कहते हैं कि हम कड़ी लगन एवं मेहनत के जरिए मंजिल पर पहुंचने का सुगम रास्ता तो बना सकते हैं किंतु ठोस इरादों के बलबूते ही मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। इस बीच राह में कठिनाइयां निश्चित रूप से आती हैं, परंतु ऐसे समय में आत्मविश्वास बनाए रखना और उत्साह के साथ कार्य करना एक न एक दिन मंजिल को सुनिश्चित कर देता है। इस तरह हम यहां पर कह सकते हैं कि व्यक्ति में अपनी मंजिल हासिल करने के लिए दृढ़ आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति ही सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता हुआ सब बाधाओं को पार करके नामुमकिन कार्य को भी मुमकिन कर दिखलाता है। एक्सपर्ट लोग भी मानते हैं कि ‘अनुभव सिर्फ व्यक्ति को यह बताता है कि आपको क्या करना है, लेकिन सही मायने में देखा जाए तो उसे सम्पूर्ण करने का श्रेय एकमात्र आत्मविश्वास को ही जाता है। (Confidence Boosting Tips)
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हमेशा चुनौतियों को स्वीकार करें:-
मनोवैज्ञानिकों की राय में, हम अक्सर छोटी-छोटी परेशानियों को लेकर हतोत्साहित होने लगते हैं जो हमारे मन में डर पैदा कर देती हैं। इसलिए आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु यह बेहद जरूरी है कि मन में डर नहीं पैदा होने दिया जाए। इसके लिए आप हमेशा खुलकर चुनौतियों को स्वीकारें। ऐसा करने से ही व्यक्ति के मन में बैठा डर स्वत: खत्म हो सकता है और आत्मविश्वास का अंकुर फूटने लगता है जो भविष्य में चलकर दृढ़ आत्मविश्वास रूपी विशालकाय वृक्ष के रूप में तब्दील होकर खड़ा हो जाता है।
पॉजिटिव सोच रखें:-
आत्मविश्वास बढ़ाने का दूसरा महत्त्वपूर्ण गुर पॉजिटिव सोच रखना है, क्योंकि जैसा आप सोचते हैं, ठीक उसी तरह आप कार्य करने लगते हैं। सदैव स्मरण रखें कि आपकी सोच बुरी परिस्थितियों में भी सकारात्मक ही होनी चाहिए और कठिन से कठिन परेशानी आने पर भी इसका दामन कतई नहीं छोड़ना चाहिए।
सदैव प्रसन्न रहें:-
देखने में आया है कि आत्मविश्वास से भरपूर लोगों के चेहरे पर कभी भी मायूसी के भाव नहीं दिखाई देते। इसलिए कोशिश करें कि आपके चेहरे पर भी उदासी के बादल नहीं छाने पायें। हर एक पल मुस्कुराहट को अपने होंठों पर बसाये रखें। तभी दूसरे लोग भी आपसे नहीं चाहते हुए भी प्रभावित होंगे और आपकी तरह बनने की कोशिश करते नजर आयेंगे।
आलोचनाओं से विचलित न हों:-
यूं तो अक्सर व्यक्ति दूसरों की आलोचनाओं से परेशान हो उठता है परन्तु, कोशिश करें कि आलोचनाओं को स्वयं पर कतई हावी नहीं होने दें, क्योंकि आलोचनाओं के चलते परेशान होने पर खुद में अनेकों बुराइयां दिखलाई देने लगती हैं और व्यक्ति झल्लाकर मंजिल से खुद ही दूरी बना बैठता है।
शर्मिंदगी और हिचकिचाहट को नजरअंदाज करें:-
कभी-कभार हमें परिश्रम करने के बाद भी पर्याप्त सफलता नहीं मिल पाती और आशा के विपरीत असफल होते हुए दिखाई देने लगते हैं जबकि कई लोग तो असफलता मिलने के उपरांत सफल होने की उम्मीद तक त्याग देते हैं जो सरासर गलत है। ऐसे दौर में हमें शर्मिंदा होने तथा हिचकिचाने की कतई जरूरत नहीं है बल्कि चींटी जैसे छोटे जीव से प्रेरणा लेते हुए धैर्य धारण कर पुन: प्रयास करके मंजिल तक पहुंचने का प्रयत्न करना चाहिए।
सदैव नया करने की सोचें:-
वैसे तो अधिकांश लोग अपने पुराने कार्य को करते हुए बोरियत महसूस करने लगते हैं परन्तु जब स्थिति जरूरत से ज्यादा जटिल मालूम होती दिखलाई देने लगे, तब, कुछ न कुछ नया अवश्य करने का सोच-विचार करें क्योंकि सदैव नया करने से ही हमारे मन में आत्मविश्वास की लौ और अधिक धधकने लगती है, अतएव ऐसे दौर में हमेशा नवनीत कार्य को आरंभ करके आप अपनी बोरियत और एकरसता को भी कम कर सकते हैं। इससे मंजिल तक पहुंचने में भी काफी अधिक मदद मिलेगी।
अतीत की बातों को भूल जाएं:-
अक्सर देखने में आता है कि गढे मुर्दे उखाड़ने से सिर्फ बदबू ही हाथ आती है, इसलिए ध्यान दें कि पुरानी असफलताओं एवं बुरी स्थितियों को मन में बिलकुल भी स्थान नहीं दें। इसके स्थान पर हरेक नई सुबह नित्य नया हासिल करने की सोच विद्यमान रखते हुए रोजाना नई शुरूआत करें। यकीनन, कुछ दिनों में ही मंजिल नजदीक आते हुए प्रतीत होगी और आप आत्मविश्वास से लबरेज होकर अंतत: अपनी मंजिल प्राप्त करने में सफल हो ही जायेंगे।
-अनूप मिश्रा