कैसे बनायें बच्चों का टिफिन : बच्चों को खाना खिलाना और स्कूल में टिफिन देने की समस्या शायद हर परिवार में होती है। बच्चों को उचित भोजन देने की इच्छा शुरू से ही हर माता पिता में होती है, क्योंकि समुचित विकास हेतु पौष्टिक आहार मूल आवश्यकता है। बच्चों के खाने में प्रोटीन, वसा और फल सब्जियों की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए।

कार्बोहाइड्रेट हेतु बच्चों को चावल, रोटी व आलू शुरू से ही खाने की आदत डालें, क्योंकि इनमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए उत्त्म माने जाते हैं।
बच्चों के शारीरिक विकास हेतु दूध और दूध से बनी वस्तुएं प्रतिदिन के आहार में शामिल करें। बच्चों को उचित प्रोटीन दालों, बीन्स, अंकुरित दालों और मूंगफली से प्राप्त होते हैं। शारीरिक और मानसिक विकास हेतु उचित पौष्टिक आहार देना बहुत जरूरी होता है।

उचित खाने की आदतें कैसे डालें-

  • अगर मां बाप बच्चों को ‘फास्ट फूड’ या बाहरी खाना खाने को नहीं देंगे, तो बच्चों में उचित भोजन खाने की आदतों का विकास किया जा सकता है।
  • बच्चों को मुख्य रूप से तीन बड़े भोजन खाने की आदत शुरू से डालें-सुबह का नाश्ता, दोपहर का और रात्रि का भोजन। बच्चों को निश्चित समय पर खाना दें और निश्चित समय पर खाने की आदत डालें।
  • बच्चे यदि हरी सब्जियां खाने से जी चुरायें तो ऐसे में उन्हें अधिक रूचिकर बनाने का प्रयास करें, नहीं तो सब्जियों को दालों में कद्दूकस कर मिला कर उबालें और खाने को दें।
  • खिचड़ी बनाते समय उसमें कुछ सब्जियां मसल कर डाल दें। बच्चों को सब्जी का अधिक पता नहीं चलेगा और सब्जी भी शरीर में चली जाएंगी।
  • आठ-दस वर्ष तक की आयु तक बच्चों को क्रीमयुक्त दूध दिया जा सकता है, क्योंकि क्रीमयुक्त दूध में वसा और विटामिन बच्चों को पर्याप्त मात्रा में मिल जायेगें।
  • बच्चों को बचपन से ही लो कैलोरी ‘फूड’ नहीं दें, उनका शारीरिक विकास ठीक नहीं होगा।
  • दिन में एक बार खाना कम से कम सपरिवार मिल कर खायें। बच्चों को भी उनकी प्लेट में सब कुछ वही रखें जो आप स्वयं खा रहे हैं, इससे बच्चे देखा देखी थोड़ा-थोड़ा खाना प्रारम्भ कर देंगे।
  • माताओं को अपना काम बचाने के लिए कभी भी बच्चों को ब्रैड-जैम, चिप्स, बिस्कुट, मैगी आदि के लिए बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
  • बच्चों के नाश्ते में कभी स्टफ परांठा तो कभी दाल वाले आटे का परांठा, कभी ब्रेड, कभी दूध वाला दलिया और कभी सूजी की खीर आदि खाने को दें।
  • अंकुरित दालों में खीरा, टमाटर, बन्दगोभी, प्याज और नींबू मिलाकर अंकुरित दालों के स्वाद को बढ़ाया जा सकता

स्कूल के टिफिन में-

बच्चों को स्कूल का टिफिन ऐसा तैयार कर के दें कि बच्चे का खाने का मन करे। बच्चे की पसन्द का भी ध्यान रखें। बच्चे को प्यार से समझाएं कि लंच टाइम में सब बच्चों के साथ मिलकर अपना टिफिन खत्म करके आये। अपने मित्रों के साथ कुछ शेयर करने की आदत भी सिखायें।

बच्चों को टिफिन में बासा खाना न दें क्योंकि खाना खराब हो सकता है। बच्चों को टिफिन में कभी-कभी घर के बने बर्गर, ब्रैड पकौड़ा आदि दे सकते हैं। बच्चों की भूख अनुसार टिफिन में खाना दें।

बच्चों को स्कूल कैन्टीन से खाने के लिए उत्साहित न करें। थोड़े बड़े बच्चों को सप्ताह में एक बार कैन्टीन से खाना खाने के लिए इजाजत दें। स्कूल जाते समय दूध के साथ फल खाने को दे सकते हैं, जैसे- सेब, केला आदि।

शाम को बच्चों को घर पर बने स्रैक्स दें। टिफिन में सप्ताह में एक बार नमकीन चावल सब्जी वाले दे सकते हैं। सैंडविच, पनीर, प्याज, टमाटर या खीरे वाले मौसम अनुसार दे सकते हैं। बच्चों को ब्रैड पर चीज, पनीर और बारीक कटी बन्दगोभी भी टिफिन में दी जा सकती है।

टिफिन की सफाई पर भी उचित ध्यान दें ताकि टिफिन में पिछले खाने की बदबू न आये।
– रजनीश कुमार

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