No need for operation

No need for operationसत्संगियों के अनुभव
ऑपरेशन की जरूरत ही ना रही No need for operation
पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
प्रेमी हरनेक सिंह इन्सां पुत्र सचखण्डवासी स. अमर सिंह गाँव साबुवाला तहसील टिब्बी जिला हनुमानगढ़(राजस्थान)
सन् 2008 की बात है कि मेरा पौत्र जसप्रीत सिंह आयु आठ वर्ष, के पतालु की दोनों गोलियां ऊपर चढ गई थी। बच्चे को बहुत तकलीफ थी। हमने देसी वैद्यों व हकीमों से उसका इलाज करवाया, परन्तु बच्चा कहीं से ठीक नहीं हुआ।

हमने हनुमानगढ़ के पाँच बड़े-बड़े विशेषज्ञ डाक्टरों व सर्जनों से अलग-अलग समय पर बच्चे का चैॅक-अप करवाया। डाक्टरों की एक ही राय थी कि बच्चे का आॅप्रेशन करके ही पतालु की गोलियां यथा-स्थान पर लाई जा सकती हैं। इसका और कोई हल नहीं है। जल्दी से जल्दी आॅप्रेशन करवा लो नहीं तो बच्चे की तकलीफ और भी बढ़ सकती है।

10 जुलाई 2008 को हमने डेरा सच्चा सौदा के शाह सतनाम जी स्पैशलिटी हस्पताल सरसा में बच्चे को दिखाया। डॉक्टर साहिबानों ने फिर से बच्चे के सभी टैस्ट करवाए। टैस्टों की रिपोर्ट देखकर डॉक्टरों ने हमें बताया कि बच्चे का आॅप्रेशन ही होगा। इसका कोई और इलाज नहीं है। हम डरते थे, अत: हम बच्चे का आॅप्रेशन नहीं करवाना चाहते थे। फिर हमने दुनिया के सबसे बड़े डाक्टर पूज्य हजूर पिता जी (संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) के चरणों में बच्चे के आॅप्रेशन के बारे में अर्ज कर दी। उस समय बाल रोगों का विशेषज्ञ डाक्टर भी पूज्य हजूर पिता जी की हजूरी में खड़ा था। पूज्य पिता जी ने उस डाक्टर को हुक्म फरमाया,  ‘डाक्टर साहिब! बच्चे को अच्छी तरह चैक करके राय देना।’ उधर पिता जी ने हमें आदेश फरमाया, ‘बेटा! डाक्टर साहिब की राय ले लो।’

डाक्टर साहिब ने पूज्य हजूर पिता जी के आदेशानुसार बच्चे को अच्छी प्रकार से चैक किया और हमें आदेश दिया कि आप हस्पताल के कमरा नं. पाँच में चले जाओ। हम हस्पताल के कमरा नं. पाँच में चले गए। वहाँ पर हस्पताल के सर्जन और सभी डाक्टरों को बुलाया गया। डाक्टरों ने बच्चे को अच्छी प्रकार से चैॅक किया। टैस्ट रिपोर्टों व अल्ट्रासाउंड को देखकर सभी डाक्टरों की राय अनुसार फैसला लिया गया कि इस बच्चे का आॅप्रेशन करना जरूरी है, फिर ही इसकी गोलियाँ यथा-स्थान पर आ सकती हैं।

हमने 14 जुलाई को बच्चे को ऑपरेशन के लिए शाह सतनाम जी स्पैशलिटि हस्पताल में दाखिल करवा दिया। 15 जुलाई को बच्चे का आॅप्रेशन होना था। हमें बताया नहीं गया कि बच्चे को खाने के लिए कुछ भी नहीं देना, खाली पेट रखना है। उस दिन बच्चे ने खाना खा लिया था। इसलिए उस दिन ऑपरेशन नहीं हो सका। अगले दिन आॅप्रेशन के लिए डा. आजाद को सरसा शहर से बुलाया गया। हमसे ऑपरेशन का सारा सामान दवाइयाँ, टीके वगैरह मंगवा लिए गए थे। डाक्टर-साहिबानों ने आॅप्रेशन की तैयारी में पंद्रह-बीस मिन्ट लगा दिए।

फिर हमसे अल्ट्रा-साऊँड की रिपोर्ट मंगवाई जो डाक्टर आजाद ने अंदर ही देखी। फिर मेरे लड़के निर्मल सिंह(बच्चे के पापा) को अंदर बुला लिया और बताया कि प्रेमी जी! तुम पर सतगुरु की दया-मेहर है। अब तुम्हारा बच्चा बिल्कुल ठीक अर्थात् पूर्ण स्वस्थ है। इसका आॅप्रेशन नहीं होगा। इसकी गोलियां यथा-स्थान पर हैं और इसको कल को ही छुट्टी दे देंगे।
17 जुलाई को सर्जन साहिब ने बच्चे को फिर से चैक किया। डाक्टर साहिब कहने लगे कि बच्चा बिल्कुल ठीक है। हमें हस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

इसमें सबसे आश्यर्चजनक बात यह है कि हनुमानगढ़ के पाँच विशेषज्ञ डाक्टरों की राय अनुसार आॅप्रेशन करवाना बहुत ही जरूरी है। इसी तरह सरसा शहर के सजर््ान डा. आजाद और शाह सतनाम ही स्पैशलिटी हस्पताल के डाक्टरों की राय अनुसार कि इस बीमारी का एक मात्र इलाज ऑपरेशन ही है। परन्तु परोपकारी दयालु सतगुरु दातार पूज्य हजूर पिता जी की अनोखी व निराली रहमत से बच्चा बिना ऑपरेशन के ठीक हुआ।

यही उनकी रहमत का कमाल है। सारा परिवार पूज्य हजूर पिता जी का कोटि-कोटि बार धन्यवाद करते हैं और नत-मस्तक होकर नमन करते हैं कि हे सतगुरु जी! हमारी प्रीत और प्रतीत आप जी के चरणों से ओड़ निभ जाए जी।

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