इंटरनेट… Internet बुरी है ये लत
आधुनिक समय में अधिकतर कार्य अब आॅनलाइन सिस्टम से जुड़ गए हैं। यही वजह है कि आज इंटरनेट के बिना किसी भी कार्य की कल्पना करना असंभव सा प्रतीत होने लगा है। इंटरनेट का बढ़ता इस्तेमाल मानव जीवन को फायदे के साथ-साथ नुकसानदेह भी साबित हो रहा है। खासकर युवावर्ग को इसकी लत सी लगती जा रही है, जिससे भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। एक रिसर्च में बड़े हैरानीजनक तथ्य सामने आए हैं। किशोरावस्था में बच्चों द्वारा बेइंतहा इंटरनेट का इस्तेमाल उन्हें चिड़चिड़ा बना रहा है और उनके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
पीएलओएस मेंटर हैल्थ में एक महत्वपूर्ण स्टडी प्रकाशित हुई है, जिससे फंक्शन मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग का उपयोग यह जानने के लिए किया गया कि इंटरनेट को एक लत की तरह अपनाने वाले युवाओं के मस्तिष्क पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। इस रिसर्च में जो तथ्य सामने आए वह हैरान करने वाले हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि किशोरों के दिमाग में कई तंत्रिका नेटवर्क पर इसका स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। ऐसे युवाओं के मस्तिष्क में आराम करने के दौरान भी उनकी गतिविधियां बढ़ती हैं। वहीं दिमाग के उस हिस्से की सक्रियता में कमी पाई गई, जो याद्दाश्त और फैसले लेने की क्षमता में अहम भूमिका निभाता है। रिसर्च में दावा किया गया कि इंटरनेट की लत से याद रखने की क्षमता कम होती है और किसी निर्णय पर पहुंचने में काफी समय लगता है।
Table of Contents
ऐसे हुई शोध, निकला यह परिणाम
स्टडी में बताया कि शोधकर्ताओं ने 10 साल से इंटरनेट की लत के शिकार 10 वर्ष से 19 वर्ष की आयु वाले 237 किशोर युवाओं के पिछले 12 अध्ययनों की समीक्षा की। वहीं वर्तमान में एक सर्वे में भी करीब 50 प्रतिशत ब्रिटिश किशोरों ने माना कि वे सोशल मीडिया के आदी हैं। यूसीएल ग्रेट आॅरमंड स्ट्रीट इंस्टिट्यूट आॅफ चाइल्ड हैल्थ में इस शोध के प्रमुख लेखक मैक्स चांग का कहना है कि किशोरावस्था में शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक व्यक्तित्व से जुड़े कई महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं।
रिसर्च पेपर की लेखिका आईरीन ली का मानना है कि जो माता-पिता इंटरनेट की लत के बारे में संवेदनशील होते हैं, वे इसके प्रारंभिक लक्षण आने पर ही किशोरों का स्क्रीन टाइम फिक्स कर लेते हैं यानि इसके इस्तेमाल का समय निर्धारित कर लेते हैं। उनका मानना है कि बेशक इंटरनेट के काफी फायदे हैं, लेकिन जब यह दैनिक दिनचर्या को प्रभावित करने लगता है तब यह समस्या बन जाता है। उन्होंने सलाह दी कि टीन-ऐज के युवा इंटरनेट के प्रभावों को जानें और इसके इस्तेमाल के लिए समय अवश्य निर्धारित करें, ताकि उनका भविष्य संरक्षित एवं सुरक्षित रह सके।
48 फीसदी किशोर इस लत से ग्रसित, जीवन पर पड़ रहा नकारात्मक असर
इंटरनेट का अधिक प्रयोग किशोरों के जीवन को प्रभावित कर रहा है और उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना रहा है। इंटरनेट का नशा इस कदर किशोरों के सिर पर चढ़ रहा है कि उनका इलाज और काउंसलिंग तक करानी पड़ रही है।
दिल्ली-एनसीआर में करीब 48 फीसदी किशोर इंटरनेट की लत से ग्रसित हैं और इससे उनके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में 13 से 18 साल तक के करीब 76 फीसदी बच्चे हर दिन औसतन 2 घंटे तक इंटरनेट पर बिता रहे हैं। इनमें करीब 8 फीसदी किशोर दिन में 4 घंटे इंटरनेट का प्रयोग करते हैं। देशभर में बाल संरक्षण पर काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था क्राई के सर्वे में यह तथ्य सामने आए हैं। सर्वे रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें भी हैं कि दिल्ली-एनसीआर में 93 फीसदी किशोरों के पास इंटरनेट की सुविधा है। सर्वे में खुलासा हुआ कि 41 फीसदी किशोर इंटरनेट पर सिर्फ फेसबुक और यूट्यूब चलाते हैं और महज 40 फीसदी किशोर ही इंटरनेट का प्रयोग पढ़ाई के लिए करते हैं।
तीन में से एक किशोर साइबर बुलिंग का शिकार
सर्वे में सामने आया कि तीन में से एक किशोर साइबर बुलिंग (सोशल मीडिया पर किसी के द्वारा परेशान किया जाना) का शिकार है। साइबर क्राइम के बारे में जानकारी के अभाव के कारण ही किशोर इसकी चपेट में आ रहे हैं। साइबर बुलिंग का किशोरों पर शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
सीमित समय के लिए करें इंटरनेट का प्रयोग
क्राई संस्था की उत्तरी क्षेत्र की निदेशिका सोहा मोइत्रा ने बताया कि उनकी संस्था काफी साल से बाल संरक्षण पर काम कर रही है। उन्होंने विशेषज्ञों से बातचीत कर बचाव के कुछ उपाय भी जारी किए हैं। इंटरनेट से बचाव पर विशेषज्ञों का कहना है कि किशोरों को उनके अभिभावकों की निगरानी में ही इंटरनेट का प्रयोग करने दिया जाना चाहिए। अभिभावकों को 18 साल से कम के बच्चों को इंटरनेट के प्रयोग के लिए स्मार्ट फोन नहीं देना चाहिए, बल्कि उनको घर के कंप्यूटर पर ही इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए कहना चाहिए।