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घर खर्च घटाकर छोटे निवेश से करें शुरूआत

अधिकतर घरों में महिलाएं ही परिवार की फाइनेंस मिनिस्टर होती हैं और परिवार की जरूरतों को उनसे बेहतर कोई दूसरा नहीं समझ सकता। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि घर का बजट बनाने के लिए हमेशा फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह ली जाए। आप खुद भी अपने परिवार का बजट बना सकती हैं। हाँ, इस दौरान अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो आपके लिए बजट बनाना आसान हो जाएगा। कोरोना का दौर हमें यह समझा चुका है कि भविष्य में ऐसी घड़ी से निपटने के लिए आवश्यक है कि हम अपने खर्च को काबू में रखने के साथ बचत को बढ़ाएं।

यहाँ पर बताए गए कुछ तरीकों को अपनाकर आप अपने खर्चों में कमी लाकर बचत को बढ़ा सकते हैं।

टेलीकॉम बिल पर कंट्रोल करें

पिछले कुछ समय से ‘वर्क फ्रॉम होम’ के चलते बिजली, टेलीफोन, मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट के खर्चों में काफी वृद्धि हुई है। इन बिलों में वृद्धि का एक और कारण यह भी है कि मार्केट में टेलीकॉम कंपनियों की भरमार हैं, जो अपने उपभोक्ताओं को ऐसे प्लान मुहैया करवाती हैं, जिनसे प्रभावित होकर उपभोक्ता सस्ते और अधिक-से-अधिक प्लान्स लें। यदि आपके टेलीकॉम बिलों में महीना-दर-महीना इजाफा हो रहा है, तो जरुरत है इन बिलों को कम करने और अनावश्यक प्लान्स को बंद करने की। बेकार के प्लान्स को बंद करके या महंगे प्लान्स बदलकर सस्ते प्लान लेकर आप इन टेलीकॉम बिलों को नियंत्रित कर सकते हैं और बचत को बढ़ावा दे सकते हैं।

ब्रांडेड प्रोडक्ट्स का मोह छोड़ें:

बदलते लाइफस्टाइल, फैशन, स्टाइल और ट्रेंड्स के चलते हमारा मोह ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के प्रति बढ़ता जा रहा है। बेशक ब्रांडेड प्रोडक्ट्स की क्वालिटी अच्छी होती है, लेकिन उनकी कीमत भी अधिक होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, उपभोक्ता ब्रांडेड प्रोडक्ट्स को बिना यह सोचे समझे आॅनलाइन खरीद लेते हैं कि उस पर क्या अतिरिक्त लाभ या छूट या आॅफर मिल रहे हैं। ब्रांडेड प्रोडक्ट्स को आॅनलाइन खरीदते समय उपभोक्ता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे ब्रांडेड सामान की आॅनलाइन शॉपिंग तभी करें, जब कुछ अतिरिक्त छूट मिले। आजकल अधिकतर आॅनलाइन साइट्स अपने सामान को बेचने के लिए कम कीमत पर अपने इनहाउस ब्रांड बेचते हैं। इन इनहाउस ब्रांड्स को जेनेरिक प्रोडक्ट्स भी कहते हैं। उपभोक्ता की जानकारी के लिए बता दें। ब्रांडेड प्रोडक्ट्स की बजाय ये इनहाउस ब्रांड ज्यादा अच्छी क्वालिटी के होते हैं और इनकी कीमत भी ब्रांडेड की तुलना में कम होती हैं।

लिस्ट बनाकर ही शॉपिंग करें:

अपनी जरूरतों के सामान की लिस्ट बनाकर शॉपिंग करेंगे तो कभी परेशान नहीं रहेंगे और फिजूलखर्च से भी बचेंगे। वैसे भी आजकल लोग मार्किट जाकर शॉपिंग करने की बजाय आॅनलाइन शॉपिंग का मजा लेते हैं और बिना जरुरत का बहुत सारा अनावश्यक सामान खरीद लेते हैं। लिस्ट बनाकर शॉपिंग करने से आप उतना ही खरीदेंगे, जितनी आपको आवश्यकता होगी। इस तरह से अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण करके आप धीरे-धीरे बचत करना सीख जाएंगे और जब बड़ी रकम जमा हो जाए, तो उस राशि को कहीं निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश करें:

ज्यादातर लोग म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट नहीं करते हैं। क्योंकि उनको लगता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करना जोखिम भरा होता है। जबकि हमेशा नहीं होता। म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना आपके भविष्य के लिए सुरक्षित हो सकता हैं। यदि आपको मार्केट के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। मार्केट से म्यूचुअल फंड के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करके म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। चाहें तो प्रोफेशनल की सलाह भी ले सकते हैं।

लोन रीपेमेंट और पाएं ब्याज से आजादी:

जरुरत पड़ने पर बैंक होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन और पर्सनल लोन की सुविधा तो देते हैं, लेकिन ईएमआई के साथ ब्याज का एक अतिरिक्त खर्च और बढ़ जाता है। ब्याज के इन अनचाहे खर्च को कम करने के लिए आपका पहला कदम ये होना चाहिए कि एक-एक करके सभी लोन का समय-सीमा से पहले भुगतान करें, ताकि लोन और ब्याज दोनों से राहत मिल सके।

आॅफर्स के लालच में न पड़ें:

अमूमन सभी कंपनियां उपभोक्ता को अपना सामान बेचने के लिए अनेक तरह के आॅफर देती हैं, जैसे कि तीन आइटम खरीदने पर एक मुफ्त। इन तरह के आॅफर्स पर पैसे खर्चा न करें। देखने में भले ही यह आॅफर आकर्षक लगते हैं, पर पेमेंट चार की ही पड़ती है। ये कंपनियों की ट्रिक्स होती हैं उपभोक्ताओं को अपना प्रोडक्ट बेचने की।

क्रेडिट कार्ड का सही उपयोग:

अक्सर लोगों के मन में यह धारणा होती है कि क्रेडिट कार्ड फिजूलखर्च बढ़ाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फिजूल खर्च बढ़ाने वाला यही क्रेडिट कार्ड बैंक द्वारा दी जानी वाली सुविधा है, जिसका इस्तेमाल उपभोक्ता पहले खर्च करने और बाद में उस खर्च को चुकाने के लिए करता है।

उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड का यूज आॅनलाइन या आॅफलाइन पेमेंट कर सकता है। लेकिन यदि उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर नहीं करता है, तो उपभोक्ता को उसका जुर्माने के तौर पर शुल्क चुकाना होता है। इसलिए उपभोक्ता को कोशिश करनी चाहिए कि हर महीने के अंत में अपने बिल की न्यूनतम रकम जरूर चुकाएं। समय पर क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान करने पर कोई जुर्माना अदा नहीं करना पड़ता है और उपभोक्ता का क्रेडिट स्कोर भी अच्छा होता है। यदि उपभोक्ता समय पर बिल का भुगतान नहीं करता है, तो बैंक उस रकम पर ब्याज भी चार्ज करता है और उपभोक्ता के बिल के साथ-साथ ब्याज की रकम अदा करनी होती है। यदि उपभोक्ता बिल और ब्याज दोनों का ही भुगतान नहीं करता है, तो उस पर लेट पेमेंट लगता है।