मानचेस्टर आॅफ इंडिया : निट वियर सिटी आॅफ इंडिया – तिरुपुर
कभी कानपुर सूती वस्त्रों के लिए भारत का मानचेस्टर व होजरी के लिए लुधियाना मशहूर था, आज तिरपुर सूती व होजरी के लिए मशहूर है। आज यदि इसे हम भारत का मानचेस्टर कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
तिरुपुर शहर जो कि होजरी उद्योग में भारत में प्रथम स्थान पर है, पंजाब के लुधियाना शहर की बराबरी में आज यह साउथ का लुधियाना है।
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यहां की मुख्य:
विशेषता होजरी वस्त्र निर्माण, बच्चों के, बड़ों के, बड़ों के अंडरगार्मेंट्स, लेडीज के ब्लाउज व टॉवेल्स तथा अन्य कई वैराइटीज शामिल हैं। यह शहर तमिलनाडु के कोंगु नाडु रीजन में नोयल नदी के मुहाने पर स्थित है।
इतिहास:
तिरुपुर पर पांडवों, मध्यकालीन चोल वंश, उत्तरार्ध चोल शासकों, विजय नगर शासकों तथा ब्रिटिश शासकों ने राज्य किया।
तिरुपुर एक कृषि प्रधान शहर था।
धीरे-धीरे तिरुपुर ‘निट वियर सिटी’ बनियन सिटी के नाम से भी मशहूर हो गया। पहला टेक्सटाइल यूनिट 1965 में स्थापित किया गया। पिछले तीन दशकों में तिरुपुर में छोटे-छोटे बुनकरों के आपसी सामंजस्य ने इस शहर को एक बड़ा होजरी टेक्सटाइल हब बना दिया है। 2008 में यहां नगर निगम की स्थापना की गयी। 2009 में इसे कोयम्बटूर व इरोड से अलग एक स्वतंत्र जिला घोषित कर दिया गया।
पिछले तीन दशकों से आगे बढ़ते हुए आज तिरुपुर की निट वियर इंडस्ट्री 4 लाख लोगों को औसत 9000 रूपये मासिक पर रोजगार मुहैया कराता रहा है। आज यह संख्या 6 लाख तक पहुँच चुकी है।
यहां होजरी उद्योग सीजन के हिसाब से है। समर होजरी, विंटर होजरी व मानसून होजरी। यहां घर-घर में होजरी की यूनिट्स स्थापित हैं।
पहला समर होजरी मेला 1995 में लगाया गया था। समर होजरी जिसकी स्थापना 1985 में हुई थी। तब इसका निर्यात 18 से 19 करोड़ तक था, जो 2007 तक आते आते 11,000 करोड़ तक पहुँच गया। यह हाल तो अभी समर होजरी का है। यह कहा जाता है कि आप तिरुपुर में जाएँ या आर्डर करें तो मात्र 12 घंटे में बुनकर आपको फ्रेश सेम्पल तैयार करके दे सकते हैं।
तिरुपुर को अब विंटर होजरी प्रोडक्ट्स की ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। चूंकि वैश्विक स्तर पर युरोपियन देशों में इसकी खासी मांग है, वहाँ गर्मी के महीने कम व सर्दी के महीने ज्यादा होते हैं। विंटर होजरी प्रोडक्ट्स की ओर ध्यान देने से तिरूपुर में उद्योग को चार चाँद लग जाएंगे और इसका चंहुमुखी विकास हो पायेगा।
कोटा सिस्टम:
कोटा सिस्टम हटने के बाद तिरुपुर के व्यापारियों के लिए वैश्विक मंच खुल गया। जिसका तिरुपुर व्यापारियों को फायदा भी हुआ और नुक्सान भी, क्योंकि अब प्रतिस्पर्धा में चीन मुंह बाए खड़ा था और सस्ती कीमतों पर उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर अच्छी होजरी उपलब्ध करा रहा था।
तिरुपुर वस्त्र उद्योग में डाउन फॉल:
2009-10 से 2011-12 तक इस उद्योग में काफी गिरावट आयी। इस गिरावट का मुख्य कारण पावर की कमी, मजदूरों का न मिल पाना, परिवहन की ऊँची लागत व कई भौगोलिक कारण जिम्मेदार रहे।
पोर्टर और रिकार्डो जैसे अर्थशास्त्रियों ने इस पर रिसर्च व केस स्टडी की है। उन्होंने इस उद्योग के उज्जवल भविष्य की उम्मीद जताई है।
पिछले चार-पांच वर्षों में तिरुपुर होजरी उद्योग में अच्छा खासा बूम आया है। आज स्थिति यह हो गयी है कि तिरुपुर से इस काम को आउट सोर्स किया जा रहा है।
सरकारी हस्तक्षेप:
सरकार ने जब से कई प्लान्स बनाई हैं इस उद्योग के लिए, एक तरह से इस उद्योग को सरंक्षण दिया है, तिरूपुर देश के ही नहीं विश्व मंच पर एक स्थापित नाम हो गया है।
तिरुपुर के इंफ्Þरास्ट्रक्चर को उन्नत तरीके से स्थापित करने हेतु पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पी पी पी) के अंतर्गत डेवलपिंग प्रोजेक्ट्स पर तुरंत काम करने की आवश्यकता है। आज सरकार को प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर एक प्लान के तहत बुनकरों के रिहैबिलिटेशन व उनके स्वास्थ्य हेतु काम करना चाहिए। बुनकरों व उनके परिवारों के स्वास्थ्य, शिक्षा व उनकी बसाहट की तरफ ध्यान दिया जाना जरूरी है।
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन:
हालांकि तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन अपने स्तर पर होजरी यूनिट्स का स्टैटिस्टिकल डाटा बनाती है, पर सरकार द्वारा और सटीक डाटा एकत्र करने की जरूरत है।
खुशनुमा कार्यस्थल माहौल:
बुनकरों की कार्यक्षमता में इजाफा करने के लिए अच्छे स्कूल्स, अस्पताल, पार्क्स जहां वह खुली हवा ले सकें, बहुत जरूरी है।
धीरे धीरे नेशनल इंस्टिट्यूट आॅफ डिजाइन एंड नेशनल इंस्टिट्यूट आॅफ फैशन डिजाइन व स्कूल आॅफ फैशन डिजाइन इन उद्योगों को नए व आधुनिक डिजाइन उपलब्ध कराने में मदद कर रही हैं।विदेशों को माल निर्यात करने हेतु तिरुपुर में कई इंडस्ट्रियल पार्कस, सिडको इंडस्ट्रियल पार्क जे एस इंडस्ट्रियल पार्क आदि की स्थापना की गयी।
तिरपुर ने वहाँ के रहने वाले स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाया है। तिरपुर एक औद्योगिक शहर बन गया है। आज तिरुपुर से 35 देशों को होजरी के आइटम्स निर्यात किये जाते हैं। आज तिरुपुर चीन व बंगलादेश से भी टक्कर ले रहा है।
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