विषैले) में बदल जाते हैं।
सोयाबीन तेल:-
मध्य भारत में सोयाबीन का तेल अधिक प्रयोग में लाया जाता है। सोयाबीन तेल भी एल डी एल और एच डी एल में संतुलन बना कर रखता है, परन्तु सोयाबीन तेल भी तलने हेतु सही नहीं है। गर्म होने पर इसके अनसैचुरेटेड फैट्स भी टॉक्सिंस में बदल जाते हैं।
सरसों का तेल:-
सरसों के तेल का प्रयोग पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार आदि में काफी होता है। सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड अधिक होते हैं और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड काफी कम मात्रा में होते हैं। सरसों के तेल के प्रयोग में कुल कोलेस्ट्राल और एल डी एल कम होता है। इस तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ का सेवन हम कर सकते हैं। हमेशा ही सरसों का तेल प्रयोग में न लाएं क्योंकि इसमें मौजूद यूरोसिक एसिड नुकसान पहुंचाता है। इसके साथ अन्य तेल भी कुकिंग के प्रयोग में लाएं।
नारियल तेल:-
इसमें सैचुरेटेड फैट होते हैं लेकिन वनस्पति तेल होने की वजह से इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता। नारियल तेल सेहत के लिए ठीक है पर इसका सेवन भी अकेले इस पर निर्भर होकर नहीं करना चाहिए। अन्य तेलों का भी साथ में प्रयोग करें। तलने हेतु यह तेल अच्छा नहीं है।
मूंगफली का तेल:-
इस तेल का प्रयोग देश के अधिकतर भागों में किया जाता है। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट होते हैं। यह हमारे एल डी एल (बैड कोलेस्ट्रॉल) लेवल को कम करता है व गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी सामान्य रखता है। इस तेल में तले खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
पामोलिव आॅयल:-
इस तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैट होते हैं पर लिनोनेइक एसिड की मात्रा कम होती है। इस तेल का प्रयोग अन्य तेलों के साथ मिला कर करना चाहिए। इसमें तले हुए खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं।
अरंडी तेल:-
इंडिया में हार्ट पैशेंटस को इस तेल के सेवन की सलाह दी जाती है पर बहुत सीमित मात्रा में क्योंकि इसमें भी पॉलीअनसैचुरेटेड फैटस होते हैं। यह सफोला तेल के ब्रांड से मशहूर है। सेहत के लिए इसे अच्छा माना जाता है, पर इसमें खाद्य पदार्थों को तलना नहीं चाहिए।
राइस ब्रॉन तेल:-
राइस ब्रान तेल धान के छिलकों से तैयार किया जाता है। कुछ समय पूर्व तक इस तेल का प्रयोग विदेशों में होता था। अब धीरे-धीरे भारत में भी अपना स्थान बना रहा है। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटस होते हैं जो सेहत की दृष्टि से ठीक हैं। यह एल डी एल का स्तर कम रखता है और प्राकृतिक रूप से विटामिन ई होने के कारण त्वचा के लिए भी लाभप्रद है। इस तेल में हम खाद्य पदार्थ तल सकते हैं।
आॅलिव आॅयल:-
यह तेल भी विदेशों में काफी समय से प्रयोग किया जा रहा है। भारत में भी अब पढ़े-लिखे स्वास्थ्य का ध्यान रखने वाले इस तेल का प्रयोग करने लगे हैं। अधिक महंगा होने के कारण इतना प्रचलित नहीं हो पा रहा है। जो लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं, वे भी इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। इस तेल का स्वाद भी अच्छा है। इसमें मोनोसैचुरेटेड फैटस होते हैं।
इस तेल से फैट डिस्ट्रीब्यूशन कंट्रोल में रहता है, पेट पर चर्बी जमा होेने से रोकता है, टोटल कोलेस्ट्रॉल और एल डी एल को कम करता है। तलने के लिए भी यह तेल अच्छा है। इसके अतिरिक्त कार्न आॅयल भी मार्केट में मिलता हैं। इसमें सैचुरेटेड फैट्स कम हैं। यह भी टोटल कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखता है और एच डी एल, एल डी एल नहीं बढ़ाता पर इसका सेवन कम करना चाहिए। लगातार इसके सेवन से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है।