The basic mantra is to move from the known to the unknown. maths subject

गणित विषय: अध्यापक की भूमिका ज्ञात से अज्ञात की ओर बढ़ाना है मूल मंत्र

अक्सर यह देखने में आया है जब भी हम किसी विषय पर चर्चा करते हैं तो उससे संबधित अनेक अवधारणाएं सामने आती हैं, लेकिन यदि गणित विषय की बात करें तो केवल दो ही तरह के विचारों का सामना होता है, एक ये कि गणित सहज व सरल विषय है, जो तथ्यों पर आधारित है, जिसमें झूठ का कोई स्थान नहीं है।

इसके साथ-साथ अत्यंत रुचिकर भी है, लेकिन ये विचार अधिक प्रचलित नहीं है, कुछ प्रतिशत लोग ही इससे सहमत हैं। इसके विपरीत दूसरी विचारधारा जोकि अधिक प्रचलन में है वो ये कि यदि यह विषय ही न होता या न पढ़ाया जाता तो बेहतर रहता। अधिकतर छात्र इसी सोच के साथ गणित विषय से दूर भागते हैं व कक्षा दसवीं के बाद इसे त्याग देते हैं, लेकिन सोचने की बात यह है कि क्या गणित के बिना भी जीवन संभव है ? हमारी पूरी दिनचर्या सुबह उठने से लेकर रात सोने तक गणित पर निर्भर है, फिर भी छात्र इससे दूर क्यों भागता है यह विचारणीय है?

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गणित विषय के प्रति विद्यार्थियों में रुचि उत्पन्न की जा सकती है लेकिन कैसे?

इस पर विचार किया जाना अति आवश्यक है। यह बात तो साफ है कि अध्यापक ही एक ऐसी कड़ी है जो इस कार्य को बखूबी कर सकता है। अक्सर गणित अध्यापक किसी सवाल का पूरे का पूरा जवाब बोर्ड पर लिख देता है जिसे विद्यार्थी अपनी कॉपी पर उतार लेता है और उसे रटने का प्रयास करता है। गणित विषय को रटना असंभव तो है ही, साथ में विषय के प्रति रुचि कहाँ पैदा हुई ? इस तरह की प्रक्रिया से विद्यार्थी विषय से दूर भागेगा ही। मेरे विचार से विद्यार्थी की गणित विषय के प्रति समझ बनाना व रुचि पैदा करना अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए अध्यापक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

प्रारंभिक स्तर पर विद्यार्थियों की बुनियाद मजबूत करने व गणित विषय पर पकड़ बनाने के लिए अध्यापक द्वारा निश्चित क्रम का अनुपालन करना अति आवश्यक है, जिसके तहत पहले ठोस वस्तुओं के साथ, फिर चित्रों तथा बाद में प्रतीकों के साथ छात्रों को अवगत करवाना व इसके साथ-साथ ज्ञात से अज्ञात का ज्ञान करवाना शामिल है। इसके अतिरिक्त अध्यापक छात्रों के सामने चुनौती या प्रश्न रखे व उन्हें स्वयं हल खोजने का मौका दे, जिससे छात्रों का मनोबल बढ़ेगा व गणित विषय के प्रति रुचि भी बढ़ेगी।

पहले चरण में चुनौतियां सरल होनी चाहिएं, जिसे विद्यार्थी आसानी से हल कर सके व बाद में धीरे-धीरे मुश्किल की तरफ ले जाया जाए जिससे छात्र की रुचि विषय के प्रति बनी रहे।

इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता हैय:

यदि जोड़ व घटा का मतलब विद्यार्थी को पता है तो इससे जुड़ा हर प्रश्न वह आसानी से हल कर लेगा।

चुनौतियों को क्रमवार बढ़ाएं:-

गणित एक ऐसा विषय है जिसे केवल स्वयं करके ही सीखा जा सकता है, इसके लिए छात्रों को अधिक से अधिक मौके दिए जाने जरूरी हैं। अध्यापक की भूमिका छात्रों को लगातार गणितीय गतिविधियों में लगाये रखना है चाहे वो प्रश्नोतरी हो, मॉडल बनवाकर, खेल-खेल में गणित या कोई भी अन्य माध्यम…।

विद्यार्थी को जितना इन गतिविधियों में शामिल किया जायेगा उतना ही इस विषय के प्रति विश्वास बढ़ेगा।

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