सूक्ष्म दुश्मनों से बचाएं घर को Avoid subtle enemies at home
आप बड़ी मेहनत से अपने सपनों का आशियाना बनाते हैं, लेकिन इस आशियाने में रहने के कुछ समय बाद ही घर की चौखटों और प्रवेश के रास्तों में दीमकों और कीड़ों का हमला होने लगता है।
इन अनचाहे सूक्ष्म दुश्मनों (कीटों) से निपटने के लिए आपने कोई पूर्व तैयारी नहीं की होती, जिसका खामियाजा आपके घर के लकड़ी के दरवाजों, खिड़कियों और चौखटों को उठाना पड़ता है।
हालांकि इन घर के दुश्मनों से निपटने के लिए बाजार में कई तरह के केमिकल मौजूद हैं, साथ ही कई कंपनियां और प्रोफेशनल्स इन घर के दुश्मनों को भगाने की सेवाएं मुहैया कराते हैं, इसके बावजूद अगर आपने एंटी टर्माइट का छिड़काव निर्माण के प्रत्येक स्तर पर किया होता, तो आपको निर्माण के बाद किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
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आइये जानते हैं कैसे करा सकते हैं एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट:-
प्री और पोस्ट ट्रीटमेंट-
विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रीकंस्ट्रक्शन के समय किए जाने वाले एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट में चौखट, दरवाजे, फे्रम और खिड़की के फीटिंग से पूर्व ही उनमें केमिकल डाल दिया जाता है, जो आने वाले कई वर्षों तक दीमक और घुन से सुरक्षा प्रदान करता है।
इनके अलावा एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट की पोस्ट कंस्ट्रक्शन तकनीक भी है, जिसमें घर बनने के बाद भी यह ट्रीटमेंट कराया जा सकता है। यह तकनीक प्रीकंस्ट्रक्शन से मिलती-जुलती है। इस तकनीक में मशीन से ग्राउडिंग में होल किया जाता है, फिर केमिकल डाला जाता है। चूंकि दीमक घर के कोनों से ही ज्यादातर अपनी शुरूआत करती है। इसलिए इमारत के प्रत्येक कोने में सावधानीपूर्वक केमिकल डाला जाता है।
सुरक्षा के चार चरण:-
- एंटी टर्माइट चार चरणों में किया जाता है। यदि घर बनवा रहे हैं तो उसी समय एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट करा ले, तो ज्यादा अच्छा रहेगा। इस दौरान किए जाने वाले ट्रीटमेंट को प्रीकंस्ट्रक्शन ट्रीटमेंट कहा जाता है, जिसमें निर्माणाधीन भवन में एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न की जाती है। इसमें सर्वप्रथम कैमिकल, फाउंडेशन में यानि खोदी हुई नींव में केमिकल डाला जाता है। इस दौरान साइड वॉल पर भी एंटी टर्माइट कैमिकल डाल दिया जाता है।
- दूसरे चरण में सबलिंग और प्लिंथ लेबल पर काम किया जाता है।
- तीसरे चरण में बेस में कैमिकल को डाला जाता है। इसमें फ्लोर या टाइल्स के रास्ते दीमक और घुन को घर में फैलने से रोका जाता है। साथ ही घरों के खिड़की और दरवाजे ऐसी जगह होते हैं, जहां दीमक लगने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। आमतौर पर इन्हीं जगहों पर इनकी शुरुआत भी होती है।
- एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट के अंतिम चरण में इन्हें कैमिकल से सुरक्षित किया जाता है।
कब और कहां कराएं ट्रीटमेंट:-
एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट कराने का वैसे तो कोई सही समय नहीं है, लेकिन जानकारों की मानें तो इसे बारिश से पहले कराना ज्यादा उचित होता है। बरसात के समय जमीन और दीवारों में नमी आ जाती है। ऐसे में कैमिकल का असर कम हो जाता है। इसके अलावा काली मिट्टी पर बनाए गए घरों में दीमक और कीड़ों की समस्या ज्यादा होती है।
इन जगहों पर एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे घरों में जहां सीपेज की समस्या होती है, वहां साल में एक बार ट्रीटमेंट कराना ही चाहिए।
अब आती है खर्च की बारी:-
एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट कराते समय खर्च की बात करें, तो यह आपके बजट में ही है। निर्माणाधीन मकान में इसकी कीमत कुछ हजार रुपए ही बैठती है। यदि हजार वर्गफीट में अपने मकान का निर्माण करा रहे हैं और इसमें एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट कराते हैं, तो इसकी लागत करीब 6000 रुपए ही रहती है।
इन कैमिकलों का होता है यूज:-
एंटी टर्माइट ट्रीटमेंट में मुख्य रूप से सिंथैटीक पैरासाइड, मैलाथिलॉन और फ्लोरोसाइरीफॉड जैसे कैमिकल यूज किए जाते हैं। निर्माणाधीन मकान में ये कैमिकल वाटरबेस्ड होते हैं। इनके उपयोग के बाद घर में थोड़ी दुर्गंध जरूर हो सकती है, लेकिन कुछ समय बाद वह भी चली जाती है।
इस तरह आपका घर अनचाहे मेहमान दीमक, घुन आदि सूक्ष्म कीटों से सुरक्षित हो जाएगा।
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