कम पैसे मे बिजनेस कैसे करे

अगर कोई आपसे इस तरह पूछता है.. कम पैसे मे अच्छा बिजनेस बताये..? तब आप कह सकते हैं.. एग्री-टेक।   भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कॉन्सेप्ट से तो भली-भांति परिचित हैं और इस कॉन्सेप्ट के तहत ही आजकल भारत के युवाओं के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली भारतीय कृषि में नई तकनीकों के इस्तेमाल से अपना स्टार्टअप शुरू करने के बेहतरीन अवसर मौजूद हैं।

आवश्यकता है तो बस भारतीय कृषि सिस्टम की आवश्यकताओं के अनुसार भारतीय कृषि मार्केट की स्टडी कर अपना खास स्टार्टअप प्रोजेक्ट तैयार करने की। आपको यह जानकर भी काफी प्रसन्नता होगी कि भारत सरकार भारत के युवाओं को अपना कारोबार या स्टार्टअप खोलने के लिए लोन भी उपलब्ध करवाती है ताकि धन की कमी किसी स्टार्टअप खोलने की दिशा में राह का रोड़ा न बन जाए। भारत में इस समय एग्री-टेक सेक्टर में 450 से ज्यादा स्टार्टअप्स अपना कारोबार कर रहे हैं और जून, 2019 तक इस सेक्टर में करीबन 250 मिलियन फंडिंग की गई है जो पिछले वर्ष से बहुत अधिक है। इस समय भारत के लगभग 30 एग्री-टेक स्टार्टअप्स अपने कारोबार के जरिये विश्व में अपनी पहचान बना चुके हैं और पिछले कुछ वर्षों में कुछ ग्लोबल एग्री-टेक कंपनियों ने भी भारत का रुख किया है।

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एग्री-टेक के बारे में

आपके लिए यह जानकारी भी फायदेमंद रहेगी कि भारत में 50 फीसदी से अधिक एग्री-टेक स्टार्टअप्स फार्मर्स और रिटेलर्स/ होलसेलर्स या फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के लिए सप्लाई चेन का काम करते हैं। आप भी अगर भारतीय कृषि और टेक्नोलॉजी की फील्ड्स में दिलचस्पी रखते हैं तो एग्री-टेक की फील्ड में अपना स्टार्टअप कारोबार शुरू कर सकते हैं।

इस आर्टिकल में आपके लिए भारत के कुछ सफल स्टार्टअप्स का भी जिक्र किया जा रहा है।

एग्री-टेक का परिचय

हमारे मन में बहुत बार एग्री-टेक को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन हो सकता है। दरअसल, एग्री-टेक में दो शब्द एग्रीकल्चर+टेक्नोलॉजी एक-साथ आते हैं अर्थात जब हम कृषि की फील्ड में मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं तो एग्री-टेक का एक बेहतरीन उदाहरण हमें नजर आता है। यूं तो पिछले कई वर्ष पहले से भारतीय कृषि में ट्रेक्टर और इरीगेशन इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से तो एग्री-टेक के ज्यादा इस्तेमाल ने तो मानो भारतीय कृषि की सभी फील्ड्स में क्रांति ला दी है।

आजकल भारत के किसान भी सरकार के विभिन्न विभागों से जानकारी, टेक्निकल हेल्प और कृषि लोन्स हासिल करके हर साल ज्यादा फसल उगा रहे हैं। आसान शब्दों में, जब विभिन्न किस्म की टेक्नोलॉजी और मशीनों का इस्तेमाल कृषि सेक्टर के सभी तरह के काम पूरे करने के लिए किया जाता है, तो यह फीचर वास्तव में एग्री-टेक का ही समुचित उपयोग दशार्ता है।

नई सोच से बदलते हालात

इनोवेशन के चलते यह क्षेत्र बदलाव के दौर में है। सरकार की ओर से फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में ध्यान दिये जाने से किसानों की कृषि उपज की मांग संगठित क्षेत्र में बढ़ी है। मेगा फूड पार्क को मंजूरी दिए जाने से कृषि क्षेत्र मजबूत हुआ है। जैसे-जैसे स्थानीय किसान एग्रीटेक स्टार्टअप के बेहतर समाधानों के साथ जुड़े हैं, वैसे-वैसे बिजनेस के तमाम प्रारूपों को बढ़ावा मिला है। इससे बाजार पर बेहतर पकड़ बनी है, तकनीक का तेजी से उपयोग बढ़ा है।

पढ़ाई के अवसर

कृषि व्यवसाय में अलग-अलग स्तर पर मौके हैं। यानी फाइनेंस, तकनीक व गैर-तकनीकी क्षेत्रों के इच्छुक युवाओं के लिए मौके बन सकते हैं। हालांकि कृषि के विशेष अध्ययन से इस क्षेत्र को करीब से जानने का मौका मिलता है और प्रवेश करना आसान होता है। इसमें मदद करने के लिए कई संस्थानों में एग्रीबिजनेस विषय पर पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स कराये जाते हैं। कोर्स के दौरान एग्रो इंडस्ट्री में इंटर्नशिप करने के मौके मिलते हैं और कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा भी।

प्रमुख संस्थान

  • बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
  • चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी आॅफ कृषि साइंस एंड टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश
  • गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी आॅफ कृषि एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर, उत्तराखंड
  • राजेन्द्र कृषि यूनिवर्सिटी, पूसा, बिहार
  • आईसीएआर-नेशनल एकेडमी आॅफ कृषि रिसर्च मैनेजमेंट (नार्म), हैदराबाद

क्या हो क्षमताएं:

  • कृषि और विभिन्न तैयार फूड प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी
  • ग्रामीण इलाकों में स्थापित प्रोसेसिंग यूनिट्स में काम करने की इच्छा
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में एग्रो प्रोडक्ट्स की मांग और पूर्ति पर नजर
  • कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए बड़े किसानों को समझाने की काबिलियत
  • तर्कसंगत सोच और नेतृत्व की क्षमता
  • संवाद कौशल
  • धैर्यवान व्यक्तित्व तथा टीमवर्क में आस्था

नए स्टार्टअप से खुल रहे सफलता के रास्ते


बढ़ रहा है जैविक खेती का चलन

युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन ने विदेश की शानदार नौकरी छोड़ कर ‘वैदिक वाटिका’ स्टार्टअप शुरू किया। वह नैनो टेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट हैं, पर खेती-किसानी में रुचि होने की वजह से उन्होंने अपनी शोध-रुचियों को जैविक खेती की ओर मोड़ा। छत्तीसगढ़ में जशपुर नगर स्थित अपनी पैतृक जमीन पर उपलब्ध संसाधनों से ही शानदार फसल उगाकर दिखाई, ताकि स्थानीय किसानों का शहरों की तरफ पलायन रुके और जैविक का रुझान किसानों में बढ़े। अब जैविक उत्पादों का एक बड़ा बाजार है।

छोटे किसानों की बढ़ाई आमदनी

चार्टर्ड अकाउंटेंट सत्य रघु पीडब्लूसी में शानदार नौकरी होने के बावजूद खुश नहीं थे। साल 2015 में अपने साथियों सौम्या, आयुष और कौशिक के साथ मिल कर स्टार्टअप ‘खेती’ शुरू किया, जो देश के छोटे किसानों को अपने प्रोडक्ट ‘ग्रीनहाउस-इन-ए-बॉक्स’ के जरिये बेहतर उपज पाने में मदद कर रहा है। उनका यह प्रोडक्ट पानी की बचत के साथ वातावरण के तापमान को नियंत्रित करता है। इस तरह किसानों को जलवायु परिवर्तन के असर से अपनी खेती को बेअसर रखना सिखा रहे हैं।

कई स्तर पर हैं काम

विश्वजीत सिन्हा ने अपने स्टार्टअप ‘आॅक्सेन फार्म सॉल्यूशन’ से कृषि से जुड़ी कई समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की। वह किसानों को भूमि तैयार करने, फसल लगाने और दूसरे प्रबंधन को देखने के लिए उन्नत उपकरण किराये पर देते हैं। इससे श्रम का खर्चकम करने में कई किसानों को काफी मदद मिली है।

साथ में उन्होंने तकनीक से युक्त ऐसी सप्लाई चेन विकसित की है, जिससे किसानों के ताजे फल और सब्जियां शहरी खुदरा व्यापारियों तक सीधे पहुंचाई जा रही हैं। देश के कई राज्यों में उनकी ये सेवाएं उपलब्ध हैं। इस तरह उनके स्टार्टअप ने किसानों के इस पहलू पर काम करने की जरूरत की ओर ध्यान दिलाया है।

भारत के प्रमुख एग्री-टेक स्टार्टअप्स

भारतीय कृषि की विभिन्न फील्ड्स में रूचि रखने वाले भारत के यंगस्टर्स के लिए देश के कुछ प्रमुख स्टार्टअप्स की एक लिस्ट पेश है:

  • निंजाकार्ट : फलों और सब्जियों के लिए वर्ष 2015 में बैंगलोर, भारत स्थापित यह एक आॅनलाइन बी2बी प्लेटफार्म है।
  • एग्रोस्टार: वर्ष 2010 में पुणे, महाराष्ट्र में स्थापित एग्री इनपुट्स अर्थात फर्टिलाइजर्स, सीड्स, मेन्योर्स और फार्म इक्विपमेंट्स सप्लाई करता है।
  • क्रोफार्म: वर्ष 2010 में दिल्ली में स्थापित यह कंपनी किसानों से ताजे फल और सब्जियां खरीदकर आॅनलाइन और आॅफलाइन माध्यम से फलों और सब्जियों के व्यापारियों को सप्लाई करती है। यह कंपनी इस समय 100 से अधिक छोटे और बड़े व्यापारियों को फ्रेश फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स सप्लाई कर रही है।
  • ग्रामोफोन: वर्ष 2016 में इंदौर, मध्यप्रदेश में स्थापित यह कंपनी एक मोबाइल एप बेस्ड वेंचर है जो किसानों को सभी जरुरी सूचनाएं और फार्म इनपुट प्रोडक्ट्स की अच्छी जानकारी मुहैया करवाता है। इससे किसानों को मौसम की जानकारी मिलने के साथ ही अपनी फसल के लेटेस्ट मार्केट रेट्स पता चलने के साथ अपनी फसल के लिए जरूरी सलाह भी मिल जाती है।
  • फ्रेश टू होम: वर्ष 2012 में बैंगलोर, भारत में स्थापित यह कंपनी सी फूड्स आॅनलाइन सप्लाई करती है।
    वे कूल फूड्स एंड प्रोडक्ट्स: वर्ष 2015 में चेन्नई, तमिलनाडु में स्थापित यह कंपनी कई किस्म की कृषिल कमोडिटीज जैसे फल और सब्जियां होटल्स, रेस्टोरेंट्स और रिटेलर्स को सप्लाई करती है। यह कंपनी तकरीबन 150 टन फल और सब्जियों का रोजाना कारोबार करती है।
  • जंबोटेल: वर्ष 2015 में बैंगलोर, भारत में स्थापित यह कंपनी आॅनलाइन बी2बी प्लेटफार्म कंपनी है जो होलसेलर्स और रिटेलर्स को फल, सब्जियां और ग्रोसरीज सप्लाई करती है।
  • क्रोपिन: वर्ष 2010 में बैंगलोर, भारत में स्थापित यह कंपनी कृषि सेक्टर के लिए फार्म मैनेजमेंट सोल्यूशन्स आॅफर करती है। यह कंपनी स्मार्टफार्म और स्मार्टरिस्क के माध्यम से फार्मिंग कंपनियों, एग्री-इनपुट कंपनियों, क्रॉप इंश्योरेंस प्रोवाइडर्स आदि के साथ राज्य और केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े विभिन्न विभागों को सभी जरुरी एडवाइसेस और सोल्यूशन्स उपलब्ध करवाती है।
  • फार्म बी: वर्ष 2009 में पुणे, महाराष्ट्र में स्थापित यह कंपनी एक आॅनलाइन प्लेटफॉर्म है जो कृषि सोल्यूशन्स से संबंधित डाटा उपलब्ध करवाता है जैसे कि, वेदर डाटा, फूड आइटम्स के प्राइसेस और क्रॉप प्रोडक्शन से संबंधित डाटा।
  • बॉम्बे हेम्प कंपनी: यह कंपनी वर्ष 2013 को मुंबई, महाराष्ट्र में शुरू की गई थी। यह स्टार्टअप कंपनी कैनाबिस पर मेडिकल रिसर्च करके उसके मेडिसिनल बेनिफिट्स पता लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।

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