किसकी सलाह स्वीकार करें
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किसकी सलाह स्वीकार करें : सलाह किसकी मानें? बड़ा उलझन भरा सवाल है। अपने सगे-संबंधियों, मित्र, परिचितों द्वारा प्राय: कई प्रकार की सलाह दी जाती है। इनमें से किसे स्वीकार करें और किसे अस्वीकार करें, इसका निर्णय करना नहीं बनता।

ऐसी दशा में बड़ी असमंजस की स्थिति आ खड़ी होती है। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? इसके लिये अच्छा यही है कि हम आदर्श एवं औचित्य को ही अपना सगा-संबंधी, शुभचिन्तक व घनिष्ठ मित्र मानकर चलें।

जो व्यक्ति हमें उचित सलाह दे व सही दिशा बताये, वह ही हमारा सगा है। हर इंसान में अच्छी बुरी प्रवृत्तियां होती हैं जो ज्वारभाटे की तरह समय-समय पर उभरती रहती हैं।

हमारी स्वीकृति उचित बात को ही मिलनी चाहिए। करीबी व्यक्ति भी यदि अनुचित बात कहता है तो विनयपूर्वक उसे अस्वीकार कर देना चाहिये।

मित्रों में से कितने ही अपने साथ दुर्व्यसनों में शामिल होने की सलाह देते रहते हैं। आधुनिकता के नाम पर फूहड़ बुराइयां

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प्राय:

मित्र मण्डली की सलाह के दबाव में ही अपनायी जाती हैं जो आजीवन हमें पतन के गर्त में डुबोती रहती हैं। यदि प्रारम्भ में ही ऐसी सलाहों को नजर-अन्दाज कर दिया जाये तो विपत्ति उठाने की नौबत ही नहीं आयेगी।
आग्रह मानने में संकोच का सवाल है तो अच्छा यही है कि ऐसे अनुपयुक्त मित्रों का हाथ ही न थामें। यदि पूर्व में ही उनकी उपेक्षा कर दी जाये तो संकोच की स्थिति ही नहीं आयेगी।

अपनत्व के आधार पर सलाह माननी हो तो अपनत्व के दायरे को थोड़ा बड़ा कर लेना चाहिए। खून के रिश्ते से अधिक सगे वे व्यक्ति हैं जो स्वार्थ व अहम् से रहित हैं। ऐसे पुरुष अपने सगे संबंधियों से भी ज्यादा सगे होते हैं।

जहां जिन्दगी की समस्याओं को सुलझाने वाले परामर्शों का मामला है, तो यह कार्य भरोसे के आदमियों की सलाह पर ही करना चाहिये। भरोसे के व्यक्ति वे हैं जिनका हमसे कोई स्वार्थ नहीं, जिनका हृदय सहज ही हमारे प्रति प्रेम से भरा है, जिनके पास हमें देने के लिये जिन्दगी के अनुभव हैं, अमूल्य विचार हैं व भाव भरी संवेदनाएं हैं। ऐसे व्यक्तियों की सलाह हमारे जीवन की दिशा बदल देती है और हमारे उज्जवल भविष्य का निर्माण करती है।

इसलिये सलाह स्वीकार करने में पूरी सतर्कता बरतने में ही भलाई है। किसकी, किस प्रकार की, कितनी सलाह माननी चाहिए और कितनी उपेक्षा करनी चाहिए अथवा असहमति प्रकट करनी चाहिये, यह निर्णय विवेक व दूरदर्शिता के आधार पर करना चाहिये। जो भी सम्पर्क में आया, उसी की सलाह मानना एक बेवकूफी भरा कार्य है। ऐसा करने पर हम अपने जीवन को कुमार्ग की कंटीली झाड़ियों में फंसा सकते हैं।
– अंजलि मंगल

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