Control obesity in childhood

बचपन में ही करें मोटापे पर नियंत्रण
अधिकतर माता पिता यह मानते हैं कि अगर उनका बच्चा मोटा है, तभी वह स्वस्थ बच्चा है पर शायद वे इस बात से अनजान होते हैं कि जो बच्चे बचपन में मोटे होते हैं, उनके वयस्क होकर मोटे होने की संभावना अधिक होती है।

मोटापा कई गंभीर रोगों की जड़ है। मोटापे के फलस्वरूप व्यक्ति को अन्य स्वास्थ्यगत समस्याओं जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों, मधुमेह आदि का सामना भी करना पड़ सकता है।

मोटापे का सबसे प्रमुख कारण है आवश्यकता से अधिक खाना। इसके अतिरिक्त आनुवंशिकता भी इसका एक कारण है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि मोटे माता-पिता का बच्चा मोटा ही होगा। हां, यह कहा जा सकता है कि ऐसे बच्चे के मोटे होने की संभावना अधिक होती है।

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शोधों के फलस्वरूप अब यह बात सामने आयी है कि अगर माता-पिता दोनों मोटापे का शिकार हैं तो बच्चे के मोटे होने की संभावना 60 प्रतिशत बढ़ जाती है और माता-पिता में से कोई एक मोटापे का शिकार है तो यह संभावना 40 प्रतिशत होती है। कुछ भी हो, अगर बचपन में ही मोटापे पर नियंत्रण पा लिया जाए तो वयस्क होने पर व्यक्ति अपने आप को बहुत सी बीमारियों से बचा सकता है।

मोटापे से उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों, मधुमेह, गठिया, जिगर संबंधी बीमारियां जैसे गालस्टोन, आंत्रपुच्छ, हर्निया, बांझपन, सांस लेने में कठिनाई आदि की संभावना अधिक होती है। यही नहीं, मोटे व्यक्ति अपनी शारीरिक दशा के कारण कम चुस्त होते हैं और कम आत्मविश्वासी होते हैं। इससे उनमें हीन भावना आती है और उनका व्यक्तित्व दबा-दबा सा रह जाता है।

अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि माता-पिता बच्चे को जबरदस्ती अधिक खिलाने में लगे रहते हैं। उन्हें हमेशा यही लगता है कि दूसरे बच्चों की डाइट सही है, हमारा बच्चा ही कुछ नहीं खाता। हर माता-पिता अपने बच्चे को प्यार करते हैं पर प्यार और स्रेह दर्शाने का यह तरीका नहीं कि बच्चे को हर समय कुछ न कुछ खिलाते रहें।

माता-पिता बच्चे को खुद ही गलत खान-पान की आदतें सिखाते हैं। वे बच्चे को लालच देते हैं कि अगर वह अच्छा काम करेगा तो उसे चाकलेट मिलेगी, खाने के लिए बाहर ले जाया जाएगा और बच्चे को ऐसे लाड़ प्यार करते रहने से बच्चे गलत खान-पान के आदी हो जाते हैं और मोटापा उन्हें अपनी चपेट में ले लेता है।

बच्चों में बढ़ते मोटापे का एक कारण यह भी है कि बच्चे खेलों व शारीरिक क्रि याओं से दूर होते जा रहे हैं और उनका दायरा खेल के मैदानों से हटकर टी. वी, कम्प्यूटर तक सीमित रह गया है। सारा दिन टी. वी. कम्प्यूटर के समाने बैठे वे कितना खा लेते हैं, इसका उन्हें स्वयं भी नहीं पता चलता।

अगर बपचन में ही मोटापे पर नियंत्रण पा लिया जाए तो बहुत से रोगों से व्यक्ति सुरक्षा पा सकता है,

इसलिए प्रारंभ से ही कुछ बातों को ध्यान में रखें जैसे:-

  • बच्चे को आवश्यकता से अधिक खाने के लिए जोर मत डालें।
  • बच्चे के खान-पान की आदतों पर ध्यान देते रहें।
  • बाहर का खाना वसायुक्त व अधिक मिर्च मसाले वाला होता है इसलिए प्रारंभ से ही बच्चे को घर पर खाना खाने की आदत डालिए।
  • बच्चे के वजन की समय-समय पर जांच करते रहें।
  • बच्चे को पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दें ताकि वह इससे मिलने वाले लाभ को जानकर इन पोषक तत्वों से युक्त भोजन का सेवन करे।
  • बच्चे को शारीरिक क्रि याओं को करने के लिए प्रोत्साहित करिए। उसकी खेलों में रूचि जगाने का प्रयत्न करें। तैराकी, साइकिल चलाना, सुबह की सैर, क्रि केट, आदि खेलों के लिए बच्चे को प्रोत्साहत करें।
  • बच्चे को टी. वी. अधिक न देखने दें और न ही कम्प्यूटर गेम्स आदि खेलने हेतु प्रोत्साहित करें।
  • बच्चे को फल, सब्जियां, दालें अधिक खाने को दें। इससे उसे आवश्यक विटामिन व मिनरल प्राप्त होंगे।
  • अधिक वसायुक्त भोजन, टॉफी, चाकलेट, तले हुए पदार्थ मक्खन, क्र ीम, केक आदि भी बच्चे को कम मात्र में दें।
  • सॉफ्ट ड्रिंक्स, स्रैक्स आदि भी बच्चे को कम से कम दें क्योंकि ये बच्चे को अतिरिक्त कैलोरी ही देंगे।
    -सोनी मल्होत्रा

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