संतुलित डाइट के महत्व से तो हर कोई वाकिफ है लेकिन अपनी उम्र, शारीरिक क्षमता, कार्य की प्रकृति और दैनिक रुटीन के हिसाब से डाइट कैसी होनी चाहिए, इसको लेकर अधिकांश लोग भ्रमित रहते हैं। सही डाइट से जुड़ी हमारी शंकाएं दूर करते हैं डायटीशियन और न्यूट्रिशनिस्ट। यदि आप हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ रोमांचक करियर चाहते हैं, तो यह फूड साइंस या टेक्नोलॉजी आपके लिए बढ़िया है।
लोगों की बदली जीवनशैली और खानपान की खराब आदतों का सबसे ज्यादा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसीलिए अब तो वैसे भी कोविड-19 महामारी के बाद लोगों में डाइट को लेकर जागरूकता बढ़ी है। हालांकि डाइट हर व्यक्ति के शरीर व तापमान को लेकर अलग-अलग तरह से निर्धारित की जाती है, जिसको लेकर अक्सर लोगों में भ्रम रहता है। यदि आपको भी फूड साइंस और न्यूट्रिशन में रुचि है, तो आप इसमें करियर प्लान कर सकते हैं।
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फूड साइंस और टेक्नोलॉजी की आवश्यकता
सभी किस्म के जीवन के लिए आहार या फूड अति आवश्यक है, मनुष्य को जीवित रहने के लिए फूड की जरूरत हमेशा रहती है। रहने के लिए किसी स्थान, कपड़े, एजुकेशन और हेल्थकेयर की तरह ही फूड भी मानव के लिए एक मूलभूत आवश्यकता है। अधिकांश फूड आइटम्स मूल रूप से जानदार या जैविक होते हैं, इसीलिए फूड आइटम्स की प्रोसेसिंग, हार्वेस्टिंग, डिस्ट्रीब्यूशन, स्टोरेज और प्रिपरेशन से जुड़े सभी काम बहुत मुश्किल होते हैं।
फूड टेक्नोलॉजी के तहत फूड प्रोसेस को समझने और पूरी प्रोसेस के दौरान विभिन्न प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए व्यापक जानकारी और ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है। फूड साइंटिट्स का काम इनोवेटिव पैकेजिंग के साथ प्रचुर मात्रा में फूड आइटम्स को सुरक्षित और न्यूट्रीशियस बनाना भी होता है इसलिये, फूड साइंटिस्ट्स फूड रिसोर्सेज के बेहतरीन इस्तेमाल के साथ ही इन रिसोर्सेज के कम से कम वेस्टेज के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
आप सरकारी क्षेत्र और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे संस्थानों में अपना करियर बना सकते हैं। अमूमन इस फील्ड में चार तरह के न्यूट्रिशनिस्ट काम करते हैं:
क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट
ये हॉस्पिटल्स, आउटपेशेंट क्लीनिक्स और नर्सिंग होम्स में काम करते हैं। इसमें आपको रोगियों की बीमारियों के हिसाब से उनका डाइट चार्ट प्लान करना होगा।
मैनेजमेंट न्यूट्रिशनिस्ट
ये न्यूट्रिशनिस्ट क्लीनिकल और फूड साइंस एक्सपर्ट्स होते हैं। ये बड़े संस्थानों में काम करने वाले एक्सपर्ट्स का मैनेजमेंट करते हैं। इसके अलावा इन्हें न्यूट्रिशनिस्ट्स की प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जिम्मेदारी भी दी जाती है।
कम्युनिटी न्यूट्रिशनिस्ट
ये सरकारी स्वास्थ्य एजेंसियों, हेल्थ एंड फिटनेस क्लब्स और डे-केयर सेंटर्स में काम करते हैं। इस क्षेत्र में किसी व्यक्ति विशेष के लिए काम न करके पूरे समुदाय पर फोकस किया जाता है।
मैनेजमेंट न्यूट्रिशनिस्ट
ये न्यूट्रिशनिस्ट क्लिनिकल और फूड साइंस एक्सपर्ट्स होते हैं। ये बड़े संस्थानों में काम करने वाले एक्सपर्ट्स का मैनेजमेंट करते हैं। इसके अलावा इन्हें न्यूट्रिशनिस्ट्स की प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जिम्मेदारी भी दी जाती है।
न्यूट्रिशन एडवाइजर
ये एक्सपर्ट्स बिना किसी संस्थान से जुडेÞ, किसी डॉक्टर की तरह अपनी स्वतंत्र प्रैक्टिस करते हैं और लोगों को न्यूट्रिशन से जुड़ी सलाह व मार्गदर्शन देते हैं। इस तरह की फ्रीलांसिंग में भी अच्छी संभावनाएं हैं।
कुछ अन्य क्षेत्र
- फूड टेक्नोलॉजिस्ट
- प्रोडक्ट/ प्रोसेस डेवलपमेंट साइंटिस्ट
- क्वालिटी मैनेजर
- रेगुलेटरी अफेयर्स आॅफिसर
- साइंटिफिक लेबोरेटरी टेक्निशियन
- टेक्निकल ब्रेवर
योग्यता
इस क्षेत्र में भरपूर मौके उपलब्ध हैं। इसमें करियर बनाने के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित या होम साइंस में 12वीं पास होना अनिवार्य है। इसके बाद फूड साइंस, केमिस्ट्री या माइक्रोबायोलॉजी में बैचलर डिग्री कर सकते हैं। यह कोर्स चार साल का होता है। बैचलर डिग्री करने के बाद फूड केमिस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस और अन्य क्षेत्रों में एडवांस डिग्री भी कर सकते हैं।
इसके अलावा डायटेटिक्स एंड न्यूट्रिशन और फूड साइंस एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन में डिप्लोमा भी किया जा सकता है। यदि आपने ग्रेजुएशन कोर्स पूरा कर लिया है तो आप उपरोक्त विषयों में एमएससी भी कर सकते हैं। इस क्षेत्र में शोध-अध्ययन करने की भी काफी गुंजाइश है। उच्च शिक्षा हासिल करने वाले विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अवसर भी बहुत मिलते हैं।
प्रवेश परीक्षाएं
आॅल इंडिया जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम देकर उम्मीदवार फूड टेक्नोलॉजी और बायो केमिकल साइंस में सरकारी कॉलेजों से बीटेक की डिग्री कर सकते हैं। वहीं, आईआईटी में प्रवेश पाने के लिए जेईई मेन और जेईई एडवांस की परीक्षा पास करनी पड़ेगी। गेट फूड टेक्नोलॉजी एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से आईआईएससी बेंगलुरू में दाखिला मिलेगा। इसके अलावा सभी निजी संस्थान अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करते हैं।
आवश्यक कौशल
- इन पेशेवरों को खाद्य विज्ञान की पूरी जानकारी होनी चाहिए और उसका क्रियान्वयन उत्पादन प्रक्रिया के दौरान करने की कुशलता भी होनी चाहिए।
- इन पेशेवरों को बिजनेस की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा इनका विश्लेषणात्मक और गणित का ज्ञान भी बेहतर होना चाहिए।
- इन पेशेवरों में आत्मविश्वास की कमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इन्हें ज्यादातर समय स्वतंत्र रूप से काम करना पड़ता है।
- इन पेशेवरों को खाद्य पदार्थों का काफी अध्ययन करना पड़ता है, इसलिए इनकी कंप्यूटर स्किल और नई तकनीक के साथ काम करने की क्षमता भी बेहतर होनी चाहिए।
- इन पेशेवरों में ध्यान केंद्रित करने की अच्छी क्षमता होनी चाहिए, ताकि भोजन से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी भी इनकी नजर से न बचे।
- स्वास्थ्य, सुरक्षा और साफ-सफाई के बारे में भी खास जानकारी होना अनिवार्य है।
- इन पेशेवरों को उत्पादनकतार्ओं के लिए काम करना होता है और ऐसे में उनके साथ लगातार संपर्क में भी रहना पड़ता है, इसलिए इनका संवाद-कौशल भी अच्छा होना चाहिए। इन पेशेवरों के पास टीम में काम करने की अच्छी क्षमता होनी चाहिए।
जिम्मेदारियां
- फूड लेबलिंग के लिए सही पोषण तत्वों की जानकारी देनी होगी।
- खाद्य पदार्थों को ताजा सुरक्षित और आकर्षक बनाए रखने के तरीकों की खोज करनी पड़ती है।
- खाना बनाने के दौरान लगने वाले समय और पैसों की बचत करने के लिए तरीके ढूंढ़ने की भी जिम्मेदारी होती है।
- रोजमर्रा के कार्यों में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा की जांच करनी पड़ती है।
- नई सामग्री के साथ प्रयोग करना और नए खाद्य पदार्थों का निर्माण करना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होती है।
- इन्हें लैब में प्रयोग करना और सैंपल उत्पाद तैयार करना पड़ता है।
- प्रोडक्शन की प्रक्रिया से डिजाइनिंग करना और मशीन की जांच करना भी इन्हीं के जिम्मे होता है।
- इन पेशेवरों को इंजीनियर, प्रोडक्शन और मार्केटिंग के विशेषज्ञों के साथ मिलकर उत्पाद के निर्माण में आ रही किसी भी समस्या का समाधान करना पड़ता है।
- उत्पाद के निर्माण से पहले इसमें इस्तेमाल की जा रही सामग्री की जांच और निगरानी करना भी इन्हीं के जिम्मे होता है।
- कई फूड साइंटिस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में क्वालिटी कंट्रोल का काम करते हैं। पूरी निर्माण प्रक्रिया की निगरानी करना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होती है।
- इनका काम उत्पादन के निर्माण का शेड्यूल बनाना और साफ-सफाई के लिए व्यवस्था तैयार करना होता है।
वेतन
इस क्षेत्र में शुरूआत करने पर 20 से 25 हजार रुपये प्रति माह तक वेतन मिल सकता है। पांच साल का अनुभव अर्जित करने के बाद 5 से 6.4 लाख रुपये सालाना तक का पैकेज मिल जाता है। जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है, वेतन भी 9 से 18 लाख रुपये तक सालाना हो सकता है। इस क्षेत्र में अगले 10 साल तक नौकरियों में सात प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी होने की संभावना है। फूड साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लोगों की भारी मांग को देखते हुए इसमें करियर बनाना बेहतर विकल्प हो सकता है।
प्राइवेट जॉब्स
प्राइवेट सेक्टर के कई संगठन फूड टेक्नोलॉजी में बीटेक ग्रेजुएट्स को रिक्रूट करते हैं। अमूल, कैडबरी, ब्रिटानिया, नेस्ले जैसी कंपनियां फूड टेक्नोलॉजी के प्रोफेशनल्स को जॉब मुहैया करवाती हैं। एंट्री लेवल के प्रोफेशनल्स को शुरू में 6 माह की ट्रेनिंग दी जाती है और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें हायर ग्रेड्स में प्रमोट कर दिया जाता है। ट्रेनिंग पीरियड में कैंडीडेट्स को रुपये 15,000/- प्रतिमाह सैलरी दी जाती है। ट्रेनिंग पीरियड पूरा होने के बाद कैंडिडेट्स की जॉब पोजीशन के आधार पर उनकी सैलरी बढ़ाई जाती है।
फील्ड से संबंधित कोर्स
- बीएससी फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी
- एमएससी फूड एंड न्यूट्रिशन
- बीटेक फूड प्रोसेसिंग एंड फूड टेक्नोलॉजी
- बीएससी इन होम साइंस
- एमएससी बायो टेक्नोलॉजी
- एमटेक इन फूड टेक्नोलॉजी
- एमटेक इन फूड एंड न्यूट्रिशन
- सर्टिफिकेट कोर्स इन फूड प्रोसेसिंग *एंड प्रिजर्वेशन
- डिप्लोमा इन फूड प्रोसेसिंग
- डिप्लोमा इन फूड प्रिजर्वेशन
- डिप्लोमा इन फूड प्रिजर्वेशन एंड टेक्नोलॉजी
- पीएचडी इन फूड प्रिजर्वेशन
- पीएचडी इन बायो टेक्नोलॉजी
प्रमुख संस्थान
- सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट
- इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ क्रॉप प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी
- नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट
- राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कोटा
- नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ न्यूट्रिशन
- नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट
- एसआरएम यूनिवर्सिटी
- अन्ना यूनिवर्सिटी
- पांडिचेरी यूनिवर्सिटी
- आईआईटी खड़गपुर