importance of diwali festival in hindi - Sachi Shiksha

‘दीपावली’ प्रकाश का पर्व। अंधेरे से रोशनी की ओर बढ़ने का उत्सव। सदियों से मनाई जा रही है मन-धन की संपन्नता के प्रतीक रूप में। दीपावली बेशक लक्ष्मी को पूजने का त्यौहार है। इसकी खुशियां मनाने में हमें कुछ बुनियादी बातों को भी याद रखने की आवश्यकता है।

दीपावली दीपों का पर्व है। एक नन्हा-सा दीप अंधेरे को मिटा देने के संकल्प और हौसले का प्रतीक। तूफानों से टकराने और उनसे जीतने के मिथक वाला दीया। एक महापर्व का सिंबल। मानो शुभ संकल्पों के मनोभाव ही दीए में घी बनकर स्वर्णिम लौ को पोस रहे। दीपोत्सव एक ऐसा सामूहिक प्रयास सदियों से होता चला आ रहा है दीवाली के नाम पर। शायद इंसान को इसका आभास बहुत पहले से था कि अंधेरे की नकारात्मकता को दूर करने के लिए सिर्फ एक दीया काफी नहीं बल्कि करोड़ों दीयों की जरूरत पड़ेगी। दीवाली उसी सामूहिक प्रयास का जीता-जागता उदाहरण है। कितना अच्छा लगता है रोशनी से नहाया समूचा वातावरण देखकर।

दीयों की टिमटिमाहट में अच्छी लगती है अंधेरे की लुका-छिपी। उस पर, आस्था और वैभव का पावन मेल। सुख-समृद्धि का धनतेरस, रंगोली के रंग और आपसी मेल मिलाप में अनवरत शुभकामनाओं का आदान-प्रदान। बाजार से लेकर गली का छोटा-सा नुक्कड़ भी लगता है एकदम बदला-बदला, जगमग-जगमग। दीवाली के नाम पर चकाचौंध की रोशनी ही काफी नहीं है, बल्कि घी के वे दीये भी जरूरी हैं, जो पर्यावरण को शुद्ध करने के साथ-साथ हमें भी आध्यात्मिक शुद्धता दे जाते हैं। दीपावली पर लोग नए कपड़े जरूर पहनें, पर उन्हें न भूले जिनके पास अपना शरीर ढकने को भी वस्त्र नहीं हैं। प्रकाश पर्व वैसे भी त्यौहार से ज्यादा एक संस्कार है, इंसानियत को जागृत करने का। लिहाजा हमें चाहिए कि हम अभावग्रस्तों, दीन-हीनों की ओर इस प्रकाश को ले जाएं, तभी हमारी दीपावली भी उद्देश्यपरक होगी।

उपहार दें, खुशी मनाएं

मांगलिक कार्यक्रमों में उपहार देने व लेने की परम्परा हमेशा सुखद अहसास कराती है। दीवाली के मौके पर भी यदि तोहफों का लेन-देन किया जाए, तो बढ़िया है। आप यदि बच्चे को उपहार देना चाहते हैं, तो बच्चे को कपड़े, कंपास, जूते, लंच बॉक्स, गिलास, बॉटल आदि भी दे सकते हैं। इस उपहार से उनका पैसा भी बचेगा, तो दूसरी ओर उनकी आवश्यकता भी पूरी हो जाएगी। आप अधिक खर्च करके अपना बजट बिगाड़ने की बजाय संतुलन बनाकर उपहार दें। एक रूपरेखा बना लें कि आपको कितने रुपए तक का उपहार देना है। बच्चों को कहानी की किताबें भी दे सकते है या सामान्य ज्ञान की पुस्तकें, विज्ञान वाली भी दे सकते हैं।

आप बड़ों को पलंग की चादर, पर्दे, कोई स्टील का बर्तन, प्रेस, रसोई के काम आने वाले बर्तन जैसे कटोरी सेट, प्लेट सेट, टी सेट, गिलास सेट, जूसर, खाने का डिब्बा, डोंगा सेट, डाइनिंग सेट, परफ्यूम, इंटीमेंट, स्वेटर, साड़ी, चूड़ियां, पायल, अंगूठी, हार सेट, कपड़ा आदि भी दे सकते हैं। यदि आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत है और आप अपने स्टैंडर्ड के अनुसार खर्च करना चाहते हैं, तो घर के सदस्यों के लिए कपड़े, सीलिंग फैन, छोटा कूलर, दीवार घड़ी, हाथ घड़ी, लैंप, डेक, टेप, रेडियो, मिक्सी छोटी, सूटकेस, वॉकमेन आदि भी अपने उपहारों में शामिल कर सकते हैं।

गरीबों के साथ खुशियां बांटकर मनाएं दीपावली

दीपावली मानने के लिए हम लोग पटाखे खरीदने में जितना पैसा खर्च करते हैं, अगर उतना पैसा हम किसी जरूरतमंद को दें, तो उसके घर में भी उजाला हो जाएगा। वो भी दीपावली मना पायेगा। एक बार ऐसा करके तो देखिये आपको दीपावली का असली मतलब समझ आएगा कि दीपावली पटाखे जलाने का नहीं, बल्कि खुशियां बांटने और दूसरों के घरों में रौशनी करने का त्यौहार है।

घर के आस-पास की सफाई करें

दीपावली से पहले अपने घर के साथ-साथ आस-पड़ोस में गंदगी को भी साफ करें। आसपास सफाई होगी तो माहौल भी खुशियों से भरा होगा। उस दिन घर के आसपास या बाग-बगीचों में एक पौधा लगाएं, जो आगे जाकर वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा और आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ रखेगा। साथ ही अपने घर में और घर के आसपास पौधे लगाएं, ऐसा करके आप अपने आसपास के वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने में सहयोग कर सकते हैं।

अपनों के साथ मनायें दीपावली

आज का समय ऐसा है कि लोग नौकरी के कारण अपने घरों से दूर रहते हैं और दीपावली पर घर नहीं जाते हैं। उन लोगों के लिए सुझाव है कि कोशिश करके अपने घर जरूर जायें और अपने परिवार के साथ खुशियों वाली दीपावली मनाएं।

दीपक के महत्व को जीवन में अपनाएं

तेल के दीपक को प्रज्ज्वलित करने के लिए बत्ती को तेल में डुबाना पड़ता है, परन्तु यदि बत्ती पूरी तरह से तेल में डूबी रहे तो यह जल कर प्रकाश नहीं दे पाएगी, इसलिए उसे थोड़ा सा बाहर निकाल के रखते हैं। हमारा जीवन भी दीपक के इसी बत्ती के सामान है। हमें भी इस संसार में रहना है, फिर भी इससे अछूता रहना पड़ेगा। यदि हम संसार की भौतिकता में ही डूबे रहेंगे तो हम अपने जीवन में सच्चा आनंद और ज्ञान नहीं ला पाएंगे।

संसार में रहते हुए भी, इसके सांसारिक पक्षों में न डूबने से हम, आनंद एवं ज्ञान के द्योतक बन सकते हैं। जीवन में ज्ञान के प्रकाश का स्मरण कराने के लिए ही दीपावली मनाई जाती है। दीपावली केवल घरों को सजाने के लिए नहीं, बल्कि जीवन के इस गूढ़ रहस्य को उजागर/संप्रेषित करने के लिए भी मनाई जाती है। हर दिल में ज्ञान और प्रेम का दीपक जलाएं और हर एक के चेहरे पर मुस्कान की आभा लाएं।

इकोफ्रेंडली दीवाली के लिए टिप्स:

  • आर्गेनिक व प्राकृतिक रंगों से रंगोली बनाएं।
  • पटाखों के जगह गरीबो को उन पैसों से शाल, कपडेÞ दान करें क्योंकि उससे आने वाली ठंड में उनकी मदद हो जाएगी।
  • चाईनीज लड़ियों का बहिष्कार कर मिट्टी के दिए जलाएं। इससे छोटे-छोटे मिट्टी के कारीगरों के चेहरे पर भी दीवाली की खुशी झलकेगी।
  • घर में पुराने सामान का दान करें।

 पटाखे चलाते वक्त ये सावधानियां रखें:

  • नायलॉन के कपड़े न पहनें, पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता है।
  • पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि इसमें खुली फ्लेम होती है, जो कि खतरनाक हो सकती है।
  • रॉकेट जैसे पटाखे तब बिल्कुल न जलाएं, जब ऊपर कोई रुकावट हो, मसलन पेड़, बिजली के तार आदि।
  • पटाखों के साथ एक्सपेरिमेंट या खुद के पटाखे बनाने की कोशिश न करें।
  • सड़क पर पटाखे जलाने से बचें।
  • एक पटाखा जलाते वक्त बाकी पटाखे आसपास न रखें।
  • कभी भी अपने हाथ में पटाखे न जलाएं। इसे नीचे रखकर जलाएं।
  • कभी भी छोटे बच्चों के हाथ में कोई भी पटाखा न दें।
  • कभी भी बंद जगह पर या गाड़ी के अंदर पटाखा जलाने की कोशिश न करें।

आंख-कान का रखें बचाव

आंख में हल्की चिनगारी लगने पर भी उसे हाथ से मसलें नहीं। सादे पानी से आंखों को धोएं और जल्दी से डॉक्टर को दिखाएं। दीपावली के बाद पल्यूशन और राख से आंखों में जलन की दिक्कत भी काफी बढ़ जाती है। अक्सर दीपावली के दूसरे-तीसरे दिन तक बाहर निकलने पर आंखों में जलन महसूस होती है, क्योंकि हवा में पल्यूशन होता है। ऐसी दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह से कोई आई ड्रॉप्स इस्तेमाल कर सकते हैं।

ध्यान रखें कहीं कड़वी न हो जाए मिठास

इन दिनों नकली मिठाइयों की बिक्री जोरों पर है। मार्केट में लाल, पीली, काली, नीली हर रंग की मिठाइयां मौजूद हैं, जिनमें केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल होता है। इनका सेहत पर बुरा असर पड़ता है। जहां तक हो सके, घर की बनी फ्रेश चीजों, ताजे फल और ताजे फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें। लोग शुगर फ्री मिठाइयां यह सोचकर खाते हैं कि यह नुकसान नहीं करेंगी। सच यह है कि ये चीजें शुगर फ्री होती हैं, न कि कैलरी फ्री। ऐसे में कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ जाता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट की समस्या वाले लोग अक्सर स्वास्थ्य का हवाला देकर मीठे के बजाय नमकीन खाते हैं, जबकि तली और ज्यादा नमक वाली चीजें भी परेशानी बढ़ाती हैं।

मिलावटी मिठाइयों से भी पेटदर्द, सिरदर्द, नींद न आना, मितली, शरीर में भारीपन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का कंट्रोल से बाहर होना आदि परेशानियां हो सकती हैं। इन दिनों रोस्टेड काजू भी लोग जमकर खाते हैं, जबकि एक साथ डिमांड ज्यादा होने पर अक्सर पुराने स्टॉक को फिर से फ्राई करके, उसमें और नमक मिलाकर बेचा जाता है, जो कि डबल फ्राई होने के कारण काफी खतरनाक हो जाता है।

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