Children's story

बाल कथा: Children’s story चिड़ियों का उपवास -एक चिड़िया दाने की खोज में उड़ी जा रही थी। दोपहर होने को आई थी, पर अभी तक उसे कुछ नहीं मिला था। तभी नीचे एक कुआं दिखाई दिया। पास ही एक गड्ढे में पानी भरा था। चिड़िया को प्यास लग गई। वह गड्ढे के पास जा उतरी और प्यास बुझाने लगी। तब जा कर उसकी जान में जान आई।

कुएं के पास एक आदमी बैठा था। वह शक्ल से बीमार लगता था। चिड़िया ने उसकी आवाज सुनी, ‘खाली पेट पानी कैसे पिया जाएगा? कल से मुंह में एक दाना भी नहीं गया है, लेकिन मुझे खाना देगा कौन?‘ आवाज सुन, चिड़िया ने मन में कहा, ‘काश! यह भी मेरी तरह दाना चुगता तो इसका पेट कैसे भी भर ही जाता। आखिर लोग भूखे पेट क्यों रहते हैं?‘ और फिर वह आगे उड़ चली।

चिड़िया को एक पेड़ के नीचे दो आदमी दिखाई दिए। वे खाना खा रहे थे। चिड़िया वहां जा उतरी, फुदकने लगी। वह बार-बार अपने पंख फैला रही थी। दोनों आदमियों ने खाना खत्म किया तो एक रोटी बच गई थी। रोटी वहीं छोड़ दोनों व्यक्ति आगे चल दिए। चिड़िया के मन में आया, ‘अगर यह रोटी उस भूखे को मिल सके तो उसका पेट भर सकता है।‘

चिड़िया ने रोटी को चोंच से पकड़ा पर उसे खींच न सकी। वह छोटी-सी चिड़िया रोटी को चोंच में दबा कर उड़ने की सोच रही थी पर यह संभव नहीं था। फिर भी वह उस भूखे आदमी की मदद करना चाहती थी। तभी चार और चिड़ियां उस रोटी के पास आ उतरीं। पहले वाली चिड़िया ने उन्हें भूखे आदमी के बारे में बताया। अब उसकी सखियां भी सोच में डूब गईं। थोड़ी देर के लिए किसी भी चिड़िया को यह याद न रहा कि वे अपने परिवार के लिए दाने की खोज में निकली थीं।

Also Read:  Veg Momos: वेज मोमोज

आखिर उन्होंने तय किया कि वे मिल कर उस रोटी को उठाएंगी तो शायद बात बन जाए। वे पांचों उसे चोंच से पकड़ कर खींचने लगीं और पंख फड़फड़ाने लगीं। इस बार पांचों उस रोटी समेत उड़ चलीं। तभी दो शिकारियों ने यूं चोंच में रोटी पकड़े उड़ती हुई चिड़ियों को देखा, तो अचरज में डूब गए। ऐसा विचित्र दृश्य उन्होंने इससे पहले अपने जीवन में कभी नहीं देखा था। एक शिकारी बोला, ‘वाह, क्या अद्भुत दृश्य है। आओ, इनका शिकार करें।‘

दूसरा शिकारी बोला, ‘अभी नहीं, पहले यह देखो कि ये चिड़ियां इस रोटी को कहां ले जा रही हैं?’ और इस तरह शिकार की बात भूल कर वे चिड़ियों का विचित्र व्यवहार देखने लगे। उड़ते-उड़ते चिड़ियां वहीं जा पहुंचीं जहां वह भूखा आदमी अब भी बैठा था, न जाने किस इंतजार में। चिड़ियों ने चोंच में पकड़ी रोटी उस भूखे आदमी के पास गिरा दी और फिर सब एक पेड़ पर जा उतरीं। वे दिलचस्पी से उस भूखे आदमी को देख रही थीं।

भूखे ने रोटी को ऊपर से गिरते देखा, तो चौंक कर उठ खड़ा हुआ और इधर-उधर देखने लगा पर कोई दिखाई नहीं दिया। वह चिड़ियों को रोटी गिराते नहीं देख पाया था। वह कुछ देर अचरज के भाव से रोटी को देखता रहा, फिर जल्दी-जल्दी खाने लगा लेकिन एक रोटी से दो दिन की भूख कहाँ मिटती, उलटे भूख और भड़क उठी।

उसे रोटी खाते देख, पेड़ पर बैठी चिड़ियों ने खुशी से पंख हिलाए। वे बहुत प्रसन्न हुईं। एक रोटी खाने के बाद वह आदमी वहां से चलने लगा। शायद उसे उम्मीद थी कि कुछ और खाने को मिल जाए। दोनों शिकारी भी बड़े ध्यान से यह सब देख रहे थे। उन्होंने आवाज दी, ‘ओ भाई, हमारे पास रोटी है। लगता है, तुम बहुत भूखे हो। आओ, तुम भी हमारे साथ खा लो।‘

Also Read:  पशुधन के लिए उभरता बड़ा खतरा -लंपी बीमारी

कुछ ही पल बाद वे तीनों एक साथ भोजन कर रहे थे। पेट भर खाने के बाद वह आदमी शिकारियों को धन्यवाद देने लगा। इस पर वे हंस पड़े। उन्होंने कहा, ‘भाई, शुक्रि या तो उन चिड़ियों का करो जो तुम्हारे लिए रोटी लाई थीं।‘ उन्होंने उसे पूरी घटना बता दी। फिर बोले, ‘पहले हमारे मन में चिड़ियों के शिकार की बात आई थी लेकिन अगर हम उनका शिकार करते तो हमारे हाथ से बहुत बड़ा पाप हो जाता।‘

उस आदमी ने परोपकारी चिड़ियों की खोज में इधर-उधर देखा पर उनकी टोली तो वहां से जा चुकी थी। शिकारियों ने उस आदमी से पूछा, ‘तुम कहां रहते हो, क्या करते हो?‘ उसने बताया, ‘मैं बेघर और बेरोजगार हूं। रोजगार की तलाश में भटक रहा था पर कहीं कोई काम न मिला।‘ शिकारियों ने कहा, ‘हम ठहरे शिकारी पर आज हमें लग रहा है कि निर्दोष परिंदों का शिकार बुरी बात है। आज से हम शिकार नहीं करेंगे। जब तक काम-धंधे का जुगाड़ न हो जाए, तब तक तुम हमारे साथ रह सकते हो।‘

दिन ढल चला था। अब उन चिड़ियों को ध्यान आया कि वे भूखे आदमी की भूख मिटाने के चक्कर में दाना चुगना ही भूल गई थीं। उन्होंने आपस में कहा, ‘अंधेरा हो गया। आज तो सबको उपवास रखना होगा।‘ सुन कर एक चिड़िया बोली, ‘यह दिन हमें सदा याद रहेगा जब हम सबने उपवास रखा था।’ फिर वे तेजी से अपने-अपने घोंसलों की तरफ उड़ चलीं। -नरेंद्र देवांगन