Learn to deal with problems - Sachi Shiksha

इन दिनों लोग अक्सर घर पर रहते हैं इसलिए फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल खूब हो रहा है। फेसबुक पर दो तरह के धड़े बन गए हैं। कुछ लोग आए दिन घर में कुछ नई डिश बनाते हैं और उसकी रेसिपी व फोटो शेयर करते हैं। कुछ स्त्री-पुरुष तरह-तरह से तैयार होकर कभी साड़ी पहन कर तो कभी अपनी दाढ़ी मूँछ संवार कर तस्वीरें पोस्ट करते हैं, वहीं कुछ लोग मजाकिया वीडियो बनाकर पोस्ट कर रहे हैं। ये लोग समय का सदुपयोग करने के लिए अपनी क्रि एटिविटी को डवलप कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो इस प्रवृत्ति का विरोध करते हुए तंज कसते हैं कि मुसीबत के समय इस प्रकार के हास्यास्पद वीडियो बनाना,अपनी लग्जरी और खानपान का प्रदर्शन करना गलत बात है।

कल ही मेरे पास मेरी एक रिश्तेदार का व्हाट्सएप संदेश आया कि क्या करूं, जब भी अपनी कोई हँसती मुस्कुराती फोटो डालती हूं या घर में कुछ अलग और अच्छा बनाने पर डिश की रेसिपी और तस्वीरें पोस्ट करती हूं या अपने डागी के साथ टहलते हुए तस्वीरें पोस्ट करती हूं तो कुछ लोग मुझे ट्रोल करते हैं और टोंट करते हैं। एक मित्र ने भी बातों ही बातों में कहा कि कुछ लोग मुझसे ईर्ष्या करते हैं और अक्सर मुंह पर ही टोक देते हैं कि अभी तुमने हरा हरा देखा है। जब बुरे दिन देखोगे तो पता चलेगा। इससे मेरा मन टूट जाता है।

अगर आपको सुकून से जिंदगी जीनी है तो सबसे पहले लोगों की फिक्र करनी छोड़ दें। दिन-रात लोगों की बातों की फिक्र करना आपका मन आपके मन का चैन छीन लेगा। जो आप से ईर्ष्या करते हैं उनके बारे में कभी ज्यादा ना सोचें। किसी ने क्या खूब कहा है,

‘जलने और जलाने का बस इतना सा फलसफा है,
फिक्र में होते हैं तो खुद जलते हैं और
बेफिक्र होते हैं तो लोग जलते हैं।’

ऐसी ही एक और बात किसी ने कही है,
‘किसी ने जिंदगी से पूछा कि सबको इतना दर्द क्यों देती हो? जिंदगी ने संजीदगी से कहा, मैं तो सबको खुशी देती हूं पर एक की खुशी दूसरे का दर्द बन जाती है।’

नेगेटिव लोगों से दूर रहें

बेहतर होगा कि आप नेगेटिव लोगों से दूर रहें। जिंदगी में आपका सामना तीन तरह के लोगों से होता है। पहला -हौसला देने वाले, दूसरा -आपकी गलतियों को धीरे से बता कर आप को सुधारने वाले और तीसरा- आपकी किसी एक गलती का बेसब्री से इंतजार करने वाले। ये आपकी गलती के बारे में आपको न बता कर दूसरे हर इंसान को बताएंगे और रेडियो की तरह ढोल-नगाड़े के साथ उस गलती का प्रचार करेंगे। इनका उद्देश्य होता है आपका मनोबल तोड़ कर आपको पीछे खींचना। ऐसे लोगों की पहचान होते ही तुरंत सावधान हो जाएं। इनसे दूर रहें और उनके प्रचार पर ज्यादा ध्यान भी न दें। जबकि शुरू के दो तरह के लोगों का साथ हर हाल में बनाए रखें। इनसे बात करके आप में एक अलग तरह का आत्मविश्वास जागेगा और आप नकारात्मकता से दूर रहेंगे।

किसी को अपना दु:ख न सुनाएं

इस दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसे कोई दु:ख न हो, लेकिन हर वक्त लोगों को दुखड़े सुनाने से दोहरा नुकसान है। एक तो आपको बार-बार अपनी तकलीफ याद आती है, दूसरा लोग आपसे मिलने से कतराने लगते हैं। इसलिए हर किसी से खुशी से मिलना सीखिए। इसके बदले में आपको भी खुशी मिलेगी। इतनी बड़ी दुनिया में आप एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं बता सकते जिसे कोई समस्या न हो। प्रधानमंत्री, राष्टÑपति, बड़े-बड़े उद्योगपति, खिलाड़ी और हीरो हीरोइन हों या सड़क के किनारे रहने वाला गरीब गुरबा, हर कोई किसी समस्या से घिरा हुआ है। फिर आपको हर वक्त अपनी ही समस्याओं की फिक्र क्यों लगी रहती है ?क्यों आप अपने मन में ऐसा अवास्तविक विचार लाते हैं कि आप एक समस्यारहित जिंदगी जी सकें।

कवि राबर्ट फ्रास्ट ने कितनी सुंदर बात कही है- अब कोई खुशी ऐसी नहीं, जिसमें नमक न हो, जो दर्द से भरी न हो और थकान व दोष से भरी न हो। अगर आप दिन भर अपनी समस्याओं के बारे में सोचते रहेंगे और उनका बखान करेंगे और लोगों की सहानुभूति लूटने के लिए सिर्फ उनका ही जिक्र करते रहेंगे तो फिर काम कब करेंगे? जब आप अपना काम कर रहे हों, आजीविका के उपाय कर रहे हों तो उस समय अपनी सभी समस्याओं को दरकिनार करके सिर्फ और सिर्फ अपने काम के बारे में सोचना चाहिए। मनोचिकित्सक और स्तंभकार थियोडोर रुबिन ने कहा है, समस्या यह नहीं। समस्याएं हैं। समस्या तो इसके विपरीत अपेक्षा करना और यह सोचना है कि समस्याओं का होना भी एक समस्या है।

अनावश्यक लोगों से दूर रहें

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आप अपने भरे हुए हैंडबैग या कुर्ती की जेब से कुछ ढूंढ निकालना चाहती है तो बेकार चीजें बार-बार हाथ में आती हैं लेकिन सबसे जरूरी चीज आपको अक्सर अंत में मिलती है। इसी प्रकार जिंदगी में भी होता है। जब मुसीबत आती है तो जरूरी और मददगार लोगों तक हम अक्सर अंत में पहुंच पाते हैं। जानते हैं क्यों? क्योंकि बैग या पाकेट में अनावश्यक चीजों और जिंदगी में स्वार्थी लोगों की भीड़ हो जाती है। इसलिए यदि सुकून चाहिए तो बेकार चीजों, बेकार कामों और बेकार लोगों से जल्दी से जल्दी छुटकारा पा लें। समय-समय पर अनुपयोगी चीजों और लोगों से मुक्ति पाते रहें।

इन पंक्तियों पर ध्यान दें

छू ले आसमान, जमीन की तलाश न कर!
जी ले जिंदगी, खुशी की तलाश न कर !
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त!
मुस्कुराना सीख ले, वजह की तलाश न कर।

-शिखर चंद जैन

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