‘वयोश्रेष्ठ’ इलमचंद -अद्भुत खेल प्रतिभा के लिए उपराष्टÑपति वैंकेया नायडू ने किया सम्मानित
वयोश्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित 84 वर्षीय युवा इलमचंद इन्सां कहते हैं कि मेरा जीवन हमेशा से इतना खुशनुमा नहीं था। एक वक्त ऐसा भी आया जब शुगर की बीमारी ने पूरे बदन को जकड़ लिया था।
कोई डॉक्टर कैंसर बताता तो कोई टीबी। हाथों में उन अस्पतालों की टेस्ट रिपोर्ट दिखाते हुए वे एकाएक असहज हो जाते हैं। फिर आंखों में छलकते आसुंओं को संभालते हुए आगे बताते हैं कि एक बार तो मुझे भी यह यकीन हो गया था कि अब तो मैं मरने वाला ही हूँ, थोड़ा समय ही बचा है। तभी पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने मुझे उस भयावह दौर से बाहर निकाला और मेरे अंदर के आत्मविश्वास को जगाया, जिसकी बदौलत आज में इस अवार्ड तक सफर हंसी-खुशी तय कर गया। बता दें कि शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान के वयोवृद्ध योगा कोच इलम चंद इन्सां को उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने गत एक अक्तूबर को वयोश्रेष्ठ सम्मान प्रदान किया है।
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नई दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में इलम चंद इन्सां को सम्मान स्वरूप अढाई लाख रुपये, शॉल, प्रशस्ति पत्र दिया गया।
इलम चंद मूलरूप से यूपी के बागपत जिले के बड़ौत तहसील के गांव अनछाड़ के रहने वाले हैं। वे शिक्षाविद रहे हैं और 1996 में यूपी के विजयवाड़ा के बीपी इंटर कालेज के प्राचार्य रहे हैं। वर्ष 2000 में वे सिरसा में डेरा सच्चा सौदा में आ गए और यहां आकर 61 वर्ष की उम्र में उन्होंने पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा से योग शुरू किया। जिसके बाद योग, एथेलेटिक्स में 425 से अधिक मेडल जीत चुके हैं, जिनमें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
इलम चंद ने बताया कि 22 किलोमीटर लंबी हाफ मैराथन में वर्ष 2011 से लेकर सीनियर सिटीजन श्रेणी में जीतते आ रहे हैं। चीन, मलेशिया में हुई पोल वाल्ट प्रतियोगिता में 70 वर्ष से अधिक उम्र में भाग लिया। मलेशिया में आयोजित 800 मीटर दौड़ में 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों में गोल्ड जीता। 2013 में चीन में आयोजित पोल वाल्ट में दूसरे स्थान पर रहे। एथलेटिक्स में उन्होंने 130 से अधिक मैडल जीते हुए हैं जबकि योग में करीब 300 मैडल हैं। उनके मार्गदर्शन में अनेक योगा खिलाड़िय़ों राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर चुके हैं। वर्तमान में 250 से अधिक खिलाड़ियों को वे प्रशिक्षित कर रहे हैं।
पूज्य गुरु जी ने दी जवान की उपाधि
इलम चंद इन्सां कहते हैं कि पूज्य गुरु जी ने मुझे जवान की उपाधि दी। तब मेरे अंदर ख्याल आया कि जवान तो खूब दौड़ते-कूदते हैं, मैं कैसे कर पाऊंगा। फिर पूज्य गुरु जी के वचनों को ध्यान में रखकर मैंने दौड़ना और कूदना शुरू किया। सतगुरु जी ने मेरी दौड़ और कूद ऐसी करवाई कि हाई जंप, लॉन्ग जंप और ट्रिपल जंप, तीनों में मैंने अच्छी पॉजीशन के साथ मेडल जीते। इसी तरह फर्राटा दौड़ और सामान्य दौड़ में तो 2003 में ही इंफाल और हैदराबाद में गोल्ड मेडल जीत गया। इसके बाद 100 मीटर और 800 मीटर में भी मैंने गोल्ड मेडल जीते। न सिर्फ इन दौड़ों में बल्कि 22 किलोमीटर की मैराथन दौड़ में भी मेडल जीता।
शाह सतनाम जी पुरा ग्राम पंचायत व एमएसजी भारतीय खेल गांव ने भी किया सम्मानित
वयोश्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित इलमचंद इन्सां का शाह सतनाम जी पुरा की ग्राम पंचायत व एमएसजी भारतीय खेल गाँव की ओर से सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सरपंच खुशपाल कौर इन्सां ने कहा कि इलमचंद इन्सां का सम्मान शाह सतनाम जी पुरा ग्राम पंचायत के लिए बड़े हर्ष की बात है। इन्होंने गांव का नाम न सिर्फ जिला, प्रदेश बल्कि देशभर में रोशन किया है। वहीं शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान के स्पोर्ट्स इंचार्ज चरणजीत इन्सां ने गुलदस्ता भेंट कर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर स्पोटर््स मैनेजर अजमेर इन्सां, हैंडबॉल कोच अमनप्रीत इन्सां, ताइक्वांडो कोच रविन्द्र इन्सां, एथलेटिक्स कोच गजेन्द्र सिंह इन्सां, जूडो कोच राजबीर, हॉकी कोच विकास व फुटबॉल कोच हरदीप सिंह मौजूद रहे।
मैं जब भी शीर्षासन करता हूँ तो सभी लोग आश्चर्य करते हैं कि मैं इतनी देर तक कैसे इस मुश्किल आसन को कर पाता हूँ। क्योंकि बच्चे और युवा ये जानते हैं कि शीर्षासन को एक अंगुली पर करना, फिर दो अंगुली पर, एक हाथ से और उसमें घुमना चक्र बांधना आदि बहुत कठिन हैं, लेकिन मुझे इसमें बिल्कुल भी थकान नहीं होती। ये सब करवाने वाले पूज्य गुरु जी ही हैं।
– इलम चंद इन्सां, योगाचार्य।