Courting the clouds in Meghalaya -sachi shiksha hindi

करिए सैर बादलों की मेघालय में 1972 में असम से अलग होकर भारत के 21वें राज्य के रूप में नक्शे पर उभरा, अद्भुत मेघालय यानि बादलों का घर।

आकाश में बादलों के झुंड, धरती पर चंचल झरने, शांत झीलें और उनमें अपना प्रतिबिम्ब निहारती हरियाली, इन सबके बीच आपकी उपस्थिति आपको अवसर देगी कि आप अपने भाग्य पर गर्व कर सकें। यह राज्य गारो, खासी तथा जयन्तिया जैसी प्राचीन पहाड़ी जनजातियों का मूल निवास स्थान है।

इन्हीं लोगों को भारत का प्राचीनतम निवासी माना जाता है। यदि आप भी मेघालय पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं या यहां घूमने के बारे में सोच रहे हैं,

Also Read :-

तो आज आपको यहां के शानदार स्थलों की जानकारी देंगे।

शिलांग:

शिलांग एक छोटा-सा शहर है जिसे पैदल घूमकर देखा जा सकता है। अपनी सुविधा के अनुसार सिटी बस या दिनभर के लिए आॅटो या टैक्सी किराए पर लेकर भी घूमा जा सकता है। शिलांग को प्राय: पूर्व का स्कॉटलैंड कहा जाता है। यहां की वास्तुकला और खान-पान में भी ब्रिटिश झलक नजर आती है। यह शहर में प्राकृतिक सौंदर्य उत्यन्त शोभायमान होता है। शिलांग पीक, लेडी हैदरी पार्क, कैलांग रॉक, वार्डस झील, मीठा झरना, हाथी झरना यहां के प्रमुख पर्यटक स्थल हैं।

चेरापूंजी:

चेरापुंजी भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एक शहर है। यह शिलांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान दुनिया भर में मशहूर है। सरकार ने इसका नाम चेरापूंजी से बदलकर सोहरा रख दिया है। वास्तव में स्थानीय लोग इसे सोहरा नाम से ही जानते हैं। यह स्थान दुनिया भर में सर्वाधिक बारिश के लिए जाना जाता है। इसके नजदीक ही नोहकालीकाई झरना है, जिसे पर्यटक जरूर देखने जाते हैं। यहां कई गुफा भी हैं, जिनमें से कुछ कई किलोमीटर लम्बी हैं। चेरापूंजी बांग्लादेश सीमा से काफी करीब है, इसलिए यहां से बांगलादेश को भी देखा जा सकता है।

सीजू गुफा:

मेघालय की सीजू गुफा, भारत की पहली चूना पत्थर वाली प्राकृतिक गुफा है। यह गुफा दो पहाड़ियों के शिखर को एक रस्सी और तार के ब्रिज के माध्यम से जोड़ती है। इस पुल की अस्थिरता आपको इतना डराएगी की आपको लगेगा की आप पुल से नीचे गिर जाएंगे।

मोसमाई झरना:

इस झरने से दो हजार फीट की ऊंचाई से गिरता हुआ जल देखकर मन सिहर उठता है। इतना ही नहीं, करीब 1.5 किमी दूरी पर मोसमाई गुफा भी बहुत ज्यादा सुंदर है। यह गुफाएं मानव निर्मित नहीं है। या भी इनकी एक विशेषता है। गुफा में जाल रिसता रहता है। इन गुफाओं के अंदर घने अंधकार का साम्राज्य स्थापित है। यह गुफा नाहसिंहथियांग झरनों के पास हैं। मोसमाई गुफा जाने का रास्ता चेरापूंजी के पास स्थित मोसमाई गांव से है। गुफा मॉस्मई गांव के बेहद करीब है। गुफा का प्रवेश द्वार खड़ी चढ़ाई वाला और बेहद संकरा है।

मफलंग:

यह शिलांग से 24 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह एशिया के सबसे साफ गांव हैं, यहां का प्राकृतिक दृश्य अत्यधिक मनमोहक है। प्रकृति के अनुपम दृश्यों से परिपूर्ण इस स्थान पर पर्यटकों को स्वर्ग की अनुभूति होती है। यह स्थान पर्यटकों को आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

मावसिनराम:

मावसिनराम गुफा अपनी आप में खास है। यही विशिष्टता इसकी पहचान है। मावसिनराम की गुफा के चलते मेघालय का यह गांव भारत के साथ-साथ दुनिया भर में लोकप्रिय है। मेघालय के खूबसूरत नजारों में से एक है मावसिनराम, जो शिलांग से 56 किमी की दूरी पर स्थित है। इसकी गुफा मावसिनराम गांव से करीब एक कि.मी. उत्तर में है। यह गुफा स्टलैग्माइट यानी चूने के पत्थरों से बनी बड़ी-बड़ी चोटियों के लिए मशहूर है। इनकी उंचाई 25.30 फीट तक है। ये चोटियां शिवलिंग की तरह दिखती है। इस गुफा का दूसरा नाम मावियमबुइन भी है।

क्रेम डैम गुफा:

क्रेम डैम गुफा मेघालय का ऐसा सुरम्य स्थान है, जहां प्रकृति अपने भव्य स्वरूप में दर्शन देती है। क्रेम डैम संभवत: पूरे भारतीय महाद्वीप की सबसे बड़ी गुफा होगी, जो बलुआ पत्थरों से बनी है। यह अपने विशाल आकार और बेमिसाल खूबसूरती की वजह से बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। क्रेम डैम की लंबाई लगभग 1297 मीटर है। ऐसा पत्थर जो रेत के बारीक कणों से मिलकर बना हो, बलुआ पत्थर कहलाता है। यह तलछटी चट्टान भी कहलाता है। इसमें अधिकतर हिस्सा स्फटिक या धरती की सतह पर पाए जाने वाले तत्वों की ही होती है।

क्रेम लैशिंग:

क्रेम लैशिंग, मेघालय की उन हजार खूबसूरत गुफाओं में से एक है, जो उसके दिल में पालने की तरह झूलती हैं। क्रेम लैशिंग राज्य के एक और पर्यटन स्थल जोवाई से 37 किमी. की दूरी पर है। बेहद शांत जगह है। यदि आपके दिल में गुफाओं के लिए भी जगह है तो मेघालय आपकी पहली पसंद साबित हो सकता है, जो आपको हर पल रोमांचित कर सकता है। मेघालय यूं तो गुफाओं के लिए ही मशहूर है। लेकिन क्रेम लैशिंग की विशेषता इसका विशालकाय होना है, जो इसे दूसरों से अलग करता है। 50 मीटर की चौड़ाई में फैली इस गुफा की ऊंचाई 40 मीटर है। यही आंकड़े मेघालय आने वाले हर पर्यटक को अपनी ओर खिंचते हैं।

नारतियांग:

जयंतिया हिल्स जिला मेघालय टूरिज्म का बड़ा केंद्र है, जहां एक से एक अद्भुत गुफाएं कंदराएं और एडवेंचरस स्पोर्ट्स के स्थान हैं। यह छुट्टी मनाने के लिए आसपास के लोगों की पहली पसंद है। हालांकि, एडवेंचर करने वालों को यहां सावधानी रखने की जरूरत भी होती है। नारतियांग, ऐसी जगह है जो पूरे मेघालय के दिल में बसता है। यह केवल पर्यटन स्थल के तौर पर नहीं बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।

नोकरेक चोटी:

नोकरेक गारो हिल्स पर तूरा क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी है। यह पश्चिम गारो हिल्स जिले में आती है। तूरा रेंज इस पहाड़ की प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इसकी लंबाई 50 किलोमीटर के करीब है। यह पूर्व से पश्चिम दिशा में सीजू से तूरा तक फैला हुआ है। तूरा की पहाड़िया अभी नोकरेक नेशनल पार्क के प्रबंधन के तहत आती हैं। नोकरेक की चोटी और इसका बेस तूरा के दक्षिण पूर्व में 13 किलोमीटर क्षेत्र में पसरा हुआ है।

एलिफेंट फॉल्स:

एलिफेंट फॉल्स बहुत ही बड़ा झरना है जिसकी आवाज बहुत दूर से सुनी जा सकती है। पहाड़ी से बहुत नीचे उतरकर यह मनोरम दृष्य देखा जा सकता है। फोटोग्राफी के लिए यह सर्वश्रेष्ठ झरना कहा जा सकता है क्योंकि इसमें झरने के पास जाया जा सकता है।

जुलाई का समय मेघालय में उत्सवों का समय होता है। चार दिनों तक चलने वाला किसानों का उत्सव है वेटडीनक्लामू। इसमें पारम्परिक नृत्य संगीत के साथ-साथ बैलों की लड़ाई का मजा ले सकते हैं। अधिक वर्षा वाले दिनों को छोड़ हर मौसम में यहां आया जा सकता है। यहां का जाड़ा कुछ अधिक ठंडा और गर्मियां सुहावनी होती हैं। निश्चय ही यह छोटा-सा राज्य गर्मी से बड़ी राहत दिला सकता है।

ब्रिटिश राज के दौरान स्कॉटलैंड आॅफ ईस्ट कहा जाने वाला शहर शिलांग मेघालय की राजधानी है। खासी पहाड़ियों में, समुद्रतल से लगभग 1500 मी. की ऊंचाई पर बसे इस शहर का नाम एक जनजातीय देवता शुलांग के नाम पर पड़ा है। प्यार से मिनी लंदन पुकारे जाने वाले शहर के चप्पे-चप्पे पर अंग्रेजी प्रभाव के निशान खोजे जा सकते हैं।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!