सर्द मौसम में खिली रहमतों की गुलज़ार | धूमधाम से मनाया पावन एमएसजी अवतार दिवस भण्डारा
- 106वें पावन एमएसजी अवतार दिवस पर 106 लोगों को बांटे कंबल
- पूज्य गुरु जी के भजनों पर जमकर नाचे बच्चे, बूढ़े, नौजवान
- खूबसूरत लड़ियों, रंगोलियों और गुब्बारों से सजाया गया मुख्य पंडाल
25 जनवरी का मुबारिक दिन डेरा सच्चा सौदा की करोड़ों साध-संगत के लिए खुशियों का पैगाम होता है। देश-विदेश में साध-संगत ने सच्चे रूहानी रहबर पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के 106वें पावन एमएसजी अवतार दिवस का नामचर्चा सत्संग भंडारा बड़ी धूमधाम से मनाया। शाह सतनाम शाह मस्ताना जी धाम डेरा सच्चा सौदा सरसा दरबार में पहुंची बड़ी संख्या में साध-संगत ने अपने मुर्शिद प्यारे को सजदा किया, वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से भी पूरी दुनिया में श्रद्धालुओं ने भण्डारे का लाइव प्रसारण देखा। दोपहर 12 बजे ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ पवित्र नारे के साथ ‘पावन एमएसजी अवतार दिवस नामचर्चा सत्संग-भंडारे’ का आगाज़ हुआ। इसके पश्चात कविराज भाई-बहनों ने भक्तिमय भजनों के माध्यम से सतगुरु जी की महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन सान्निध्य में चलाए जा रहे 167 मानवता भलाई कार्यों के तहत सर्द मौसम के मद्देनजर 106 जरूरतमंदों को कंबल वितरित किए गए।
पावन भण्डारे की खुशी में शाह सतनाम शाह मस्ताना जी धाम डेरा सच्चा सौदा सरसा की आभा देखते ही बन रही थी। मुख्य पंडाल को खूबसूरत लड़ियों, रंगोलियों और गुब्बारों से सजाया गया था। उधर डेरा सच्चा सौदा में आने वाली सभी सड़कों पर दूर-दूर तक साध-संगत के काफिले नज़र आ रहे थे। डेरा श्रद्धालु नाच-गाकर अपनी खुशियां मनाते हुए पंडाल में पहुँच रहे थे। पूज्य गुरु जी के भजनों पर बच्चे, बूढ़े, युवा सभी झूम-झूमकर नाच रहे थे।
अनमोल वचन: पूर्ण मुर्शिद का ऋण कभी उतारा नहीं जा सकता
सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि आज पूरी साध-संगत के चेहरे खुशी से खिले हुए हैं और इन सबके पीछे शाह मस्ताना जी, शाह सतनाम जी दाता रहबर का रहमो-करम है और मालिक से यही दुआ है कि परमपिता परमात्मा आपको हर खुशी से नवाज़े, जो वचनों के पक्के रहें, दृढ़ यकीन रखें, उन्हें कोई कमी तो क्या, मांगने के लिए सोचने तक की भी नौबत ना आए। सच्चे दाता रहबर शाह सतनाम जी महाराज के जितने गुण गाएं, उतने कम हैं। परमपिता शाह सतनाम जी महाराज श्री जलालआणा साहिब में आए और माता आसकौर जी और अति पूजनीय पिता वरियाम सिंह जी के घर जन्म लिया। वो धरा, वो जगह धन्य-धन्य कहने के काबिल हैं।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हम और हमारी साध-संगत धन्य हैं जिस दाता ने हमें चरणों से लगाया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि धन्य करने वाले एक कण को, एक कतरे को समुंद्र ही नहीं, महासागर बना देते हैं। एक नूर के ज़र्रे को सूरज ही नहीं, करोड़ों सूरजों की तरह चमका देते हैं, तो ऐसे मुर्शिद-ए-कामिल दाता रहबर का अरबों-खरबों बार गुणगान गाएं, सजदा करें, नमन करें, उतना कम है। अगर सारी उम्र गुण गाते रहें तो भी मुर्शिद का ऋण उतारा नहीं जा सकता। हम सब धन्य हुए, क्योंकि दाता रहबर के दर्शन पाए। उस परमपिता परमात्मा ने धन्य बनाए, तभी धन्य हुए।
वरना पता नहीं कौन-सा जीव कहां पर भटक रहा होता। पता नहीं कितने युगों से आत्मा भटकती रहती और अगर वो (परमपिता शाह सतनाम जी महाराज) ना आते तो आत्मा भटकती ही रह जाती। शाह सतनाम जी दाता का जितना गुणगान गाएं, उतना कम है। परमपिता जी ने ‘हम थे, हम है और हम ही रहेंगे’, के वचन फरमा कर रूहानियत का इतिहास ही बदल डाला। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि सतगुरु मौला ने हर तरह से अपने बच्चों की संभाल की, कर रहे हैं और अरबों-खरबों गुणा ज्यादा करेंगे जो वचनों पर अमल करेंगे। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को वचनों पर पक्के रहने और दृढ़ यकीन रखने का आह्वान किया।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि ऐसा कलियुग का समय है जिसमें मन, माया, काम वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार का बोल बाला है और ये लोगों को गुमराह कर रहे हैं। वो बच्चे भाग्यशाली हैं जो गुरुमंत्र लेकर राम-नाम का जाप कर रहे हैं और वो बच्चे बड़े ही भाग्यशाली हैं जिनके माँं-बाप ने उन्हें गुरुमंत्र दिलवा दिया। खानदानी सेवादार, खानदानी सत्संगी को हम सैल्यूट करते हैं। पूजनीय परमपिता जी ने डरना नहीं सिखाया, झुकना सिखाया है, लड़ना नहीं सिखाया, प्रेम करना सिखाया है, अहिंसा में रहना सिखाया है, हिंसा करना नहीं सिखाया। इसके अलावा साध-संगत को बेगर्ज़ प्रेम करना सिखाया है व आत्मा व परमात्मा से इश्क करना सिखाया है। आत्मिक-इश्क में जो नशा होता है वो बा-कमाल! गज़ब! ज़बरदस्त होता है!
पावन भण्डारे में उमड़ी साध-संगत की सुविधा के लिए सभी जगह पंडालों में बड़ी-बड़ी स्क्रीनें लगाई गई थी, जिनके माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों को साध-संगत ने एकाग्रचित होकर श्रवण किया। इस दरमियान पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज द्वारा मानवता पर किए परोपकारों को दर्शाती एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। भंडारे में पूज्य गुरु जी द्वारा सुरबद्ध किए बर्थडे स्पेशल गीत ‘जनवरी महीने में दाता आए…’ व नशों के खिलाफ जागरूक करता गीत ‘जागो दुनिया दे लोको…’ पर पंडाल में उपस्थित साध-संगत झूम उठी। कार्यक्रम समाप्ति पर हज़ारों सेवादारों ने साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर-भोजन खिला दिया और सभी को पूज्य गुरु जी के हुक्मानुसार प्रशाद भी बांटा गया। इस दौरान पंडाल, पानी, ट्रैफिक, लंगर-भोजन, चिकित्सा सहित विभिन्न समितियों के सेवादारों ने अपनी ड्यूटियाँ बखूबी निभाई।