Experiences of Satsangis

बेटा! यह शब्द बोलो!! -सत्संगियों के अनुभव -पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की दया-मेहर

रणजीत सिंह पुत्र सचखंडवासी हवलदार प्रेमी केहर सिंह जी गांव पक्का कलां जिला भटिंडा से पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपने पर हुई रहमत का वर्णन इस प्रकार करता है:-

सन् 1964 में गांव मसीतां जिला सरसा में पूजनीय परमपिता जी का सत्संग था। उस समय मेरी उम्र नौ साल के करीब थी। मैं भी अपने बापू जी के साथ सत्संग पर चला गया। दोपहर का सत्संग करके शाम के समय पूजनीय परमपिता जी बाहर खेतों में घूमने के लिए निकले और खेतों में एक जगह पर जाकर विराजमान हो गए। बहुत सारे प्रेमी साध-संगत भी पूजनीय परमपिता जी की पावन हजूरी में वहाँ आकर बैठ गई।

पूजनीय परमपिता जी के पावन आदेशानुसार वहाँ पर शब्द-वाणी भी शुरु हो गई। इस दौरान पूजनीय परमपिता जी ने मेरे बापू जी से पूछा, ‘केहर सिंह! तुम गुरुचर्चा (नामचर्चा) करते हो?’ तो उन्होंने कहा कि पिता जी, नामचर्चा तो करने लग गए हैं। मैं ग्रंथ पढ़ लेता हूं, परंतु हमारे पास शब्द बोलने वाला कोई कविराज नहीं है। फिर मेरे बापू जी ने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा कि मेरा लड़का तो हकलाता, तुतलाता है, परंतु डूंगर राम का लड़का ठीक है।

पूजनीय परमपिता जी ने इशारा करके मुझे अपने पास बुलाया और पूछा, ‘बेटा! कितना पढ़ा है?’ मैंने कहा कि जी चौथी कक्षा में पढ़ता हूं। पूजनीय परमपिता जी ने प्रेमी हजारा लाल से शब्दों वाली कॉपी लेकर उसमें से एक शब्द निकालकर मुझे देते हुए फरमाया कि बेटा, यह शब्द बोल। वह शब्द तीन कड़ियों का था। जब मैंने वह शब्द बोला तो मुझे न तो हक (हकलाहट) पड़ी तथा ना ही मैं तुतला कर बोला। पूजनीय परमपिता जी ने मेरे बापू जी को मुखातिब होकर फरमाया, ‘केहर सिंह, एक कविराज तो बना दिया। यह तो बहुत साफ बोला है।’

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फिर रात को सत्संग हुआ। सत्संग के दौरान पूजनीय परमपिता जी ने प्रेमी कर्म सिंह जी सैक्रेटरी (प्रेमी सेवक) को कहा कि केहर सिंह के लड़के से शब्द बुलवाओ। मैंने फिर बिना किसी रुकावट के शब्द बोला। पूजनीय परमपिता जी ने खुश होकर पांच रुपए के कड़कते नोटों का हार मेरे गले में डाला और मुझे आदेश दिया कि गुरुचर्चा (नामचर्चा) में शब्द बोला कर। मुझे साफ तथा स्पष्ट बोलता देखकर मेरे सहपाठी तथा गांव के लोग हैरान हो गए। स्कूल में मेरे सहपाठी मुझे तुतला तथा हकला कहते थे। वह मुझे चिढ़ाते रहते थे। सतगुरु जी की रहमत से उनका मुंह भी बंद हो गया।

गांव के लोग मेरे बापू जी को कहने लगे कि तेरे लड़के को तो सच्चा सौदा वाले बाबा जी ने ठीक कर दिया। तो मेरे बापूजी ने कहा कि मैं मिल्ट्री से हवलदार रिटायर हुआ हूं। मैंने इसका कई हस्पतालों में बहुत इलाज करवाया, परंतु यह किसी डॉक्टर से ठीक नहीं हुआ था। अगर ठीक हुआ है तो सच्चा सौदा वाले संतों के पावन आशीर्वाद से ठीक हुआ है। मैं पूजनीय परमपिता जी के मौजूदा पावन स्वरूप पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को लाख-लाख सजदा करता हूं व यही अरदास है कि अपनी दया-मेहर, रहमत परिवार पर इसी तरह बनाए रखना जी।