Badhti Jansankhya Par Nibandh: हमारे यहां अक्सर बच्चों को भगवान का आशीर्वाद माना जाता है, लेकिन यह सौगात गर यूं ही मिलती रही तो भारत जनसंख्या के मामले में दुनियाभर का पहला राष्टÑ बनते अब ज्यादा देर नहीं लगेगी। बढ़ती आबादी को अगर नहीं रोका गया तो ये देश के लिए अभिशाप बन जाएगी। जब देश के संसाधन कम होते हैं तब परिवारों का आकार छोटा रखना भी देशभक्ति की श्रेणी में आता है। भारत में जनसंख्या विस्फोट का असर अब दिखाई देने लगा है। हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं और दैनिक जीवन मुश्किल में पड़ने लगा है।
भारत की राजधानी जनसंख्या विस्फोट से उबलने लगी है। देश के मेट्रो शहरों का हाल भी बहुत खराब है। जनसंख्या वृद्धि एक नयी चुनौती बनकर हमारे सामने आई और आज भी इस पर काबू पाने में सरकार को कठिनाई हो रही है। जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम देश को भोगने पड़ रहे हैं। अधिक जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की विकराल समस्या उत्पन्न हो गयी है। लोगों के आवास के लिए कृषि योग्य भूमि और जंगलों को उजाड़ा जा रहा है।
यदि जनसंख्या विस्फोट यूँ ही होता रहा तो लोगों के समक्ष रोटी कपड़ा और मकान की विकराल स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। हमें 73 वर्ष पहले अंग्रेजों से आजादी मिल गई थी, लेकिन आज हमारा देश बढ़ती आबादी से पैदा होने वाली समस्याओं का गुलाम बन गया है।
आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या लगभग 1 अरब 38 करोड़ से अधिक है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आजादी के समय भारत की जनसंख्या 33 करोड़ थी जो आज चार गुना तक बढ़ गयी है। परिवार नियोजन के कमजोर तरीकों, अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव, अंधविश्वास और विकासात्मक असंतुलन के चलते आबादी तेजी से बढ़ी है। संभावना है कि 2050 तक देश की जनसंख्या 1.6 अरब हो जायेगी। फिलहाल भारत की जनसंख्या विश्व जनसंख्या का 17.5 फीसद है।
भूभाग के लिहाज के हमारे पास 2.5 फीसद जमीन है। 4 फीसद जल संसाधन है। जबकि विश्व में बीमारियों का जितना बोझ है, उसका 20 फीसद अकेले भारत पर है। वर्तमान में जिस तेज दर से विश्व की आबादी बढ़ रही है उसके हिसाब से विश्व की आबादी में प्रत्येक साल आठ करोड़ लोगों की वृद्धि हो रही है और इसका दबाव प्राकृतिक संसाधनों पर स्पष्ट रूप से पड़ रहा है। इतना ही नहीं, विश्व समुदाय के समक्ष माइग्रेशन भी एक समस्या के रूप में उभर रहा है, क्योंकि बढ़ती आबादी के चलते लोग बुनियादी सुख-सुविधा के लिए दूसरे देशों में पनाह लेने को मजबूर हैं।
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2028 में दिल्ली की जनसंख्या 3 करोड़ 72 लाख हो जाएगी जबकि टोक्यो की आबादी 3 करोड़ 68 लाख होगी। ये समस्या सिर्फ दिल्ली की नहीं है, बल्कि पूरे देश की है. वैसे तो पूरी दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत पर पड़ रहा है। भारत में लोग गांवों को छोड़कर शहरों की तरफ भाग रहे हैं और इसके लिए भी पिछले 70 वर्षों की सरकारी नीतियां ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि देश में हर राजनीतिक पार्टी की सरकारों ने ग्रामीण इलाकों में कभी ऐसी सुविधाएं ही नहीं दीं, जो शहरों में हैं।
ग्रामीण इलाकों में ना तो अच्छी शिक्षा की सुविधा है और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। इसीलिए लोगों को गांव छोड़कर शहरों की तरफ जाना पड़ता है। शहरों में भीड़ बढ़ती गई, और अब इसकी वजह से शहरों की क्षमताएं भी जवाब देने लगी हैं। 1947 में बंटवारे के बाद देश की आबादी करीब 33 करोड़ थी, यानी करीब करीब आज के अमेरिका के बराबर। लेकिन अगर भारत की आबादी आज भी अमेरिका के बराबर होती तो हमारा देश कैसा दिखता? लेकिन यह मात्र कल्पना है।
वास्तव में जनसंख्या विस्फोट से भारत में कई समस्याएं स्वंत: ही जन्म ले लेती हैं। जैसे गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, कमजोर शिक्षा व्यवस्था, कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं, बढ़ते हुए अपराध, प्रदूषण, पीने के लिए साफ पानी की कमी और गंदगी। जनसंख्या नियंत्रण का सीधा संबंध शिक्षा के स्तर से भी है और जब तक लोगों को शिक्षित नहीं किया जाएगा। इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल होगा।
बचपन में आपने भी स्कूल में भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या पर निबंध जरूर लिखा होगा। लेकिन असल में ये समस्या स्कूली किताबों से आगे बढ़ ही नहीं पाई। बड़ी बड़ी योजनाएं बनती रहीं, हम दो हमारे दो के नारे भी चले। लेकिन अभी तक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए। हालांकि शिक्षित वर्ग में छोटा परिवार का नारा कारगर होता दिख रहा है। हर वर्ष की तरह इस बार भी 11 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन जनसंख्या जैसे गंभीर विषय के प्रति लोगों की कितनी गंभीरता रहेगी यह देखना चुनौतीपूर्ण होगा।
रोचक तथ्य
- संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अभी दुनिया की जनसंख्या 760 करोड़ है, जो 2030 में बढ़कर 860 करोड़, 2050 में 980 करोड़ और वर्ष 2100 में 1 हजार 120 करोड़ हो जाएगी. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया की जनसंख्या में हर वर्ष 8 करोड़ 30 लाख नये लोग जुड़ जाते हैं।
- चीन और भारत अभी दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं। दुनिया की जनसंख्या में चीन की भागीदारी 19% की और भारत की करीब 18% की है।
- 1950 में भारत की जनसंख्या 37 करोड़ थी, और अगले 50 वर्षों यानी सन 2000 में जनसंख्या 100 करोड़ के पार हो गई और इसके बाद सिर्फ 19 वर्षों में भारत की जनसंख्या में 35 करोड़ से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
- दुनिया के शहरों पर वर्ष 2050 तक 250 करोड़ लोगों का बोझ बढ़ जाएगा, जिसमें से 90% एशिया और अफ्रीका के शहर होंगे।
- अगले 31 वर्षों में भारत के शहरों में 41 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ जाएंगे और 2028 तक दिल्ली दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाली सिटी बन जाएगी।
- अभी जापान की राजधानी टोक्यो सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है, वहां की जनसंख्या 3 करोड़ 70 लाख है।
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