…ताकि सुखमय बना रहे वैवाहिक जीवन
विवाह से कुछ समय पूर्व हर लड़का लड़की चिंतित होते हैं कि शादी के बाद का जीवन सुखमय होगा या नहीं। सुखमय वैवाहिक जीवन सभी को भाता है, पर अलग वातावरण और अलग परिवार से आए दोनों पति पत्नी जब एक-साथ मिलते हैं तो प्रारंभ में थोड़ी कठिनाई तो आती है क्योंकि सभी का खान-पान, रहन-सहन, व्यवहार, भाषा, बात करने और सोचने का तरीका अलग होता है।
धीरे-धीरे उस वातावरण में एक-साथ रहते हुए वे एक-दूसरे के आदी बन जाते हैं। इसके लिए विश्वास व सहनशीलता की दोनों को जरूरत होती है। बस अपना अहं (अहंकार) कुछ कम करना होता है। इससे झगड़े और मनमुटाव को दूर रखा जा सकता है और आपसी प्यार आगे बढ़ाया जा सकता है।अगर सभी कुछ बातों का ध्यान रखें तो वैवाहिक जीवन की नाव सुचारू रूप से आगे बढ़ जाती है।
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परिवार चलाना टीमवर्क समझें
जैसे आफिस में कोई प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए टीम एक-साथ काम करती है उसी प्रकार घर-गृहस्थी चाहे एकल हो या संयुक्त, इसे चलाने के लिए भी टीम की जरूरत होती है। परिवार में जितने सदस्य हैं सभी टीम-वर्क की तरह काम कर परिवार में खुशहाली बनाए रख सकते हैं। दोनों को समझना चाहिए कि एक-दूसरे से जीतने के बजाय मिलकर जीतना जरूरी है। तभी मीठे परिणाम की आशा की जा सकती है। घर-गृहस्थी एक पहिए पर नहीं टिकती, इस बात को मान कर चलें।
विश्वास और इज्जत सुखमय जीवन की कुंजी हैं
पति-पत्नी को कभी एक दूसरे पर शक नहीं रखना चाहिए। आपसी विश्वास होना सुखमय जीवन के लिए अति आवश्यक है। अपने साथी की टांग अकेले में या किसी के सामने कभी न खींचें। इससे रिश्ते बिगड़ते हैं। अपने रिश्तों की नींव को मजबूत बनाने के लिए एक-दूसरे पर विश्वास और एक-दूसरे की इज्जत जरूरी है। पति को पत्नी की भावनाओं की इज्जत करनी चाहिए और पत्नी को पति की भावनाओं की।
सारी उम्मीदें एक से न रखें
दोनों में से किसी को भी एक-दूसरे से गैरवाजिब उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए। अगर किसी भी एक पार्टनर की यह आदत है तो निराश करेगी। पार्टनर को जैसा है स्वीकारें, धीरे-धीरे व्यवहार में बदलाव लाएं। उसे स्पेस दें। साथी से उतनी ही उम्मीदें रखें जितनी उम्मीद हो पूर्ण होने की।
खराब व्यवहार को न स्वीकारें
अगर एक पार्टनर का व्यवहार दूसरे के प्रति खराब है या शारीरिक व मानसिक रूप से पीड़ा पहुंचाता है, इसे स्वीकार न करें। प्यार से बात करें और उसे व्यवहार ठीक करने को प्रेरित करें।
विवाह के बाद दोस्त ध्यान से चुनें
कभी कभी दोस्तों का प्रभाव आपके व्यक्तित्व पर ज्यादा होता है। इससे कई बार आपसी रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। ऐसे दोस्तों से दूरी रखें, अपने रिश्ते बचा कर रखें। अच्छे दोस्त बनाएं जो जरूरत पड़ने पर आपका मार्गदर्शन कर सकें।
बहस न करें
मन में आई उलझनों को दबा कर न रखें बल्कि बात कर सुलझाएं। शांत मन से एक-दूसरे की बात को पूरा सुनें। बीच में बहस करने से रिश्ते दरकने लगते हैं। हैल्दी बहस करें। उसे एक-दूसरे पर हावी न होने दें। जब किसी बात पर झगड़ा हो तो एकदम प्रतिक्रि या न दें। बात को समझें, फिर अपना पक्ष रखें। बिलकुल चुप्पी भी न साधें।
संवाद बनाए रखें
आपस में संवाद बनाए रखें। संवाद जीवन में रस घोलता है और बड़ी-छोटी समस्याओं को सुलझाता है। संवाद में बोलना और सुनना दोनों जरूरी हैं। संवादहीनता जीवन को नीरस बनाती है। अपनी बात स्पष्ट कहें और पार्टनर को भी कहें कि स्पष्ट ही बोलें कि क्या चाहता है!
पसंद नापसंद का भी रखें ध्यान
शादी के बाद अक्सर पति पत्नी हर बात को ‘टेकन फॉर ग्राटेंड’ लेते हैं। यह ठीक नहीं। एक दूसरे की पसंद का ध्यान रखते हुए अपने में बदलाव लाएं ताकि रिश्तों में मजबूती बनी रहे।
अपनी बात को मीठे स्वर में दृढ़तापूर्वक बोलें। अभद्र भाषा रिश्तों को खोखला करती है। अच्छे काम की तारीफ करना न भूलें।
-नीतू गुप्ता