Monkeypox virus A dangerous disease that spreads from animal to human and from human to human -sachi shiksha hindi

मंकीपॉक्स वायरस: जानवर से इंसान, और इंसान से इंसान में फैलने वाली खतरनाक बीमारी

कोरोना वायरस महामारी से अभी दुनिया उबर नहीं पाई है, ऐसे में मंकीपॉक्स का नया वायरस लोगों की चिंता का विषय बन गया है।यह जूनोटिक वायरस के कारण जानवरों से इंसानों में और इंसान से इंसान में फैलने वाली बीमारी है, जिस पर नियंत्रण दिनोंदिन चुनौती बनता जा रहा है। वर्ल्ड हेल्थ आॅर्गनाइजेशन (डब्लयूएचओ) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है, जिससे इसको लेकर चिंता और बढ़ गई है।

भारत समेत दुनिया के आधा दर्जन देशों में मंकीपॉक्स दस्तक दे चुका है। यह एक संक्रामक रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से होती है। जानकारों की मानें तो मंकीपॉक्स का संबंध आॅर्थोपॉक्सवायरस परिवार से है, जो चेचक की तरह दिखाई देती है। इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है।

इस वायरस के चलते स्मॉल पॉक्स यानी छोटी चेचक होती है। जानवरों में मंकीपॉक्स पहली बार साल 1958 में दिखाई दी थी। जब बंदरों में मंकीपॉक्स का संक्रमण पाया गया था। वहीं, साल 1970 में पहली बार इंसान में मंकीपॉक्स कॉन्गो के एक बच्चे में पाया गया था। जबकि, साल 1980 में चेचक उन्मूलन के बाद यह गंभीर समस्या बनकर उभरा है।

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आइए, इस रोग के बारे में सबकुछ जानते हैं-

मंकीपॉक्स क्या है?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, मंकीपॉक्स ‘मंकीपॉक्स वायरस’ के कारण होने वाली बीमारी है। मंकीपॉक्स वायरस वैरियोला वायरस के वायरस के एक ही परिवार का हिस्सा है, वह वायरस जो चेचक का कारण बनता है। हालांकि, मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान हल्के होते हैं, लेकिन मंकीपॉक्स का चिकनपॉक्स से कोई संबंध नहीं है।

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स-

मंकीपॉक्स से पीड़ित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने, संक्रमित जानवर के काटने, छूने आदि कारणों से मंकीपॉक्स फैलता है। खासकर, ाूहों, गिलहरियों और बंदरों द्वारा यह अधिक फैलता है। वहीं, मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के आसपास रखी चीजों को छूने से भी मंकीपॉक्स का खतरा रहता है। चिकित्सकों का मानना है कि संक्रमण एक संक्रमित व्यक्ति के दाने, पपड़ी, शरीर के तरल पदार्थ को छूने, कपड़ों और बिस्तरों को साझा करने से फैल सकता है। यह वायरस चुंबन और आलिंगन से भी फैलता है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं से यह संक्रमण गर्भाशय में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित करता है।

लक्षणों को पहचानें :

डब्ल्यूएचओ कहता है कि मंकीपॉक्स के कारण रैशेज, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, एनर्जी में कमी जैसे लक्षण दिखते हैं, लेकिन यह लक्षण किसी अन्य बीमारी के कारण भी दिख सकते हैं। मंकीपॉक्स का सबसे खतरनाक या विशेष लक्षण लिम्फ नोड्स में सूजन आना है। लिंफ नोड्स आपके गले के दोनों ओर होते हैं, जो इसे आम बीमारियों से अलग बनाता है।

मंकीपॉक्स के छाले या दाने सूखने तक फैल सकता है संक्रमण

मंकीपॉक्स के लक्षणों में चेहरे, हथेलियों, तलवों, आंखों, मुंह, गले, जांघ और जननांग आदि पर दाने-रैशेज-छाले होना भी शामिल है, जो कि आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। ध्यान रखें कि जब तक मंकीपॉक्स के मरीज के सभी छाले या दाने सूख नहीं जाते, तब तक वह संक्रमण फैला सकता है। वहीं, अगर जानवरों से इंसानों में मंकीपॉक्स वायरस फैलने की बात सामने आ रही है, जिसमें यह संक्रमित जानवरों को छूने, उसका मांस खाने आदि से फैल सकता है।

70 से अधिक देशों में फैला वायरस:

सीडीसी रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स का असर प्रतिदिन बढ़ता प्रतीत होता है। 22 जुलाई तक यह वायरस 74 देशों तक फैल चुका है, जिसमें से 68 नए देश हैं, जिनमें मंकीपॉक्स के केस देखने को मिल रहे हैं।

बचाव:

इसके लिए सबसे पहले सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करें। वर्तमान समय में मंकीपॉक्स का कोई इलाज फिलहाल नजर नहीं आ रहा। अगर मंकीपॉक्स से पीड़ित हैं, तो चेचक का टीका यानी वैक्सीन जरूर लगवाएं। संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद हाथों को साबुन और साफ पानी से धोएं। इसके अलावा, सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूर करें। घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें।

मंकीपॉक्स के लक्षण

  • बुखार
  • सिर दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • पीठ दर्द
  • सूजी हुई लसीका ग्रंथियां
  • ठंड लगना
  • थकावट
  • त्वचा का फटना
  • शरीर में रैशेज
  • गला खराब होना
  • बार-बार खांसी आना
  • सुस्ती आना
  • खुजली की समस्या

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