हर कोई मस्ती और खुशी की जिंदगी जीना चाहता है लेकिन आज का माहौल ऐसा है तमाम तरह की चिंताएं मन को बेचैन कर देती हैं और जिंदगी बोझ सी बन गयी है। ऐसे में कुछ छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें और अपने नजरिए व लाइफस्टाइल में जरा सा बदलाव कर लें तो जिंदगी को मस्ती से जीना ज्यादा मुश्किल नहीं रहेगा।
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व्यर्थ की चिंता छोड़ें Be Happy
अंतरराष्टÑीय बेस्टसेलर किताबें लिखने वाले व्यवसायिक सलाहकार जोश कौफमैन ने लिखा है कि आप जिन चीजों को प्रभावित कर सकते हैं, उन पर अपनी ज्यादातर ऊर्जा केंद्रित करें और बाकी हर चीज को अपने तरीके से होने दें ।आप जो जीवन जीना चाहते हैं उसे बनाने के लिए आप जो कर रहे हैं उस पर पूरा ध्यान केंद्रित करें और अपनी मंजिल पर पहुंच जाएं । मशहूर मोटिवेशनल राइटर स्वेट मार्डन ने कहा है कि चिंता ,घृणा अथवा भय आदि मनोविकारों का कभी भी शरीर की कोशिकाओं पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता।
चिंता छोड़ने के संबंध में किसी देश की शांति प्रार्थना में बहुत अच्छी बातें कही गई हैं -हे प्रभु! मुझे उन चीजों को स्वीकार करने की शक्ति दें जिन्हें मैं बदल नहीं सकता, उन चीजों को बदलने का साहस दें जिन्हें मैं बदल सकता हूं और इनका फर्क समझने की बुद्धिमत्ता दें। असल में जिन चीजों को आप बदल नहीं सकते, उनके बारे में चिंता करना समय और ऊर्जा की बर्बादी के साथ-साथ अनावश्यक आनंद में खलल डालना है, इसलिए ऐसा करना छोड़ दें।
आज का बोझ कल तक न ढोएं
प्रसिद्ध कवि और निबंधकार रेल्फ वाल्डो इमर्सन कहते हैं, हर दिन को पूरा करो और उसे खत्म कर दो। आप जितना कर सकते थे, आपने किया। कुछ गलतियां और मूर्खताएं निश्चित रूप से आपसे हुई होंगी। उन्हें जल्दी से जल्दी भूल जाएं। हर कल एक नया दिन हो। उसे अच्छी तरह शुरू करें और इतनी शांति व उत्साह से करें कि आपकी पुरानी गलतियों का बोझ उस पर ना लदा हो।
कभी भी यह न सोचें कि आप को होने वाली चीजों के बारे में पहले से पता होना चाहिए था। ऐसा कभी भी नहीं हो सकता। उन चीजों के बारे में बुरा महसूस न करें जो आपको करनी चाहिए थी या देखनी चाहिए थी क्योंकि अतीत को बदलना संभव नहीं, इसलिए इसे लेकर मूड आफ न करें। पुरानी गलतियों की सृजनात्मक रोशनी में दोबारा व्याख्या करें और अपनी ऊर्जा उस पर केंद्रित करें जो आप इस वक्त सकारात्मक दिशा में जाने के लिए कर सकते हैं।
Be Happy खुश रहने की आदत डालें
खुश मिजाजी में किए गए ज्यादातर काम सफल और सार्थक होते हैं क्योंकि तब हम ज्यादा उत्साह और ऊर्जा से काम कर पाते हैं। वाल्टेयर ने कहा था, मैंने खुश रहना चुना क्योंकि यह मेरे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। यकीन मानिए खुश मिजाजी एक आदत है जिसे आप जरा से अभ्यास से खुद में विकसित कर सकते हैं। अब्राहम लिंकन ने भी कहा है, अधिकांश लोग लगभग उतने ही खुश होते हैं जितना खुश रहने का मन बनाते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक चौपल ने कहा है, खुशी पूरी तरह आंतरिक होती है। यह वस्तुओं से नहीं बल्कि विचारों और एटीट्यूड से उत्पन्न होती है जिन्हें कैसे भी परिवेश में इंसान की खुद की गतिविधियों द्वारा विकसित और निर्मित किया जा सकता है।
अध्यात्म से नाता जोड़ें
ध्यान और अध्यात्म में मन को शांत करने की बड़ी ताकत होती है। इनसे मन की शक्ति, एकाग्रता और आत्मविश्वास भी बढ़ता है, इसलिए हर रोज कुछ समय प्रार्थना, ध्यान और अध्यात्म जैसी गतिविधियों में अवश्य व्यतीत करें। मेन- द अननोन’ पुस्तक की लेखिका डा. अलेक्सिस कैरेल, जो नोबेल पुरस्कार विजेता भी हैं, ने लिखा है कि प्रार्थना किसी के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का सबसे सशक्त रूप है। यह शक्ति उतनी ही सत्य है जितना कि गुरुत्वाकर्षण ।एक डॉक्टर होने के नाते मैंने देखा है कि सभी चिकित्साओं के असफल हो जाने के बाद भी लोग प्रार्थना के शांत प्रयास से रोग मुक्त हो जाते हैं। प्रार्थना रेडियम की तरह चमकीली और अपने आप में उत्पन्न होने वाली ऊर्जा है।
विलियम जेम्स कहते हैं सच्चा धार्मिक व्यक्ति अविचलित और और शांति से भरा रहता है और शांति से हर उस कर्तव्य के लिए तैयार रहता है जो उसके सामने आएंगे। जो लोग धर्म और अध्यात्म का मखौल उड़ाते हैं, उनके लिए फ्रांसिस बेकन ने कहा है कि थोड़े से ज्ञान से मनुष्य का मस्तिष्क नास्तिकता की तरफ झुकता है परंतु जब ज्ञानी हो जाता है तो उसका मस्तिष्क धर्म की ओर झुक जाता है। महात्मा गांधी ने कहा था, बिना प्रार्थना के तो मैं कब का पागल हो गया होता। -शिखर चंद जैन
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