Compromise is not just a happy married life

समझौता मात्र नहीं है सुखमय वैवाहिक जीवन

वैवाहिक जीवन आपसी सद्भाव, पारस्परिक सहयोग, प्रेम एवं विश्वास, दांपत्य संबंधों की आधारशिलाएं होती हैं। इन में से यदि एक भी शिला टूटती है तो संबंध तिनके तिनके हो कर बिखर जाते हैं। बाद में पश्चाताप तो होता है पर बिखरे हुए तिनके बटोर भी लिये जाएं तो दोबारा आशियाना नहीं बनता। यदि वास्तविकता की गहराई में जाया जाए तो पता चलेगा कि वैवाहिक संबंधों की असफलता के पीछे बहुत बड़े कारण नहीं होते जिस का समाधान न मिलता हो पर आपसी सूझ बूझ की कमी एवं अहम के कारण समाधान नहीं खोजे जाते।

यदि हम वातावरण पर नजर डालें तो हमें ऐसे बहुत ही कम दंपत्ति मिलेंगे जो अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय एवं सफल कहते होंगे अन्यथा अधिकांश लोग तो केवल समझौते के आधार पर ही गृहस्थी की गाड़ी खींचते हैं। वैवाहिक संबंध उन के लिए आवश्यक बोझ होता है और उस बोझ से मुक्ति पाने का कोई विकल्प नहीं होता यानी जब विवाह किया है तो निभाना ही पड़ेगा पर ऐसा क्यों है? क्या पति पत्नी अपने जीवन को सफलतापूर्वक नहीं जी सकते। आखिर क्या रहस्य है सफल वैवाहिक जीवन का।

यदि आप इन नियमों को अपना कर चलेंगे तो आप का वैवाहिक जीवन हमेशा के लिए सुखमय एवं सफल बना रहेगा।

  • अपने साथी के विचारों को समझिए और जहां तक हो सके, उन से समझौता करने का प्रयत्न कीजिए। दोनों की पसंद अलग अलग हो सकती है। ऐसे में आपको चाहिए कि आप अपने साथ साथ अपने साथी की पसंद का भी सम्मान करें।
  • कई बार छोटी बातें भी सम्बन्धों में दरार का कारण बन जाती हैं मसलन दाल में नमक अधिक है, चाय ठीक नहीं बन पायी। ऐसे क्षणों में संयम से काम लीजिए और अपने व्यवहार को नम्र रखिए। अपने साथी से छोटी-छोटी शिकायतें करना और उसकी गलतियों को खोजना उचित नहीं है।
  • प्राय: देखा गया है कि पति-पत्नी बाहर के किसी व्यक्ति के सामने आपसी शिकायतों का पुलिंदा खोल कर बैठ जाते हैं। परिणाम यह होता है कि बाहर वाले जलती आग में घी डाल कर अपने हाथ सेंकने की कोशिश करते हैं। सफल वैवाहिक जीवन के लिए इस प्रकार की गलती से बचें। यदि आप को अपने साथी से कोई शिकायत भी है तो उसे प्रेम एवं नम्रता से समझाएं।
  • आप अपने साथी से किसी सीमा तक सहमत हैं और ऐसे क्षणों में उसे कितना सहयोग देते हैं? यदि किसी बात पर सहमति नहीं भी है तो सूझ-बूझ का परिचय दें। ऐसे में साथी से समझौता करना ही हितकारी होता है।
  • पति पत्नी में प्रेम एवं विश्वास की भावना आवश्यक होती है। वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए आप अपने साथी से प्रेम करें और उसे भरोसे की नजरों से देखें। विश्वास ही संबंधों का आधार होता है। अपने साथी पर अकारण ही संदेह न करें। संदेह जैसी कोई बात होने पर अत्यंत नम्रता के साथ अपने साथी से बात करें। इस प्रकार आप व्यर्थ की टकराव की स्थिति से बच सकते हैं।
  • ऐसी ही और भी कई बातें हैं जो दांपत्य संबंधों के लिए आवश्यक होती हैं। देखना तो यह है कि आप कितनी सूझबूझ से काम लेते हैं और अपने वैवाहिक जीवन को किस सीमा तक सफल बना पाते हैं।
    -वीर सुरिन्दर डोगरा

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