हर व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, आत्म-सम्मान पूर्वक जिंदगी जीना चाहता है व स्वयं को उपलिब्धयों व कामयाबियों के शिखर पर देखना चाहता है। इन सब बातों में Confidence आत्मविश्वास बनाये रखना निहायत ही जरूरी है। कई बार ऐसा होता है कि दूसरे व्यक्ति को अपने से ज्यादा साधन-संपन्न व पैसे वाला पाकर हम स्वयं को हीन महसूस करते हैं। ये हमारे आत्मविश्वास की कमी का परिणाम है।
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स्वयं को किसी से कमतर न आंकें व स्वयं के गुणों में वृद्धि करें।
अपनी योग्यताओं को जानें
अपने आत्मसम्मान को आहत करने की बजाय आप अपनी खूबियों को पहचानें। यह समझें कि हर दु:ख के पीछे सुख और अंधकार के पीछे प्रकाश छिपा होता है। कामकाज के क्षेत्र में कभी भी खुद की तुलना अपने अन्य सहकर्मियों से न करें। अधिकतर कामकाजी महिलायें अपनी तुलना अन्य सहकर्मियों से करती हैं और ऐसा कर वे स्वयं को हीन या कमतर महसूस करती हैं।
याद रखिये हर व्यक्ति में खूबियां और खामियां दोनों ही होती हैं। कामकाजी महिलाओं को यह बातें समझनी चाहिए कि नौकरी करना ही जिंदगी नहीं है। जीवन में नौकरी के अलावा और भी बहुत कुछ है। इस सच को समझें कि जीवन में पैसा बहुत कुछ होता है पर सब कुछ नहीं होता। नौकरी आपको कुछ करने का आपके व्यक्तित्व की रिक्तता को भरने का सशक्त माध्यम है।
जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण अपनायें
एक मनोवैज्ञानिक कहती हैं कि उनके पास अनेक सुंदर महिलायें आती हैं जो अपनी सुंदरता के बारे में कम ही ख्याल रखती हैं। वे देखने में तो निहायत सुंदर हैं पर खुद को मन से बदसूरत समझती हैं। उनके अनुसार ऐसी सोच वाली महिलाओं को अपना आत्मविश्लेषण करना चाहिए और उन्हें इस कार्य में अपनी किसी अंतरंग सहेली या दोस्त की मदद लेनी चाहिए।
अपनी मदद स्वयं करें
आप ही अपने आत्मसम्मान की रक्षा कर सकती हैं। इस संदर्भ में कोई दूसरा आपकी मदद नहीं कर सकता। आत्मसम्मान का यह भाव मात्र एक दिन में ही पैदा नहीं होता। जैसे कि एक इमारत ईंट दर ईंट रखकर तैयार होती है, ठीक वैसे ही आत्मसम्मान का भाव भी एक-एक संकल्प से पैदा होता है।
स्वास्थ्य का ध्यान रखें
अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा कदापि न करें। योगासन व व्यायाम करें। पौष्टिक आहार करें। पानी जमकर पियें। खानपान में फलों को जरूर स्थान दें। स्वास्थ्य अच्छा रहने से जहां आपकी कार्यक्षमता बढ़ेगी, वहीं आपकी महत्ता का भी बोध होगा।
अपनी प्रतिभा को तलाशें
हर व्यक्ति को प्रकृति ने कुछ न कुछ विशिष्ट शक्ति प्रदान की है। आप में भी प्रतिभा मौजूद है। जरूरत इस बात की है कि आप अपनी उस छिपी प्रतिभा को तलाशें।
आत्मप्रेम का विचार मन में विकसित करें
आप जैसी हैं, जो भी हैं उसी रूप में स्वयं की कमियों को भी स्वीकारें, स्वयं को प्यार करें। आत्मप्रेम का भाव जागृत करने की इस मनोवैज्ञानिक विधि पर अमल करें। हर सुबह आइने में अपना चेहरा डूबकर देखें। खुद को चूमें, सराहें और स्वयं को देखकर मंद-मंद मुस्कुराएं।
कमियों से न घबरायें
अपनी कमियों व आशंका से भयभीत हुए बगैÞर उनका मुकाबला करें। उदाहरण के लिए, आपकी अंग्रेजी भाषा कमजोर है तो इस कारण खुद को कमत्तर न समझें व अपना अंग्रेजी शब्द ज्ञान बढ़ायें। अंग्रेजी की किताब व पत्रिकायें पढ़ें। घर में व बाहर अपने दोस्तों से अंग्रेजी में ही बात करने का आग्रह करें।
खुद को सराहें
उन सहेलियों व दोस्तों के बीच रहें जिनके बीच आपके आत्मसम्मान को बढ़ने का मौका मिल सके। कभी-कभी अपनी सफलता पर ख़ुद को शाबासी देना न भूलें। कोई शौक विकसित करें जिससे आपको प्रसन्नता मिले। साथ ही जिंदगी में सकारात्मक रवैय्या अपनायें।
दुनिया हंसने वालों के साथ
आपकी स्वयं की सोच ही आपको कामयाब व नाकामयाब बनाती है। दुनिया उन्हीं लोगों को पसंद करती है जो खुशमिजाजÞ होते हैं और जो दूसरों को भी खुशमिजाजÞ रखते हैं। यदि आप अपने व्यक्तित्व से संतुष्ट हैं तो इसकी रौनक आपके चेहरे के आभामंडल पर भी दिखायी देगी।
आपकी खुशमिजाजी की छाया चेहरे पर भी पड़ेगी। इस प्रकार आप स्वयं के अलावा दूसरों को भी प्रसन्न रख सकेंगे। इस सूरते-हाल में दूसरे व्यक्ति खुद-ब-खुद आपकी ओर खिंचे चले आयेंगे।
– दीपक शर्मा