बच्चों को दें सफाई के संस्कार
प्रत्येक अभिभावक के लिए बच्चे को उसके कमरे व सामानों की साफ-सफाई से जुड़े कार्यों को सिखाना सबसे चुनौती भरा काम होता है। यह आदत न सिर्फ घर में माँ का काम आसान करती है, बल्कि बच्चे में व्यक्तित्व की एक अच्छी बात बन जाती है। परन्तु इसकी शुरुआत माँ-बाप देर से करते हैं और तब अगर बच्चा न माने तो उससे डांट डपटकर काम करवाते हैं। जबकि यह आसान है, यदि कम उम्र से ही शुरुआत कर दी जाए।
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देखें कैसे होगा यह सच:
जब मुन्ना 8 साल से कम का हो:
शोध कहते हैं कि बच्चा तीन साल की उम्र से सीखना व समझना शुरू कर देता है। यही उम्र उसके व्यक्तित्व विकास के लिए भी सही है। हालांकि इसका तात्पर्य यह नहीं है कि बच्चे से काम कराया जाय, बल्कि यह है कि उन्हें दिखाकर उनकी समझ बनाई जाए कि यह कार्य कितना महत्वपूर्ण है और इसे करना ही चाहिए। यह कई तरह से करें:
माँ हर चीज की मिसाल है:
घर में बच्चे के साथ सबसे ज्यादा समय माँ रहती है। इस कारण वह माँ से ही अधिकांश बातें सीखता है। इसके लिए पहले तो आपकोे स्वयं बिल्कुल वैसा बनना होगा, जैसा आप बच्चे के भविष्य के लिए अपेक्षा रखती हैं। तभी तो वह कहेगा, ‘ऐसा मेरी माँ ने सिखाया है’।
समय दें और समझाएं:
बच्चे को सिखाने के लिए उससे बात करना और समझाना जरूरी है कि घर और शरीर के लिए सफाई क्यों अहम् है और स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
रचनात्मकता के साथ काम में जोड़ें:
बच्चों को अपने साथ काम में जोड़ने के लिए कुछ रचनात्मक तरीके अपना सकते हैं, जैसे कपड़े धोने जाएं, तो बच्चे को ज्यादा से ज्यादा गंदे कपड़े ढूंढकर लाने को कहें या कपड़ों को दूर से वॉशिंग मशीन में डालने का टास्क दें। इससे वह मस्ती-मस्ती में भी कुछ कार्य सीख जाएंगे।
सफाई को काम न बनाएं:
बच्चे के खिलौने हमेशा ही फैले रहेंगे, तो वह मान लेगा कि इन्हें ऐसे ही रखा जाता है। इसी तरह यदि उसके पास उन्हें रखने के लिए आसान पहुंच वाली जगह, डिब्बा या बैग नहीं होगा, तो वह भला कैसे रखेगा। सार-संभाल की हर व्यवस्था रखें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि उससे भारी-भरकम काम न कराया जाए, क्योंकि यहां अगर वह असमर्थ रहा, तो वह मान लेगा कि फ्लां काम मुश्किल है और उसके बस का नहीं है।
बच्चा 9 से 13 वर्ष का हो तो:
यह उम्र होती है, जब बच्चे को उससे सम्बन्धित कामों का इंचार्ज बनाकर सिखाया जाए। ऐसे में वह आगे बढ़कर सीखता है।
रूटीन बनाएं:
घर में रूटीन बनाएं कि छुट्टी के दिन सभी अपने कमरे की सफाई करेंगे। इससे बच्चे को उसके कमरे की जिम्मेदारी सौंप दें। थोड़ा और प्रेरित करने के लिए मनपसंद खाने का इनाम रख सकते हैं, जो घर पर ही बनाया जाए।
उन्हें चुनने दें:
बच्चे में पूरी समझ विकसित करना चाहते हैं, तो सिर्फ सफाई सिखाने से काम नहीं चलेगा। उन्हें उनसे जुड़े सामानों की जानकारी दें। इसमें बेहतर तरीका यह भी हो सकता है कि सम्बन्धित सामान की खरीदारी के लिए उन्हें साथ ले जाएं।
पुरानी वस्तुओं को बाँटें:
बच्चे को प्रेरित करें कि जिन खिलौनों से वो ऊब गया है, उसे किसी जरूरतमंद बच्चे को दे दें। इसके बाद ही नया खिलौना दिलवाएं। तब वह अपनी वस्तुओं की देखभाल करना भी सीखेगा।
बच्चा 13 वर्ष से बड़ा हो जाए तो:
यह सिखाने का थोड़ा मुश्किल समय होता है, क्योंकि बच्चा बाहर के वातावरण में आ जाता है और प्रत्येक परिस्थिति को स्वयं समझने व सुलझाने की कोशिश करता है। परन्तु इस वक्त तक पहुँचने पर भी कार्य असम्भव नहीं है।
प्रेरणा दें कई रूप में:
उम्र के इस पड़ाव पर बच्चों में स्वछता और सामान की व्यवस्था सम्बन्धी आदतें डालने के लिए उन्हें कई स्तर पर प्रेरित करें। जैसे सुनिश्चित करें कि वे आदतें आपमें भी हों, ताकि वे आपसे प्रेरित हों। साथ ही कभी-कभी उन्हें आपकी बात मानने पर गिफ्ट दें, इससे वे प्रोत्साहित होंगे। ये ध्यान रखें कि गिफ्ट कहीं लालच भर न रह जाएं।
धैर्य रखें:
बड़ी उम्र के बच्चों से हर एक बात मनवाना आसान नहीं होता। ऐसे में अपनी कुछ अपेक्षाएं कम करना भी आवश्यक है। उन्हें उन आदतों के लिए प्रेरित करें, जो सबसे अधिक जरूरी है, जैसे अपना बिस्तर प्रतिदिन साफ करना, स्कूल से आने पर कपड़े वापिस सही जगह जमाना-टांगना या रोज का सामान जहां उठाया, वापिस वहीं रख देना इत्यादि।
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