बदलाव बेहतरी के लिए

बदलाव बेहतरी के लिए | Change for the better
सब कुछ परिवर्तनशील है, सिवाय परिवर्तन के। जी हाँ, परिवर्तन यानी बदलाव, प्रकृति का नियम है। कुदरत हर क्षण बदलती रहती है। समय बदलता है, तो ऋतुएं बदलती हैं, नए मौसम आते हैं, फसलें बदलती हैं। इस सबके हिसाब से हमारा पहनावा और खान पान भी बदल जाता है।

अब जरा सोचिये कि क्या हो अगर ये बदलाव हों ही न?

जीवन से विविधता लुप्त हो जायेगी। सोच सीमित हो जायेगी। नयापन समाप्त हो जाएगा। बड़ी ही बेनूर, एक ही सी रहने वाली बेरंग जिंदगी, क्या अच्छी लगेगी? नहीं ना? बदलाव जरूरी है, हममें से कुछ नया निकालने के लिए, नए रंग, भाव, आदि को अनुभव करने के लिए। ऐसे ही हमारे अंदर भी बदलावों की जरूरत है। हम भी प्रकृति का एक छोटा सा रूप हैं, और हमारे लिए भी बदलाव उतना ही जरूरी है, ताकि हम अपने जीवन, रिश्ते, कार्यशैली एवं स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें।

क्या हो सकते हैं ये बदलाव:

क्या बदलाव किये जा सकते हैं, से पहले यह जान लेते हैं कि बदलाव की जरूरत को पहचाना कैसे जाए?
अपने आस पास नजर घुमाकर देखिये, उसमें स्वयं को भी देखिये और जो भी चीज या रिश्ता सामान्य या स्वच्छ न रह गया हो, उसमें या उसके लिए बदलाव अनिवार्य है।

शुरुआत करें खुद से:स्वयं के शरीर सम्बन्धी बदलाव:

आज की व्यस्त दिनचर्या, जहां अमूनन सारे काम मशीनें ही कर देती हैं और हम लगभग 60% गैर जरूरी काम जैसे व्हाट्सअप, चैटिंग, फेसबुक एवं अन्य फालतू बातों में व्यस्त रहते हैं, जिनमें शरीर के चलायमान होने की जरूरत नहीं रह जाती। बहुत सम्भव है, हम मोठे, बेडौल और आलसी हो जाते हैं।

तो आइए सबसे पहले इसी बदलाव पर काम करें।

ऐसे बदलें:

  • अपने सोने और उठने के साथ खाने के समय को भी निश्चित करें।
  • दिन में छ: से आठ टुकड़ों में खाएं।
  • व्हाट्सअप एवं फेसबुक के लिए समय निश्चित रखें व एक ही समय रखें।
  • स्वयं को याद दिलाएं कि काम के बीच में थोड़ी थोड़ी देर में उठकर 200 कदम चलना है।
  • महिलायें वजन को नियंत्रित करने के लिए घर की सफाई, पोंछा इत्यादि को चुन सकती हैं। यह वजन कम करने हेतु सबसे ज्यादा कारगर है। पुरुष बागवानी इत्यादि करें।
  • रोज लगभग 30 मिनट व्यायाम को जरूर दें। किसी कारणवश सुबह न कर पाएं तो शाम को कर सकते हैं।

रिश्तों के बदलाव:

आज इन्हीं फेसबुक एवं व्हाट्सअप आदि ने मजबूत रिश्तों को भी ढीला करना शुरू कर दिया है।

हम वर्चुअली (वास्तव में) सोशल रह गए हैं। वास्वतिक रिश्तों से ये दूरी हमारे मनोभावों को सुखा रही हैं।

ऐसे बदलें:

  • वर्चुअल दुनिया पर नए लोगों से रिश्ते बनाने से बचें। यदि परिचय व्यवसायिक है, तो उसे उसी परिधि में ही रखें।
  • याद रखें वास्तविक और पारिवारिक रिश्ते विश्वास की नींव पर टिके होते हैं और उनकी अपनी गरिमा होती है, जिसे बनाये रखना बहुत जरूरी होता है।
  • अपने वर्चुअल रिश्तों के बारे में परिवार वालों को खुलकर बताएं। याद रखें कि यदि आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो उन रिश्तों में कुछ गलत जरूर है।
  • अपने परिवार को नियमित रूप से समय दें। वीकेंड पर बाहर जाएँ, साथ समय बिताएं।
  • रिश्तों की परवाह करें, खासकर बच्चे। उन्हें सुनें। उनसे बात करें, ताकि वो इस वर्चुअल दुनिया के जाल में कहीं फंस न जाएँ।

सफाई संबंधी बदलाव:

दुनिया भर के कई धर्म इस बात को मानते हैं कि गंदगी दरिद्रता लाती है। ऐसे में अपने आस पास नियमित रूप से सफाई बनाएं रखें।

कैसे करें बदलाव:

  • हफ्ते का एक दिन रखें, जिस दिन आप जालों, शीशों, टेबल के ड्रॉवर इत्यादि की सफाई करेंगे। अपने मोबाइल को भी नियमित रूप से साफ करें। आपका मोबाइल और कम्प्यूटर की बोर्ड कीटाणुओं का घर होते हैं। इस खास दिन महीने में एक बार पंखे भी साफ करें।
  • चादर हर हफ्ते बदलें। कोशिश करें घर में हलके रंग की चादरें एवं परदे हों, जिससे घर खुला-खुला और अधिक साफ दिखता है।
  • अपने बगीचे, सीढ़ियों, भंडारगृहों को भी साप्तहिक रूप से साफ करें।
  • दो महीने में एक बार छत की पानी की टंकी को भी साफ करें।
  • गीले कचरे से घर ही में खाद तैयार करें। इससे न केवल सफाई बनी रहेगी, आपको मुफ्त की खाद भी मिलेगी।

मानसिक सफाई के संबंध में:

  • हमारा मस्तिष्क एक बहुत ही प्यारी और आज्ञाकारी मशीन है, पर अन्य किसी मशीन की ही तरह, ध्यान न देने पर यह बिगड़ जाता है। यदि हमें मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य चाहिए तो इस मशीन की भी नियमित रूप से सफाई करें।
  • हफ्ते में एक दिन शान्ति से बैठकर मनन कीजिये कि कहाँ-कहाँ आपने अनुशासन तोड़ा। चूंकि आपका मस्तिष्क एक आज्ञाकारी मशीन है। यह आपके हर क्रिया कलाप का अनुसरण एक आज्ञा की तरह करता है। यदि आप एक बार अनुशासन तोड़ेंगे तो यह आपको दो बार ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • इस आंकलन के दौरान यह भी याद करें कि कब-कब आपने आपा खोकर क्रोध किया, बुरा बर्ताव किया या ऊँची आवाज में बात की। हर बात की प्रतिक्रिया को सरल रूप में व्यक्त किया जा सकता है। यदि अकारण क्रोध की बारंबरता ज्यादा हो तो निश्चित रूप से चिकित्स्क की मदद लें।
  • गौर कीजिये कि आपके अपने सहपाठियों, सहकर्मियों, सहयोगियों, परिवारवालों एवं पड़ोसियों से रिश्ते कैसे हैं? यदि आपकी उनसे खटपट अक्सर होती है, तो निश्चित रूप से आपको स्वयं के स्वभाव पर काम करने की जरूरत है, क्योंकि सभी गलत नहीं हो सकते और याद रखिये “एक साधे सब सधे”। साथ ही स्वयं में परिवर्तन करना आसान है बनित्स्पद किसी दूसरे में बदलाव की अपेक्षा रखने के।
  • शांत रहिये और अपने सुखद भविष्य की कल्पना कीजिये। यह वैसे ही सुखद भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • जिनसे पुरानी अनबन हो, उन्हें मन से माफ कर दीजिये। जीवन बहुत छोटी अवधि है।
  • यह छोटे छोटे बदलाव करके देखिये, दुनिया सुहानी व प्यारी हो जायेगी। क्या बांटना है, जयदाद नहीं, आप प्यार बाँटिये व प्यार बिखेरिये। बदलावों की शुरूआत कीजिये तो सही, ये निश्चित रूप से जीवन को बेहतर बनाएँगे। -गीतू

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