Take care of your heart

युवावस्था से ही रखें दिल का ध्यान

एक नये अध्ययन के अनुसार जिस उम्र में विकसित देशों में हार्ट अटैक होते हैं, उससे प्राय: 10 से 15 साल पहले हमारे देश के लोग इसका शिकार हो जाते हैं। विकसित देशों में प्राय: हार्ट अटैक 70 वर्ष से ऊपर की आयु वालों को होते हैं। उनसे अधिक संख्या में हार्ट अटैक भारतीयों को 60 से कम आयु वालों को होते हैं। अब तो हार्ट अटैक 30-40 वर्ष के लोगों को भी होने लगे हैं। इस उम्र में होने वाले हार्ट अटैक को प्रीमैच्योर स्टेज कहा जाता है जो अधिक खतरनाक स्टेज है।

दिल को खुराक देती है अच्छी नींद:

आधुनिक लाइफस्टाइल और संचार तकनीकों ने युवाओं की नींद बहुत डिस्टर्ब कर दी है। लेट सोना युवा लोगों के कल्चर में रच बस गया है। उसके साथ लैपटॉप और मोबाइल्स ने नींद और कम करवा दी है। युवा पीढ़ी देर रात तक फेसबुक और चैटिंग पर लगे रहते हैं और लेट नाइट मैसेज भेजना और रिसीव करना उनकी आदत में शुमार हो चुका है। ऐसे युवा जब सोते हैं तो दिमाग में अगले दिन की प्लानिंग चलती रहती है जिसके कारण नींद पूरी न होना उनकी एक आम समस्या बन चुकी है। अगर नींद पूरी नहीं होगी तो शरीर की शक्ति, बीमारियों से लड़ने की पावर भी धीरे-धीरे क्षीण होनी प्रारंभ हो जाती है और दिल की धड़कन तेज़ होने लगती है।

dilजो युवा रात्री ड्यूटी करते हैं, उनकी हालत तो जल्द खराब होने लगती है क्योंकि दिन में वे पूरी नींद नहीं ले पाते, क्योंकि कुछ घरेलू काम भी निपटाने होते हैं। मुश्किल से दिन में वे 4 से 5 घंटे की नींद ही ले पाते हैं। दिल को ठीक रखने के लिए अच्छी नींद भी बहुत योगदान देती है। मानसिक रूप से फ्री होकर ली गई नींद स्वास्थ्य हेतु लाभप्रद होती है। शोधकर्ताओं के अनुसार कम से कम 6 घंटे की शांत नींद अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है।

7-8 घंटे की मस्ती भरी नींद आपको अगले दिन के कामकाज पूरे करने के लिए ताजगी प्रदान करती है। अच्छी डाइट और मानसिक रूप से संतुष्टि होने पर नींद भी अच्छी आती है। रात्रि का भोजन वेद-शास्त्रों के अनुसार दिन रहते ही कर लेना चाहिए। लेट भोजन के बाद नींद कभी भी अच्छी नहीं आती। यह भी ध्यान रखें कि अधिक सोना भी दिल के लिए अच्छा नहीं। कई लोग बिस्तर पर लेटने के तीन चार घंटे के बाद सो पाते हैं, इसलिए वे प्रात: देर तक सोते रहते हैं नींद पूरी करने के लिए। यह गलत आदत है। नियमित समय पर बिस्तर पर जाएं और प्रात: भी नियमित समय पर उठें। सप्ताह भर के बाद आपकी नींद का पैटर्न ठीक हो जाएगा। जो लोग खर्राटे लेते हैं, उन्हें भी डॉक्टर से मिलकर इलाज करवाना चाहिए।

स्टेट्स कम करने के लिए मिलें लोगों से:

जो लोग अपने में सिमटे रहते हैं, उन लोगों का दिल भी सुरक्षित नहीं रहता, इसलिए ठीक कहा है, ‘दिल खोल लेते अगर यारों के साथ, तो न आज खुलवाना पड़ता औज़ारों के साथ’। आजकल 22 से 40 वर्ष तक के लोग दिल के रोगों से अधिक पीड़ित हैं, क्योंकि करियर को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए वे अपने जीवन को स्टेÑस से भर लेते हैं। उनके पास न दोस्तों के लिए समय है, न ही संबंधियों और न परिवार वालों के लिए। चूहा दौड़ में दौड़े चले जा रहे हैं। आस पास क्या हो रहा है, उन्हें खबर नहीं। छुट्टी वाले दिन ही बस वे अपनी नींद पूरी करते हैं या अपने बच्चों के साथ समय बिताते हैं।

पहले लोग संयुक्त परिवार में थे, तो सभी से कुछ न कुछ बात भी कर लेते थे और पारिवारिक जिम्मेदारियां मिल बांट कर पूरी हो जाती थी। अब एकाकी परिवारों ने अकेले रहना सीख लिया है। युवा लोग धुम्रपान और शराब पीने को अपना स्टेट्स सिंबल मानने लगे हैं, जिसके सेवन से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा मिलता है। नतीजा हार्ट डिजीज। युवा लोगों को चाहिए कि आॅफिस और घर परिवार में मिल जुल कर रहें। कोई समस्या हो तो उसका समाधान अपने विश्वासी लोगों की मदद से करने का प्रयास करें। गु्रप में घूमें, खाएं पर सीमित मात्र में।

अगर समस्या आनुवंशिक हो:

विशेषज्ञों के अनुसार युवा लोगों को दिल की बीमारी की समस्या मुख्यत: दो कारणों से होती है, एक तो आनुवंशिक यानि जिनके माता-पिता भी कम उम्र में हार्ट डिज़ीज़ के शिकार हो चुके हों दूसरे वे जिनका लाइफस्टाइल खराब है, वे भी इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं। अगर आनुवंशिक कारण हो तो 35 वर्ष तक पहुँचते-पहुँचते अपने सारे हेल्थ चेकअप नियमित करवाते रहें। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल का लेवल चैक करवाते रहें।

अगर दूसरा कारण है तो अपना बिगड़ा लाईफ स्टाईल सुधारने का प्रयास कर अपने दिल को बचा सकते हैं। गलत खाने की आदतों और जंक फूड के स्थान पर संतुलित पौष्टिक आहार का सेवन करें। दाल, हरी सब्जी, चोकर वाली चपाती और दही लें। बीच में सलाद और विभिन्न रंगों के फलों का सेवन करें। दूध और दूध से बने उत्पाद टोंड दूध वाले लें। प्रतिदिन एक मुट्ठी भर नट्स का सेवन करें।

इनके अतिरिक्त युवा लोगों को नियमित सैर और व्यायाम भी अवश्य करना चाहिए ताकि शारीरिक सक्रियता बनी रहे। ब्रिस्क वॉक और वर्क आउट को अपने दैनिक जीवन में शामिल कर अपने दिल को हैल्दी रखें। तनाव से स्वयं को दूर रखें। योगा और ध्यान से स्वयं को रिलैक्स रखें। अच्छे दिल का राज़ अच्छा भोजन, अच्छी नींद, नियमित व्यायाम और स्टेÑस फ्री जीवन है। जवानी से ही अच्छी आदतें अपना लें ताकि दिल धड़कता रहे लंबे समय तक। -नीतू गुप्ता

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