Pranayama

प्राणायाम : से दिमाग को रखें शांत

हमारी प्राणशक्ति को बढ़ाने के लिए सबसे बड़ा योगदान प्राणायाम का है, जबकि हमारे प्राण हमारे स्वासों पर ही निर्भर करते हैं। इस तरह हमारे शरीर में प्राणशक्ति का संचार जीते जागते मनुष्य जीवन की निशानी है। अन्यथा हर शरीर एक बुत्त के समान है। इस शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व हमेशा गतिशील बनाए रखने के लिए प्राणायाम को अपने दैनिक जीवन में अपनाना एक बेहतरीन उपाय है।

योगा में प्राणायाम का अर्थ है ‘सांस पर ध्यान केंद्रित करने का एक योगिक अभ्यास’। प्राणायाम दो शब्दों के मेल से बना है- प्राण+आयाम। प्राण का अर्थ है ‘जीवन शक्ति’। आयाम का अर्थ ‘नियमित करना’ यानि प्राणयाम का मतलब है ‘जीवन शक्ति को नियमित करना’। योगा में कुछ प्राणायाम है जो हमें प्रतिदिन करने चाहिए, जैसे आलोम-विलोम, भस्त्रिका, कपालभांति, भ्रामरी इत्यादि और इनके अपने अलग-अलग फायदे हैं।

इन सबका उद्देश्य श्वासों को अलग-अलग प्रकार से उपयोग करके शारीरिक कार्य क्षमता को बढ़ाना व ऊर्जा प्रदान करना है। इन प्राणायाम की तकनीकों द्वारा दिमाग और फेफड़ों को आॅक्सीजन पहुँचती है, जिससे हमारा श्वसन तंत्र सुचारू रूप से चलता है। नियमित प्राणायाम करके दिमाग की टैंशनों को दूर करके शांत रखा जा सकता है, जोकि आज के समय में सबसे आवश्यक है।

सुमिरन प्राणायाम की विधि:Pranayama

  • अपनी गर्दन सीधी रखें। सुखासन, पदमासन या वज्रासन में बैठ जाएं।
  • अपने दोनों हाथों को चित्र में दिखाए अनुसार जोड़कर बीच में रखें या ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखें।
  • आँखें बंद करके, ध्यान दोनों आँखों के बीच में केंद्रित करेंं।
  • लम्बा सांस खींचकर सांस को ज्यादा से ज्यादा देर तक रोकने की कोशिश करें। इस दौरान लगातार नाम-शब्द (गुरुमंत्र) का सुमिरन करें।
  • धीरे-2 सांस छोड़ें। अपने शरीर को श्वास रहित करने के बाद फिर सांस रोककर रखें व लगातार सुमिरन करें। इस तरह बार-बार सांस रोकने के कठिन अभ्यास से हमारी क्षमता पहले से कहीं अधिक बढ़ जाती है।
  • इस श्वास-क्रिया को 15 बार करें व धीरे-धीरे बढ़ाकर 25 बार तक ले जाएं। प्रतिदिन सुबह, दोपहर और शाम इसका अभ्यास करें।
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प्राणायाम के साथ-साथ जब हम सुमिरन करते हैं, तो इसे सुमिरन प्राणायाम कहा जाता है, जोकि हमें अंदर व बाहर से मजबूत व फुर्तीला बनाता है। सुमिरन प्राणायाम के हमारे शरीर को मानसिक व शारीरिक रूप से अनेक लाभ होते हैं।

मानसिक रूप से सुमिरन प्राणायाम के फायदे:-Pranayama

  • दिमाग में आॅक्सीजन सही तरीके से पहुँचती है, जिससे दिमाग की मासपेशियाँ मजबूत बनती हैं।
  • जो हम पढ़ते हैं, वह जल्दी याद हो जाता है। एमएसजी गुरुकुल में बहुत सारे बच्चे इस प्राणायाम को लगातार करके मैरिट हासिल कर रहे हैं।
  • किसी भी परेशानी का हल दिमाग को अंदर से ही मिल जाता है। दिमाग को कोई टैंशन नहीं रहती। डर को खत्म करता है।
  • आत्मबल बढ़ाता है।
  • मन और दिमाग शांत करता है।
  • सिर दर्द में आराम प्रदान करता है।
  • लगातार करने पर इन्सान गुस्से पर आसानी से काबू पा सकता है। चिड़चिड़ापन खत्म हो जाता है।
  • इन्सान में सयंम व संतुष्टि की भावना बढ़ती है।
  • सुमिरन में ध्यान जल्दी लगता है।

शारीरिक रूप से सुमिरन प्राणायम के फायदे:-Pranayama

  • प्राणायाम करने से शरीर की लचक व क्षमता (स्टैमिना) बढ़ जाती है। जिससे न सिर्फ रोज़मर्रा के कार्यों में, बल्कि खेलों में भी बहुत लाभ होता है। इससे मांसपेशियों का निर्माण होता है, जो अलग-अलग खेलों में अपना योगदान देती है।
  • कोई भी चोट या दर्द ज्यादा देर तक शरीर के किसी अंग को परेशान नहीं करता, अर्थात् जल्दी राहत मिल जाती है।
  • बुरी आदतों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है।
  • चेहरे पर निखार आता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
  • कई रोगों को खत्म करने में सहायक है जैसे कि कैंसर, माइग्रेन, अर्थराइटिस, अस्थमा, रक्त को साफ करता है, आँखों को मजबूत बनाकर रोशनी बढ़ाता है, शारीरिक चर्बी को कम करता है।
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सावधानियाँ:-Pranayama

  • प्राणायाम का अत्याधिक लाभ सुबह व शाम खाली पेट करने से मिलता है। खाने के दो घण्टे के बाद भी कर सकते हैं।
  • स्वच्छ व साफ वातावरण में करें। प्रकृति में करें तो सबसे बेहतर है।
  • मासिक धर्म में 3-4 दिन का परहेज करें।
  • प्राणायाम के 15 मिनट बाद ही कुछ खाएं।
  • अगर कोई गंभीर बीमारी या परेशानी है, तो डॉक्टरी परामर्श के अनुसार ही करें।

नोट:- किसी रोगी, विद्यार्थी या खिलाड़ी को प्राणायाम करने से फायदा मिला हो, तो कृप्या अपना नाम व अनुभव हमारे साथ जरूर सां­झा करें, ताकि अन्य लोग भी लाभ उठा सकें। -नीलम इन्सां, योगा वर्ल्ड चैंपियन

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