केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। 1986 के बाद पहली बार यानी 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति बदल रही है। Changes Education Policy
इसमें बच्चे के प्राइमरी स्कूल में एडमिशन से लेकर हायर एजुकेशन व जॉब कोर्स से जुड़ने तक काफी बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट इसरो के वैज्ञानिक रह चुके शिक्षाविद के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने बनाया है।
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शिक्षा नीति लाने की जरूरत क्यों महसूस की गई?
- इससे पहले की शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी। उसमें ही संशोधन किए गए थे। लंबे समय से बदले हुए परिदृश्य में नई नीति की मांग हो रही थी। 2005 में कुरिकुलम फ्रेमवर्क भी लागू किया गया था।
- एजुकेशन पॉलिसी एक कॉम्प्रेहेंसिव फ्रेमवर्क होता है जो देश में शिक्षा की दिशा तय करता है। यह पॉलिसी मोटे तौर पर दिशा बताता है और राज्य सरकारों से उम्मीद है कि वे इसे फॉलो करेंगे। हालांकि, उनके लिए यह करना अनिवार्य नहीं है।
- ऐसे में यह पॉलिसी सीबीएसई तो लागू करेगी ही, राज्यों में अपने-अपने स्तर पर फैसले लिए जाएंगे। यह बदलाव जल्द नहीं होंगे बल्कि इसमें समय लग सकता है। यह एक प्रक्रिया की शुरूआत के तौर पर देखा जाना चाहिए।
5+3+3+4 में 5 का क्या है मतलब?
तीन साल प्री-स्कूल के और क्लास 1 और 2 उसके बाद के 3 का मतलब है क्लास 3, 4 और 5 उसके बाद के 3 का मतलब है क्लास 6, 7 और 8 और आखिर के 4 का मतलब है क्लास 9, 10, 11 और 12, यानी अब बच्चे 6 साल की जगह 3 साल की उम्र में फॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। अब तक बच्चे 6 साल में पहली क्लास मे जाते थे, तो नई शिक्षा नीति लागू होने पर भी 6 साल में बच्चा पहली क्लास में ही होगा, लेकिन पहले के 3 साल भी फॉर्मल एजुकेशन वाले ही होंगे। प्ले-स्कूल के शुरूआती साल भी अब स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे।
Changes Education Policy और क्या नया और अलग होगा शिक्षा जगत में?
- नई शिक्षा नीति के तहत तकनीकी संस्थानों में भी आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज के विषय पढ़ाए जाएंगे। साथ ही देश के सभी कॉलेजों में म्यूजिक, थिएटर जैसे कला के विषयों के लिए अलग विभाग स्थापित करने पर जोर दिया जाएगा।
- कैबिनेट ने एचआरडी (ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट) मिनिस्ट्री का नाम बदलकर मिनिस्ट्री आॅफ एजुकेशन करने की मंजूरी भी दी है। दुनियाभर की बड़ी यूनिवर्सिटीज को भारत में अपना कैंपस बनाने की अनुमति भी दी जाएगी।
- आईआईटी सहित देश भर के सभी तकनीकी संस्थान होलिस्टिक अप्रोच को अपनाएंगे। इंजीनियरिंग के साथ-साथ तकनीकी संस्थानों में आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज से जुड़े विषयों पर भी जोर दिया जाएगा।
- देशभर के सभी इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए एक कॉमन एंट्रेंस एग्जाम आयोजित कराए जाएंगे। यह एग्जाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी कराएगी। हालांकि, यह आॅप्शनल होगा। सभी स्टूडेंट्स के लिए इस एग्जाम में शामिल होना अनिवार्य नहीं रहेगा।
- स्टूडेंट्स अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी आॅनलाइन कोर्स कर सकेंगे। आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं के अलावा कन्नड़, उड़िया और बंगाली में भी आॅनलाइन कोर्स लॉन्च किए जाएंगे। वर्तमान में अधिकतर आॅनलाइन कोर्स इंग्लिश और हिंदी में ही उपलब्ध हैं।
- नई शिक्षा नीति में जीडीपी का 6% हिस्सा शैक्षणिक क्षेत्र पर खर्च किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में केंद्र और राज्य को मिलाकर जीडीपी का कुल 4.43% बजट ही शिक्षा पर खर्च किया जाता है।
आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए डिप्लोमा जरूरी
सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू होने के साथ बेसिक स्तर के शिक्षक और आंगनबाड़ी कर्मियों को भी छह महीने और एक साल के विशेष प्रशिक्षण लेने होंगे। 12वीं और इससे उच्च स्तर पर शिक्षितों को केवल छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करना होगा। जबकि इससे कम शिक्षा वाली आंगनबाड़ी कर्मियों को एक साल डिप्लोमा कोर्स कराया जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका प्रावधान किया गया है।
बैग का बोझ कम
कला, क्विज, खेल और व्यावसायिक शिल्प से जुड़े विभिन्न प्रकार के संवर्धन गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
पाठ्यक्रम सामग्री को कम किया जाना
पाठ्यचर्या की सामग्री को प्रत्येक विषय में इसकी मूल अनिवार्यता को कम किया जाएगा, और महत्वपूर्ण सोच और अधिक समग्र, पूछताछ-आधारित, खोज-आधारित, चर्चा-आधारित और विश्लेषण-आधारित सीखने के लिए जगह बनाई जाएगी।
ऐप, टीवी चैनल आदि के माध्यम से पढ़ाई
प्रौढ़ शिक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रौद्योगिकी-आधारित विकल्प जैसे ऐप, आॅनलाइन पाठ्यक्रम / मॉड्यूल, उपग्रह-आधारित टीवी चैनल, आॅनलाइन किताबें, और आईसीटी से सुसज्जित पुस्तकालय और वयस्क शिक्षा केंद्र आदि विकसित किए जाएंगे।
पोषण और स्वास्थ्य कार्ड, स्कूल के छात्रों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच
बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य (मानसिक स्वास्थ्य सहित) को स्वस्थ भोजन और नियमित स्वास्थ्य जांच के माध्यम से संबोधित किया जाएगा, और उसी की निगरानी के लिए स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाएंगे।
Changes Education Policy पढ़ाई के ढांचे में किस तरह का बदलाव दिखेगा?
पूरी व्यवस्था ही बदल गई है। मौजूदा व्यवस्था में तीन स्तर है और नए सिस्टम में पांच स्तर। यह हर स्तर पर हुनरमंद नई पीढ़ी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी।
- मौजूदा सिस्टम में 6 वर्ष का बच्चा कक्षा 1 में आता है। नए सिस्टम में ज्यादा बदलाव नहीं है। लेकिन इसके मूल ढांचे में थोड़ा बदलाव किया है।
- 6 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर फोकस होगा। इसके लिए नेशनल मिशन बनेगा। पूरा फोकस होगा, कक्षा 3 तक के बच्चों का फाउंडेशन मजबूत बने।
- कक्षा 5 तक तक आते-आते बच्चे को भाषा और गणित के साथ उसके स्तर का सामान्य ज्ञान होगा। डिस्कवरी और इंटरेक्टिवनेस इसका आधार होगा यानी खेल-खेल में सारा सिखाया जाएगा।
- कक्षा 6-8 तक के लिए मल्टी डिसीप्लीनरी कोर्स होंगे। एक्टिविटीज के जरिये पढ़ाएंगे। कक्षा 6 के बच्चों को कोडिंग सिखाएंगे। 8वीं तक के बच्चों को प्रयोग के आधार पर सिखाया जाएगा।
- कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के लिए मल्टी-डिसीप्लीनरी कोर्स होंगे। यदि बच्चे की रुचि संगीत में है, तो वह साइंस के साथ म्यूजिक ले सकेगा। केमेस्ट्री के साथ बेकरी, कुकिंग भी कर सकेगा।
- कक्षा 9-12 में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग पर जोर होगा। इससे जब बच्चा 12वीं पास करके निकलेगा, तो उसके पास एक स्किल ऐसा होगा, जो आगे चलकर आजीविका के रूप में काम आ सकता है।
बोर्ड परीक्षाओं का क्या होगा?
- नई शिक्षा नीति में नियमित और क्रिएटिव असेसमेंट की बात कही गई है। कक्षा 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं होंगी। इसे उपयुक्त प्राधिकरण संचालित करेगा।
- कक्षा 10 एवं 12 की बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी। इनका स्वरूप बदल जाएगा। नया नेशनल असेसमेंट सेंटर ‘परख’ मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
ईसीसीई फे्रमवर्क क्या है, जिसकी चर्चा हो रही है?
- ईसीसीई का मतलब है अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन। इसके तहत बच्चे को बचपन में जिस देखभाल की आवश्यकता होती है उसे शिक्षा के साथ जोड़ा गया है।
- एनसीईआरटी इसके लिए नेशनल कोर्स और एजुकेशनल स्ट्रक्चर बनाएगा। बच्चों की देखभाल और पढ़ाई पर फोकस रहेगा। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और बेसिक टीचर्स को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी।
- तीन से आठ वर्ष आयु के बच्चों को दो हिस्सों में बांटा है। पहले हिस्से में यानी 3-6 वर्ष तक बच्चा ईसीसीई में रहेगा। इसके बाद 8 वर्ष का होने तक वह प्राइमरी में पढ़ेगा।
इंटर्नशिप का क्या कंसेप्ट है?
- फिलहाल शिक्षा का फोकस इस बात पर है कि कैसे लाभ हासिल किया जाए। लेकिन नए सिस्टम में पूरा फोकस व्यवहार पर आधारित शिक्षा पर होगा। स्कूलों में कक्षा 6 से ही व्यवसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी। इसमें इंटर्नशिप भी शामिल होगी। ताकि बच्चों को पास के किसी उद्योग या संस्था में ले जाकर फर्स्ट-हेंड एक्सपीरियंस दिया जा सकेगा।
त्रि-भाषा फामूर्ला क्या है?
नई शिक्षा नीति में कम से कम कक्षा 5 तक बच्चों से बातचीत का माध्यम मातृभाषा/स्थानीय भाषा/ क्षेत्रीय भाषा रहेगी। छात्रों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को विकल्प के रूप में चुनने का अवसर मिलेगा। त्रि-भाषा फॉमूर्ले में भी यह विकल्प शामिल होगा। पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प होंगे। कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्प के रूप में चुना जा सकेगा। भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज को मानकीकृत किया जाएगा और बधिर छात्रों के इस्तेमाल के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी।
हायर एजुकेशन के लिए क्या सोचा है?
सबसे पहले तो एनरोलमेंट बढ़ाना है। वोकेशनल के साथ-साथ हायर एजुकेशन में एनरोलमेंट 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है। 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ेंगे। कॉलेज में एक्जिट विकल्प होंगे। अंडर-ग्रेजुएट शिक्षा 3-4 वर्ष की होगी। एक साल पर सर्टिफिकेट, 2 वर्षों पर एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों पर ग्रेजुएट डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ ग्रेजुएट। एक एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना की जानी है, जिससे कि इन्हें अर्जित अंतिम डिग्री की दिशा में अंतरित एवं गणना की जा सके।
उच्च शिक्षा में ये बदलाव:
- उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और एग्जिट का विकल्प
- पांच साल के कोर्स वालों को एमफिल में छूट
- कॉलेजों के एक्रेडिटेशन के आधार पर आॅटोनॉमी
- मेंटरिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन
- हायर एजुकेशन के लिए एक ही रेग्यूलेटर
- लीगल एवं मेडिकल एजुकेशन शामिल नहीं
- सरकारी और प्राइवेट शिक्षा मानक समान
- नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की होगी स्थापना
- शिक्षा में तकनीकी को बढ़वा
- दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा में बदलाव
- 8 क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्सेस शुरू।
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