बाल भी बांका नहीं होने दिया

बाल भी बांका नहीं होने दिया:

सत्संगियों के अनुभव: पूज्य गुरु डॉ. एमएसजी के रहमो-करम का कमाल…
बहन प्रनीतकौर इन्सां सुपुत्री श्री सुखचैन सिंह इन्सां वासी घरौंडा जिला करनाल (हरियाणा)।

अपने सतगुरु मुर्शिद प्यारे के एक अपार रहमो-करम का जिक्र करते हुए प्रनीत कौर लिखित में बताती है कि पूज्य पिता जी का एक अनोखा करिश्मा हुआ कि पूज्य पिता जी ने मेरा बाल भी बांका नहीं होने दिया।

घटना दिसम्बर 2013 की है। उस रात मुझे एक अजीब-सा सपना आया, पूज्य पिता जी संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (डॉ. एमएसजी पिता जी) बहुत ही मधुर स्वर में एक भजन गा रहे थे और मौजूद सारी साध-संगत (बहन-भाई) बहुत ही मस्ती में नाच रहे थे। मैं भी उन बहनों की संगत में शामिल थी।

अचानक पूज्य गुरु जी ने मेरी आंखों में (नाचती हुई की) नींबू का रस निचौड़ दिया। मेरे मन में आया (क्योंकि नींबू निचोड़ने पर मेरी आंखों में थोड़ी जलन भी हुई) कि पिता जी ने मेरी आंखों में नींबू क्यों निचोड़ा है, अगर डालना था तो गुलाब-जल डाल देते। सुबह जब मैं उठी तो कई तरह के ख्यालों से मेरा मन उदास हो गया कि या तो मेरी आंखों को कुछ हो सकता है या कोई एक्सीडेंट वगैरह, इस तरह बुरे-बुरे ख्याल मेरे दिमाग को चकराने लगे थे।

परंतु वह दिन, (पूरा दिन) राजी खुशी गुजर गया। उपरान्त दो दिन के बाद मुझे रात को सोई हुई को फिर सपना आया। मैंने देखा कि पूज्य पिता जी सत्संग फरमा रहे हैं। अचानक सत्संग करते-करते पूज्य पिता जी मेरी तरफ आए और मेरी आंखों में फिर नींबू निचोड़ दिया। उस वक्त मैं पूज्य सतगुरु प्यारे के मनमोहने स्वरुप को एक टक निहार रही थी, मुझे आंखों में थोड़ी जलन महसूस हुई।

सुबह उठी, सोचा कि कुछ न कुछ बात तो जरूर है। परन्तु सतगुरु पूरे के राज को कोई क्या जाने। मैंने निश्चय किया कि पूज्य पिता जी को एक पत्र भेजकर इस की वास्तविकता का जरूर पता करना चाहिए।

दिनांक 12 जनवरी 2014, उस दिन रविवार को पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन अवतार माह की खुशी में हमारे घर पर नामचर्चा का प्रोग्राम था। करीब 9 बजे का समय था।

मैं अपने कमरे में ऊपर थी कि नीचे से मेरे दादा जी ने आवाज दी कि बेटा, इन्वर्टर वाली लाईट नहीं चल रही, जरा चैक कर कि कहीं बैटरे में पानी तो नहीं खत्म हो गया। मैंने नीचे कमरे में आकर देखा,जहां इन्वर्टर-बैटरा सैट रखा हुआ था, वहां पर लाईट नहीं थी।

मैंने रसोई से मोमबत्ती जला कर उस कमरे में एक कुर्सी या किसी टेबल पर लगाई और बैटरे के ढक्कन खोल कर देखा, पानी तो पूरा है। मैं जब बैटरे के ढक्कन को बंद कर रही थी, तो मुझे लगा कि उसके अंदर काली-काली कोई चीज सी है। मैंने एक हाथ में मोमबत्ती उठा ली ताकि नजदीक करके देखूं, कि वह क्या है।

जैसे ही मैंने मोमबत्ती को बैटरे के नजदीक लाकर झांकने की कोशिश की, बैटरे से निकल रही गैस (हाईड्रोजन गैस) ने एकदम आग पकड़ ली और जोर से धमाका हुआ, जैसे कोई टाईम बम फटा हो। मुझे नहीं पता चला कि मेरे साथ क्या हुआ है। मेरे चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था, मैंने अपने दादा जी को तीन चार बार चिल्ला कर आवाज लगाई कि मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। शायद हमारे घर का गलीवाला गेट उस समय खुला था, मेरे दादा जी तो तब तक नहीं पहुंचे थे, शायद उन्हें मेरी आवाज न सुनी हो, परंतु गली से जा रहा एक व्यक्ति जल्दी जल्दी से अंदर आया।

वह मेरे लिए फरिश्ता बन कर आए। उन्होंने मुझे बैटरी के प्रभाव से पीछे हटाया और मेरी आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारे। शोर सुनकर तब तक हमारे घर पर काफी लोग इकट्ठे हो गए थे।

उनमें से एक किसी की मुझे आवाज सुनाई दी वह कह रहा था कि इसकी तो एक आंख सफेद हो गई है। सुनकर मुझे लगा कि मेरी आंखें भी और फेस (चेहरा) भी खराब हो गया है। मैंने एक बार तो जीने की आशा ही छोड़ दी थी कि चेहरा व आंखों से हीण होकर जीने का क्या फायदा।

लेकिन अंदर से पूज्य सतगुरु पिता जी का ख्याल भी आए कि पिता जी अपनी रहमत से अपनी बच्ची के साथ कभी ऐसा नहीं होने देंगे।

मुझे उसी समय हस्पताल ले जाया गया। डाक्टर (आंखों के माहिर) ने मेरी आंखों में कोई दवा डाली तो उससे मुझे सबकुछ साफ दिखाई देने लगा। बहुत खुशी हुई। पिता जी का धन्यवाद किया कि मेरे प्यारे दाता जी ने अपनी रहमत से बिल्कुल भी कुछ नहीं होने दिया। लेकिन अभी तक मुझे यह शक था कि चेहरा तो जरूर जल गया होगा।

लोग भी कह रहे थे, उस कमरे की हालत को देखकर जहां बैटरा फटा था कि सीमिंटिड दीवारों में छेद हो गए थे और बैटरे के तेजाब से कमरे का फर्श सफेद हो गया और जहां तक ज्यादा तेजाब की छींटे गए, वहां से फर्श फट भी गया था और जिस व्यक्ति ने मुझे पकड़ कर साईड पर किया था, उसके पहने कपड़े (वह किसी पार्टी पर जा रहा था) भी तेजाब से जल गए थे। तो यह सब देखकर ही लोग कह रहे थे कि बेटी की आंखें भी खत्म हो गई होंगी और उसका चेहरा भी कुरुप हो गया होगा। लेकिन मुझे ओर मेरी आंखों व चेहरे को सही-सलामत देखकर सब आश्चर्य-चकित थे और मैं भी अपने आप को बिल्कुल स्वस्थ पाकर बहुत-बहुत खुशी थी।

मेरे सतगुरु मुर्शिद प्यारे डॉ. एमएसजी पिता जी (संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) ने अपना अपार रहमो-करम बख्शा और अपनी बच्ची का (मेरा) बाल भी बांका नहीं होने दिया था।

वर्णनीय है कि सपने में जो दो बार पूज्य पिता जी द्वारा मेरी आंखों में नींबू का रस निचोड़ ने के दृष्टांत दिखाए गए थे, सतगुरु पिता जी ने इस बहाने मेरी आंखों में मामूली सी जलन से मेरे पर आने वाली उस इतनी भारी मुसीबत को टाल दिया था।

ऐ हमारे महान परोपकारी सतगुरु प्यारे डॉ. एमएसजी लायन हार्ट अपनी रहमत सदा बनाए रखना जी। एक पल भी हम आप जी के पवित्र चरण कमलों से दूर ना होएं जी।

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