कंप्यूटर जनित रोगों से सावधान
कंप्यूटर का आविर्भाव अपनी बहुआयामी उपयोगिता के कारण मनुष्य के लिए एक वरदान के रूप में हुआ, लेकिन आज अपने घातक दुष्परिणामों के कारण कंप्यूटर अभिशाप भी सिद्ध हो रहा है। कंप्यूटर के अति इस्तेमाल के कारण पैदा हो रहे विभिन्न प्रकार के घातक रोग इसकी सूचना दे रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान ने इन रोगों को कंप्यूटर संबंधित रोग कहा है।
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पीठ और आंखों का दुश्मन है कंप्यूटर:-
कंप्यूटर पर सही मुद्रा में काम न करने से जहां पीठ में झुकाव (पॉस्चरल बैकेक) और गर्दन से लेकर रीढ़ की हड्डी तक लगातार दर्द रहने (क्रॉनिक बैकेक) का रोग हो सकता है, वहीं लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहने की आदत से आंखों में थकावट (कंप्यूटर विजन सिंड्रोम), आंखों की खुश्की (ड्राई आई सिंड्रोम) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कंप्यूटर के अत्यधिक प्रयोग से कंधों में असहनीय दर्द, कोहनी एवं बगल के स्रायु में पीड़ा एवं सूजन आना, हथेली की मांसपेशियों में सृजन वाली कोशिकाओं पर अधिक दबाव से स्रायुओं का निष्क्रिय बनना आदि जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए भी घातक:-
यह तथ्य भी सामने आया है कि अधिक मोटे लोगों को कंप्यूटर रोग होने की आशंका ज्यादा रहती है क्योंकि उनके दोनों हाथ की-बोर्ड तक पहुंचने से कंधों को अंदर की ओर मोड़ देते हैं। गर्भवती महिलाओं पर भी कंप्यूटर के दुष्प्रभावों का आंकलन अनेक प्रकार से होता रहा है। भू्रण के विकृत होने, उसे नष्ट होने व विकृतिग्रस्त संतान के जन्म लेने तक के दुष्प्रभावों को कंप्यूटर से संबंधित पाया गया है हालांकि कंप्यूटर विशेषज्ञ मानते हैं कि कंप्यूटर के दुष्प्रभाव के लिए उसके किरणोत्सर्ग के बजाय घंटों तक एक स्थिति में बैठे रहने से होने वाला तनाव अधिक जिम्मेदार है। लगातार कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से आंखों पर जो जोर पड़ता है, वह अंतत: मनोशारीरिक तनाव में बदल जाता है।
कंप्यूटर आपरेटरों के लिए उचित व्यवस्था आवश्यक:-
गंभीर बात यह है कि बचपन से ही कंप्यूटर का अत्यधिक प्रयोग करने वालों को बड़ा होते-होते अत्यधिक नुक्सान पहुंच सकता है। सामान्यत: इन रोगों के प्रमुख शिकार चार्टर्ड एकाउंटेंट, पत्रकार, शेयर दलाल, मैनेजमेंट कंसल्टेंट एवं वकील होते हैं जो पूरा दिन कंप्यूटर की-बोर्ड पर काम करते और स्क्रीन पर आंखें गड़ाए रहते हैं।
व्यावसायिक कामकाज के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल आज हर छोटे-बड़े संस्थान में अनिवार्य रुप से हो रहा है लेकिन कुछ फीसदी बड़े संस्थानों में ही कंप्यूटर सिस्टम और उस पर काम करने वाले आॅपरेटर के लिए उचित व्यवस्था की जाती है, जैसे कंप्यूटर मॉनीटर पर ‘यू वी फिल्टर’ और साथ में बैठने के लिए सही कुर्सी का प्रबंध सभी संस्थानों में निर्धारित मापदंड के अनुसार नहीं हो पा रहा है।
कंप्यूटर जनित रोगों के कारण जहां व्यक्ति का स्वास्थ्य घातक रूप से प्रभावित हो रहा है, वहीं कंपनियों एवं संस्थानों की कार्यक्षमता भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। साथ ही कंप्यूटर रोग से पीड़ित कर्मचारियों की चिकित्सा के पीछे भी करोड़ों रूपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
योग विज्ञान का सहारा लें:-
कंप्यूटर रोग के उपचारार्थ अपने स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। ‘लॉस एंजिल्स टाइम्स’ समाचार पत्र ने अपने कार्यालय में ‘रिपिटेटिव स्टेस इंज्यूरीस रूम’ खोला है। कंप्यूटर का उपयोग करने वाले कर्मचारी हाथ में दर्द अनुभव करें तो इस कक्ष में जाकर बर्फ लगा सकते हैं, मल्हम लगाकर दर्द को कम कर सकते हैं और पीठ दर्द अनुभव होने पर थोड़ी देर फोम रबर के गद्दे पर लेटकर संकुचित हुए स्रायुओं को आराम दे सकते हैं।
कंप्यूटर रोग के उपचारार्थ किए जाने वाले इन उपकरणों के साथ यदि योग विज्ञान के आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि क्रियाओं को भी अपनाया जाए तो इन रोगों के घातक प्रभावों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
उमेश कुमार साहू