Rainy Synthetic Sarees - Sachi Shiksha

जिस प्रकार मौसम बदलता है, उसी के अनुरूप महिलाओं का फैशन भी बदलता है। फैशन न सिर्फ बदलाव की ही वस्तु है वरन् मौसम के अनुसार आम उपभोक्ताओं की जरूरत भी होती है।

ग्रीष्मकालीन ऋतु शादियों और बाहर सैर-सपाटे की ऋतु होती है, इसलिए महिलाएं पूरी तरह सज-संवर कर निकला करती हैं। आमतौर पर महिलाएं ऐसे मौसम में भी भारी लहंगा, चोली, बनारसी साड़ी या मीटर भर कपड़े का सलवार-सूट आदि पहनती हैं और जरा-सा घूमने-फिरने के बाद ही थक जाती है।

ग्रीष्म ऋतु के बाद शुरू होती है बरसात की फुहार। बरसात के आते ही महिलाओं का फैशन भी उसके अनुरूप बदल जाता है। बरसात में महिलाओं को हल्की-फुल्की सिंथेटिक साड़ियां पहनना अच्छा लगता है। इसका सबसे पहला कारण यह होता है कि सिंथेटिक साड़ियां हल्की होती हैं और पहनने में सरल भी हुआ करती हैं। रंगीन एवं प्रिण्टेड होने के कारण इन्हें घर में आसानी से धोया भी जा सकता है।

सिंथेटिक साड़ियों को सूखने में भी अधिक समय नहीं लगता। बरसात के मौसम में सबसे बड़ी समस्या कपड़ों के सूखने की ही हुआ करती है। बरसात में इनके पहनने का सर्वाधिक लाभ यह होता है कि रास्ते में कीचड़ या पानी हो तो साड़ी थोड़ी ऊपर कर आसानी से गुजरा जा सकता है।

बरसात की फुहार के साथ ही बरसाती मेंढक की तरह जगह-जगह पर साड़ियों की ‘सेल‘ की दुकानें भी लग जाती हैं। शहर के बड़े-बड़े हालों, होटलों व आर्ट-गैलरी वगैरह में साड़ियों की सेल फैल जाती है। पटना के एक प्रतिष्ठित होटल ‘होटल पाटलिपुत्र अशोक’ में मानसून के आते ही साड़ियों की एक बहुत बड़ी सेल लगी थी। पूनम इन्डस्ट्रीज लिमिटेड की वार्षिक डिफेक्टिव साड़ी सेल में पहुंचने वाली युवतियों का तांता-सा लगा था।

बरसात के मौसम में इस प्रकार की साड़ियां खूब बिका करती हैं। इन सेलों से यह फायदा होता है कि ग्राहक को हजारों साड़ियां एक ही स्थान पर देखने को मिल जाती हैं तथा भाव भी इतने कम होते हैं कि मध्यमवर्गीय परिवार को यहां की खरीदारी महंगी नहीं पड़ती।

बरसात के समय साड़ियों की सेल लेकर अच्छी-अच्छी मिलें आम जनता के बीच उतर आती हैं। सूरत की मेटल शिफान, ब्राइट पोलिएस्टर, प्रिंट पोलिएस्टर, बूली प्लेन, बूली प्रिंट, ब्राइट सिल्क, सिल्वरमेट, सी. टी. प्रिंट वगैरह की सैंकड़ों वैरायटीज एवं हजारों प्रिंट एक साथ देखे जा सकते हैं। ये साड़ियां न केवल देखने में ही सुन्दर होती हैं बल्कि मजबूत भी होती हैं।

सिंथेटिक साड़ियों में किस्में तो बहुत आती हैं परन्तु बरसात में महिलाएं पोलिएस्टर प्लेन अथवा प्रिंट पहनना ही अधिक पसंद करती हैं।

महिलाएं अधिकांशत:

5.50 मीटर या 6 मीटर की साड़ी खरीदना ही पसंद करती हैं क्योंकि इनमें से साड़ी के मैचिंग का ब्लाउज भी आसानी से बनवाया जा सकता है। पोलिएस्टर प्लेन अथवा प्रिंट में खटाऊ, पीरामल मोरारजी, श्री.जी. सिंथेटिक्स के नाम अत्यंत ही मशहूर हैं।

खरीदारी से पहले यह भी जान लेना आवश्यक है कि कैसी महिलाओं पर किस तरह की साड़ी खिलेगी? कामकाजी महिलाओं में जिनका कद लंबा और बदन छरहरा हो, उन पर प्लेन साड़ी और उसी से मैच खाता ब्लाउज खूब खिलता है। अगर कामकाजी महिला का कद छोटा हो तो उस पर प्लेन में मीडियम कलर अथवा मीडियम डार्क कलर एवं टसर कलर पर ब्लैक प्रिंट व ब्लैक पल्लू की साड़ियां अधिक खिलती हैं।

बरसात के मौसम में प्राय:

महिलाएं सिन्थेटिक साड़ियां पहनना इसलिए भी पसन्द करती हैं क्योंकि इस मौसम में कभी भी पानी की बौछारों से भीगने का खतरा बना रहता है। तन के भीग जाने से साड़ी तन से चिपट जाया करती है।

सिन्थेटिक के अतिरिक्त अन्य साड़ियां भीगकर प्राय:

पारदर्शी हो जाया करती हैं। सिन्थेटिक साड़ियां भीगकर भी पारदर्शी नहीं होती। इस कारण इन साड़ियों को पहनकर बरसात के मौसम में अकारण लज्जित नहीं होना पड़ता। मौसम के अनुकूल साड़ियों या अन्य वस्त्रों का चुनाव करके अनेक बीमारियों से भी बचा जा सकता है। सिन्थेटिक साड़ियां भीग कर भी घम्हौरी, जुरपित्ती या अन्य चर्मरोगों को पैदा नहीं करती जबकि अन्य साड़ियों के माध्यम से इन रोगों के होने का खतरा बहुत अधिक बना रहता है।
-पूनम दिनकर

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