7 myths and truths about food

खानपान से जुड़े 7 मिथक व सच्चाई
95 फीसदी से ज्यादा बीमारियां पोषक तत्त्वों की कमी और शारीरिक श्रम में कमी होने के चलते होती हैं। गलत खानपान ही हमारी शरीर में बीमारियों को जन्म देता है।

आजकल के समय में फास्ट फूड का चलन बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। युवाओं में फास्ट फूड के अत्याधिक खाने से उनमें आवश्यक तत्वों की कमी होती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ देखें तो कुछ ऐसे भी मिथक हैं जिनके बारे में हम जानते तक नहीं।

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आइए, भोजन से जुड़े कुछ मिथकों की वास्तविक्ता के बारे में जानते हैं।

मिथक: चीनी की जगह शहद से अपने खाने को मनचाहे तरीके से मीठा कर सकते हैं।

सच्चाई: रासायनिक लिहाज से शहद और चीनी बिल्कुल बराबर हैं। यहां तक कि नियमित चीनी के सेवन के मुकाबले शहद में ज्यादा कैलोरी हो सकती है। इसलिए बिल्कुल चीनी की ही तरह शहद का भी कम मात्रा में ही इस्तेमाल करें।

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मिथक: किसी वक्त का भोजन न करने पर अगले भोजन में उसकी कमी पूरी हो जाती है।

सच्चाई: किसी भी समय का भोजन मिस करना ठीक नहीं माना जाता है और इसकी कमी अगले वक्त का भोजन करने से पूरी नहीं होती। एक दिन में 3 बार संतुलित भोजन लेना जरूरी होता है।

मिथक: यदि खाने के पैकेट पर ‘सब प्राकृतिक’ लिखा हो तो वह खाने में सेहतमंद होता है।

सच्चाई: यदि किसी चीज पर ‘सब प्राकृतिक’ का लेबल चस्पा हो तो भी उसमें चीनी, असीमित वसा या फिर दूसरी चीजें शामिल होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती हैं। ‘सब प्राकृतिक’ लेबल वाले कुछ स्नैक्स में उतनी ही वसा शामिल होती है जितनी कैंडी बार में। पैकेट के पिछले हिस्से पर लिखी हिदायतों को पढ़ना जरूरी होता है जो आप से सब कुछ बयां कर देती है।

मिथक: जब तक हम प्रत्येक दिन विटामिन का सेवन कर रहे हों, हम क्या खा रहे हैं उसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।

सच्चाई: कुछ पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि विटामिन की गोलियां लेना अच्छी बात है, लेकिन ये गोलियां हर उस चीज को पूरा कर देंगी जिसकी लंबे समय से आपको जरूरत है, जरूरी नहीं। सेहतमंद खाना आपको रेशे, प्रोटीन, ऊर्जा और बहुत सारी ऐसी जरूरी चीजें मुहैया करवाता है जो विटामिन की गोलियां नहीं करा सकतीं। इसलिए विटामिन और चिप्स का एक बैग अभी भी एक खतरनाक लंच है। इसकी बजाय आपको संतुलित और पोषक तत्त्वों वाले भोजन की जरूरत है।

मिथक: यदि वजन जरूरत से ज्यादा नहीं है तो अपने खाने के बारे में परवाह करने की जरूरत नहीं है।

सच्चाई: यदि आपको अपने वजन से समस्या नहीं है तो भी हर दिन सेहतमंद भोजन का चुनाव करना जरूरी होता है। यदि आप अपने शरीर को एक मशीन की तरह से देखते हैं तो यह भी जानते होंगे कि मशीन को पूरी मजबूती से चलाने के लिए अच्छे र्इंधन का इस्तेमाल करना होता है। जंक फूड से दूर रहने का भी यही उद्देश्य है। यदि आप खराब खाने की आदतें विकसित कर लेंगे तो आपको भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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मिथक: विटामिन और खनिज की आवश्यकता को पूरा करने के लिहाज से एनर्जी बार सबसे बेहतर रास्ता हैं।

सच्चाई: एनर्जी बार काबोर्हाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के बेहतर स्रोत हो सकते हैं। लेकिन दूसरे खाने की तरह उनका भी बेजा इस्तेमाल हो सकता है। उन्हें ज्यादा खाने का मतलब है आप अपने शरीर को उतना ही नुकसान पहुंचा रहे हैं जितना कैंडी और केक के खाने से होता है।

मिथक: चीनी आपको ऊर्जा देती है। यदि आपको दोपहर या फिर खेल खेलने से पहले ऊर्जा बढ़ाने की जरूरत है तो एक कैंडी बार खाइए।

सच्चाई: चॉकलेट, कैंडी और केक जैसी खाद्य सामग्री में चीनी की सामान्य मात्रा पाई जाती है जो यकीनन आपके खून में शर्करा बदलाव ला देगी और फिर इसके जरीए आपके शरीर की प्रणाली में जल्द ही ऊर्जा के संचार का एहसास होगा। लेकिन बाद में ब्लड शुगर में बहुत तेजी से गिरावट आती है और फिर आपको ऐसा महसूस होगा कि ऊर्जा के स्तर में भी कमी आ गई है।

डा. नीलम मोहन
पीडिएट्रिक गैस्ट्रोऐंटरोलौजिस्ट और यकृत प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, मेदांता मैडिसिटी

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